मुक्तिधामों की बदहाली पर नाराज हाईकोर्ट, सभी जिलों के कलेक्टरों से फोटो सहित मांगी रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों से मुक्तिधामों की हालत पर रिपोर्ट मांगी है। बिल्हा मुक्तिधाम की बदहाली देखकर खुद चीफ जस्टिस ने संज्ञान लिया था।

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Harrison Masih
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Bilaspur. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुक्तिधामों की बदहाल स्थिति पर गंभीर रुख अपनाया है। न्यायालय ने प्रदेश के सभी 33 जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिले के सभी मुक्तिधामों की फोटोग्राफ सहित विस्तृत रिपोर्ट 8 दिसंबर 2025 तक कोर्ट में प्रस्तुत करें। वहीं, राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया गया है कि वे इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग करें और सुनिश्चित करें कि सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन हो।

दरअसल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने 29 सितंबर को बिलासपुर जिले के बिल्हा मुक्तिधाम का दौरा किया था। वे किसी न्यायिक अधिकारी के पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुक्तिधाम में भारी अव्यवस्था, गंदगी और मूलभूत सुविधाओं की कमी देखी। यही दृश्य देखकर उन्होंने तत्काल संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए।

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सरकार के निर्देश, पर हाईकोर्ट असंतुष्ट

सोमवार (13 अक्टूबर) को हुई सुनवाई में राज्य की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, और बिलासपुर कलेक्टर ने अपने शपथपत्र (हलफनामे) दाखिल किए हैं। राज्य सरकार ने भी 6 अक्टूबर (पंचायत विभाग) और 8 अक्टूबर (नगरीय प्रशासन विभाग) को मुक्तिधामों के रखरखाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

हालांकि, अदालत ने कहा कि सिर्फ गाइडलाइन जारी करने से काम नहीं चलेगा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि हर नागरिक को गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार का अधिकार है, जो संविधान के तहत जीवन के अधिकार (Right to Life) का हिस्सा है। इसलिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि हर मुक्तिधाम में बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, शौचालय, शेड और साफ-सफाई उपलब्ध कराई जाए।

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बिल्हा मुक्तिधाम में हुए सुधार

बिलासपुर के कलेक्टर ने अपने शपथपत्र में बताया कि रहंगी मुक्तिधाम में तुरंत सुधार कार्य किए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने हॉल को प्रतीक्षालय में बदला गया है। पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। अंतिम संस्कार प्लेटफॉर्म की मरम्मत कराई गई है। मुक्तिधाम तक सीसी रोड निर्माण के लिए 10 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 6 और 8 अक्टूबर को जारी किए गए दिशा-निर्देशों का सभी जिलों में समान रूप से पालन नहीं हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि हर जिले के कलेक्टर को अपने जिले के सभी मुक्तिधामों की ताजा तस्वीरों सहित रिपोर्ट पेश करनी होगी।

अगली सुनवाई में समीक्षा

हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 8 दिसंबर 2025 तय की है। इस दौरान राज्य सरकार और मुख्य सचिव को यह दिखाना होगा कि राज्यभर में मुक्तिधामों की स्थिति में कितना सुधार हुआ है। यह आदेश अब राज्य सरकार और प्रशासनिक अमले के लिए एक बड़ा निर्देश बन गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर नागरिक को जीवन के अंतिम पड़ाव पर भी गरिमा और स्वाभिमान मिले।

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