साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा, कियोस्क संचालक सहित 7 गिरफ्तार, ऐसे विदेश भेजी करोड़ों की रकम

ग्वालियर में साइबर क्राइम और मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा खुलासा हुआ है । कियोस्क संचालक के साथ सात लोग गिरफ्तार किए गए हैं। गिरोह क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से साइबर फ्रॉड की राशि विदेश भेजता था।

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Anjali Dwivedi
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पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला

  • ग्वालियर में साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े गिरोह का पर्दाफाश।

  • गिरोह के मास्टरमाइंड और कियोस्क संचालक समेत सात लोग गिरफ्तार।

  • क्रिप्टोकरेंसी के जरिए साइबर फ्रॉड की राशि विदेश भेजी जा रही थी।

  • 84 एटीएम और 9 मोबाइल बरामद, साइबर फ्रॉड से जुड़े कई खाते का खुलासा।

  • SSP ने जांच की पुष्टि की, गिरोह से अहम खुलासे की उम्मीद।

Gwalior News: क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के मास्टरमाइंड को MP ऑनलाइन कियोस्क संचालक समेत सात लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार मास्टरमाइंड का नाइजीरिया, चीन और अन्य देशों से अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन सामने आया है। यह गिरोह क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से साइबर फ्रॉड की राशि विदेश भेजता था।

पुलिस ने मारा कियोस्क सेंटर पर छापा

इस मामले को लेकर ग्वालियर साइबर क्राइम टीम को सूचना मिली थी। ग्वालियर के नया बाजार स्थित बाबा महाकाल MP ऑनलाइन कियोस्क के संचालक, नरेंद्र सिकरवार के जरिए म्युल बैंक खाते (mule bank accounts) खोले जा रहे थे। छापेमारी के दौरान 84 एटीएम (ATM) और 9 मोबाइल (mobile) बरामद हुए हैं। इन खातों का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड के लिए किया जा रहा था।

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म्यूल अकाउंट्स क्या होते हैं? 

म्युल अकाउंट्स मूलत: अपराधियों के बैंक खाते होते हैं। जालसाज इनका इस्तेमाल काला धन छिपाने में करते हैं। अपराधी अवैध पैसा इन खातों में जमा कराते हैं। आजकल नकद लेनदेन पर बहुत सख्त कानून हैं। अपराधी खुद के बैंक खाते इस्तेमाल नहीं करते हैं। केवाईसी नियमों की वजह से वे पकड़े जा सकते हैं। खुद के खाते से उनकी पहचान उजागर होती है।

अपराधी किसी तीसरे व्यक्ति का खाता इस्तेमाल करते हैं। वे अक्सर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। अक्सर खाताधारक को सच्चाई का पता नहीं होता है। वह अनजाने में अपराधियों की मदद कर देता है। ऐसे खातों को मनी म्युल कहा जाता है। यह तरीका पुलिस को गुमराह करने के लिए है। किसी का बैंक खाता इस्तेमाल करना कानूनी अपराध है।

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मास्टरमाइंड तक पुलिस कैसे पहुंची?

छापेमारी के बाद कियोस्क संचालक नरेंद्र सिकरवार और उसके पांच साथियों को हिरासत में लिया गया है। पूछताछ में पता चला कि सोनू जाटव नामक व्यक्ति ग्वालियर में म्युल खाते खरीदने और बेचने का मास्टरमाइंड था। यह व्यक्ति इन खातों को उदयपुर में अपने साथी को बेचता था, जो बाद में Cyber ​​fraud की राशि को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में विदेश भेजता था।

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नाइजीरिया और चीन तक पहुंची साइबर फ्रॉड की राशि

सोनू जाटव के मोबाइल की जांच में नाइजीरिया और चीन से चैटिंग रिकॉर्ड सामने आए, जिसमें साइबर फ्रॉड से संबंधित बातचीत हो रही थी। इसके साथ ही, ग्वालियर के सैकड़ों बैंक खातों का भी खुलासा हुआ जो साइबर फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किए गए थे। इन खातों से कितनी राशि विदेश भेजी गई, इसकी जांच पुलिस कर रही है।

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कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया गया

ऑनलाइन कियोस्क संचालक समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम हैं, सोनू जाटव (मास्टरमाइंड), नरेंद्र सिकरवार (कियोस्क संचालक), जेश रजक, अजय परिहार, नकुल परिहार, निकेश साहू, और परमार सिंह शामिल हैं। ये सभी ग्वालियर के विभिन्न इलाकों से हैं।

SSP धर्मवीर सिंह ने दी जानकारी

ग्वालियर के SSP धर्मवीर सिंह यादव का कहना है कि इस गिरोह के बारे में और जानकारी एकत्र की जा रही है। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि जिन बैंकों में म्युल खाते खोले गए हैं, क्या उनका बैंक प्रबंधन और खाता धारकों से कोई संबंध था। यदि ऐसा पाया गया तो उन बैंकों और लोगों को भी आरोपी बनाया जाएगा।

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