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छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षकों के क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर चल रहा विवाद अब हाई कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। प्रदेश के करीब 300 शिक्षकों ने वेतनमान और एरियर्स की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर एकसाथ सुनवाई हुई।
जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने में देरी पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने सरकार को अंतिम मौका देते हुए 15 सितंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी जवाबी दस्तावेज (रिज्वाइंडर) दाखिल करने की अनुमति दी गई है।
शिक्षकों का भेदभाव का आरोप
याचिकाकर्ता शिक्षकों का आरोप है कि स्कूल शिक्षा विभाग और जन शिक्षण संचालनालय (DPI) ने समान प्रकृति के मामलों में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है। शिक्षकों का कहना है कि कुछ मामलों में क्रमोन्नत वेतनमान और एरियर्स का भुगतान किया गया, जबकि अन्य शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया।
इस भेदभाव के खिलाफ प्रदेशभर के शिक्षकों ने हाई कोर्ट का रुख किया है। जानकारी के अनुसार, अब तक 27,000 से अधिक शिक्षकों ने क्रमोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर क्रमबद्ध सुनवाई शुरू होगी।
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शिक्षकों के लिए मील का पत्थर
इस विवाद की शुरुआत शिक्षिका सोना साहू की याचिका से हुई, जिसमें हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को क्रमोन्नत वेतनमान और एरियर्स का भुगतान करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सोना साहू के खाते में राशि जमा कराई, जो अन्य शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया।
इस फैसले ने प्रदेश के हजारों शिक्षकों को प्रेरित किया, और उन्होंने भी अपने अधिकारों के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, कई शिक्षकों ने बताया कि उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन को स्कूल शिक्षा विभाग और DPI ने खारिज कर दिया, जिसके बाद वे दोबारा हाई कोर्ट पहुंचे हैं।
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हाई कोर्ट नाराज, "तैयारी अधूरी क्यों?"
सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। इस पर जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब सुनवाई की तारीख पहले से तय थी, तो सरकार ने समय पर तैयारी क्यों नहीं की? फिर भी, कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए 15 सितंबर तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया। यह सख्त रुख दर्शाता है कि कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
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कांग्रेस का हमला, "युवाओं के साथ छल"
इस मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने कहा, “बीजेपी सरकार छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ छल कर रही है। पहले गौठान योजना बंद की, और अब अतिथि शिक्षक भर्ती में बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह स्थानीय युवाओं के साथ सरासर अन्याय है।” कांग्रेस ने इस नीति का कड़ा विरोध करते हुए सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।
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