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Raipur. छत्तीसगढ़ के IPS अधिकारियों की परीक्षा देने में रुचि नहीं है। जिसके कारण से छग में साइबर एक्सपर्ट नहीं तैयार हो पा रहे हैं। आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम केवल 6 साइबर एक्सपर्ट के हवाले हैं।
जबकि हर साल हजारों की संख्या में केस दर्ज होते हैं, जिसमे से लगभग 3 से 4 प्रतिशत मामलों का ही निराकरण हो पाता है। साल 2024 में ही 107 करोड़ की शिकायतें साइबर सेल तक पहुंची लेकिन उनमें से केवल 3.69 करोड़ रुपए की वापसी हो सकी।
अधिकतर मामलों में तो साइबर थाने पहुंचे लोगों को 1930 पर शिकायत करने का ज्ञान देकर वापस भेज दिया जाता है। इधर गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि हर कोई साइबर ट्रेनिग नहीं पा सकता, एक्जाम में क्वालीफाई होना पड़ता हैं। प्रदेश में एक आईपीएस और 5 अन्य पुलिस कर्मी ट्रेनिंग करके आ चुके हैैं। दूसरा बैच भी जल्द जाएगा।
वर्षवार साइबर मामले
अगर 5 साल के आंकड़ो की बात करें तो साल 2020 में साइबर क्राइम के 2295 मामले दर्ज हुए हैं, वर्ष 2021 में 7,134 मामले सामने आए हैं, वर्ष 2022 में आंकड़े बढ़े और इस वर्ष 12,295 मामले दर्ज हुए, वर्ष 2023 में 22,296 मामले दर्ज हुए और 2024 में में 1301 पंजीकृत हुए हैं।
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लक्ष्य 5000 साइबर कमांडो बनाने का..
समस्या बड़ी है, इसलिए प्रदेश में 277 करोड़ रुपये खर्च कर प्रदेश में राज्य स्तरीय साइबर भवन का निर्माण किया गया। जो दिसम्बर 2024 में बनकर तैयार हुआ। इस राज्य स्तरीय थाने में 1 करोड़ 46 लाख खर्च कर कई सॉफ्टवेयर लिए गए। उसका नवीनीकरण किया गया।
सेंटर में 51 लाख रुपये उसमें आधुनिकीकरण के लिये खर्च किये गये हैं। लेकिन उसे चलाने के लिए एक्सपर्ट नहीं हैं। जबकि पीएम ने छग को 5000 साइबर कमांडो तैयार करने का लक्ष्य दिया है।
कॉपी राइट क्राइम के बारे मे जानकारी ही नहीं
प्रदेश के फिल्म कलाकार और भाजपा विधायक अनुज शर्मा का कहना हैं कि राज्य निर्माण के 25 साल बीत जाने के बाद भी प्रदेश के कॉपी राइट जैसे अपराध के बारे में थानों में किसी को जानकारी ही नहीं रहती।
जब ऐसा कोई मामला किसी थाने में जाता है तो एक थाने से दूसरे और तीसरे थाने तक उसे घुमाया जाता है। जिसमें 15 से 20 दिन निकल जाते हैं। बाद में कोई हल भी नही निकलता।
रुचि नहीं दिखा रहे अधिकारी
नेशनल स्तर पर साइबर एक्सपर्ट की ट्रेनिंग मुख्य रूप से एनसीआरबी यानि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र और उसके राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र से होती है, जो पुलिस और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिक्षित करते हैं, साथ ही राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय जैसे संस्थान डिग्री और डिप्लोमा कोर्स कराते हैं।
जिसमें प्रशिक्षण पाने के लिए एक परीक्षा देनी होती है। पास होने के बाद ही 6 महीने के कोर्स कर पाते हैं। जिसके लिए अधिकारी रुचि नहीं दिखा रहे। कुछ अधिकारियों का कहना है कि एंट्रेंस एग्जाम में डिस्क़वालीफाई होने के डर से भी अधिकारियो को सताता है।
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जागरुक कर चला रहे काम
साइबर क्रिमिनल को पकड़ने में कमजोर शासन लोगों को जागरुक करने पर विशेष जोर दे रहा है। SIR के दौरान जहां निर्वाचन आयोग ने लोगों को लिंक पर क्लिक करने से मना किया तो वहीं 3 दिन पहले परिवहन विभाग ने लोगों को ई-चालान जमा करने और सावधानी बरतने के लिए कहा।
परिवहन विभाग के अनुसार साइबर क्राइम दूसरे लिंक से लोगों को चालान का मैसेज भेज रहे हैं जिसके कारण से लोगों के बैंक अकाउंट खाली हो रहे हैं।
अलग से एक्सपर्ट हायर करेंगे
प्रधानमंत्री ने 5000 साइबर कमांडो तैयार करने का लक्ष्य दिया है। स्टेट और संभाग में साइबर थाने संचालित हैं। इसके अलावा 9 जिलों में थाने खोलने की तैयारी है। 6 लोग साइबर एक्सपर्ट के रुप में तैयार है। अन्य लोगों को भी जल्द ट्रेनिंग के लिए भेजेंगे। अलग से भी एक्सपर्ट हायर करने की प्रक्रिया की जा रही है।
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