छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शिक्षकों के क्रमोन्नत वेतनमान पर 15 सितंबर तक मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ के लगभग 300 स्कूल शिक्षकों ने अपने क्रमोन्नत वेतनमान और बकाया (एरियर्स) की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इन सभी याचिकाओं पर जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में एक साथ सुनवाई हुई।

author-image
Krishna Kumar Sikander
New Update
Chhattisgarh High Court sought reply by September the sootr
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षकों के क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर चल रहा विवाद अब हाई कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। प्रदेश के करीब 300 शिक्षकों ने वेतनमान और एरियर्स की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर एकसाथ सुनवाई हुई।

जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने में देरी पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने सरकार को अंतिम मौका देते हुए 15 सितंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी जवाबी दस्तावेज (रिज्वाइंडर) दाखिल करने की अनुमति दी गई है।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, विधवा बहू को पुनर्विवाह तक ससुर से मिलेगा भरण-पोषण

शिक्षकों का भेदभाव का आरोप

याचिकाकर्ता शिक्षकों का आरोप है कि स्कूल शिक्षा विभाग और जन शिक्षण संचालनालय (DPI) ने समान प्रकृति के मामलों में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है। शिक्षकों का कहना है कि कुछ मामलों में क्रमोन्नत वेतनमान और एरियर्स का भुगतान किया गया, जबकि अन्य शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया।

इस भेदभाव के खिलाफ प्रदेशभर के शिक्षकों ने हाई कोर्ट का रुख किया है। जानकारी के अनुसार, अब तक 27,000 से अधिक शिक्षकों ने क्रमोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर क्रमबद्ध सुनवाई शुरू होगी।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला, कुत्ते का जूठा भोजन खिलाने के मामले में बच्चों को मुआवजा देने का आदेश

शिक्षकों के लिए मील का पत्थर

इस विवाद की शुरुआत शिक्षिका सोना साहू की याचिका से हुई, जिसमें हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को क्रमोन्नत वेतनमान और एरियर्स का भुगतान करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सोना साहू के खाते में राशि जमा कराई, जो अन्य शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया।

इस फैसले ने प्रदेश के हजारों शिक्षकों को प्रेरित किया, और उन्होंने भी अपने अधिकारों के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, कई शिक्षकों ने बताया कि उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन को स्कूल शिक्षा विभाग और DPI ने खारिज कर दिया, जिसके बाद वे दोबारा हाई कोर्ट पहुंचे हैं।

ये खबर भी पढ़ें... बेरोजगार पति को ताना मारना है मानसिक क्रूरता... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हाई कोर्ट नाराज, "तैयारी अधूरी क्यों?"

सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। इस पर जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब सुनवाई की तारीख पहले से तय थी, तो सरकार ने समय पर तैयारी क्यों नहीं की? फिर भी, कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए 15 सितंबर तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया। यह सख्त रुख दर्शाता है कि कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जेलों में अवैध वसूली पर जताई सख्त नाराजगी, डीजी जेल से मांगी कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट

कांग्रेस का हमला, "युवाओं के साथ छल"

इस मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने कहा, “बीजेपी सरकार छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ छल कर रही है। पहले गौठान योजना बंद की, और अब अतिथि शिक्षक भर्ती में बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह स्थानीय युवाओं के साथ सरासर अन्याय है।” कांग्रेस ने इस नीति का कड़ा विरोध करते हुए सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।

thesootr links

द सूत्र कीt खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

छत्तीसगढ़ शिक्षकों का वेतन | शिक्षकों का एरियर्स | छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ शिक्षकों का वेतन क्रमोन्नत वेतनमान शिक्षकों का एरियर्स जस्टिस रविंद्र अग्रवाल