छत्तीसगढ़ में साल के अंतिम दिनों में ठप्प रहेगा सरकारी कामकाज! कर्मचारियों की चेतावनी, जानें क्या है मामला

छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी 29 से 31 दिसंबर तक 11 सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल पर जा रहे हैं। महंगाई भत्ता (DA), वेतन विसंगति और अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण मुख्य मुद्दे हैं। इस 'महा-आंदोलन' से सरकारी दफ्तरों का कामकाज ठप हो सकता है।

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Sanjay Dhiman
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Chattishgarh employe straik

Photograph: (the sootr)

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RAIPUR.छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने 29 से 31 दिसंबर तक तीन दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने इस हड़ताल को लेकर पूरे राज्य में आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। यह हड़ताल महंगाई भत्ता, वेतन विसंगति, और नियमितीकरण जैसे मुद्दों पर है। 

कर्मचारियों के आंदोलन का कारण

सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि भाजपा सरकार को बने दो साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन चुनावों के दौरान किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। खासकर महंगाई भत्ते (DA), वेतन विसंगति, पेंशन और नियमितीकरण के मुद्दे पर सरकार चुप है। कर्मचारियों का आरोप है कि उनके मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनके बीच नाराजगी बढ़ रही है।

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कर्मचारियों की 11 सूत्रीय मांगें

कर्मचारी संघ ने अपनी 11 प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है। ये मांगें हैं:

  1. केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह, कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए।

  2. महंगाई भत्ते का एरियर कर्मचारियों के GPF खाते में डाला जाए।

  3. सभी कर्मचारियों को 4 स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए।

  4. विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

  5. कर्मचारियों को उनकी पहली नियुक्ति तिथि से सेवा गणना करते हुए पूरे लाभ दिए जाएं।

  6. पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।

  7. सहायक शिक्षकों और पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान दिया जाए।

  8. नगरीय निकाय कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समयबद्ध पदोन्नति दी जाए।

  9. अनुकंपा नियुक्ति नियमों में 10 प्रतिशत सीलिंग में शिथिलीकरण किया जाए।

  10. प्रदेश में कैशलेश सुविधा लागू की जाए।

  11. दैनिक, अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की ठोस नीति बनाई जाए।

इन सब मांगों को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने इन्हें हल्के में लिया है, और अब उन्हें सड़क पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

क्या असर होगा इस हड़ताल का?

29 से 31 दिसंबर तक इस हड़ताल का राज्य सरकार के कामकाजी दफ्तरों पर गहरा असर पड़ेगा। विशेष रूप से इंद्रावती भवन सहित अन्य सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप रहेगा। सरकारी सेवाओं के प्रभावित होने की संभावना है, जिससे आम जनता को असुविधा हो सकती है। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते स्कूल, अस्पताल, और अन्य सरकारी सेवाओं में भी बाधाएं आ सकती हैं।

हड़ताल से जुड़ी सरकार की तैयारी

सरकार ने इस हड़ताल को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शासन ने कर्मचारियों से बातचीत करने और उनके मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश की है। लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। इस वजह से कर्मचारी संगठन और सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है।

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क्या है आंदोलन का भविष्य?

यह आंदोलन अब छत्तीसगढ़ में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, और इसके आगे बढ़ने के आसार हैं। कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि वे सरकार से उनकी सभी मांगों को लेकर जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं, अन्यथा आंदोलन और बढ़ सकता है। सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कर्मचारियों की नाराजगी सीधे तौर पर शासन पर असर डालती है।

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