20 साल से अटका है लेमरू एलिफेंट रिजर्व, आखिर कब मिलेगा हाथियों को ठिकाना

छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्या बन चुका है। पिछले 11 साल में इस संघर्ष में 600 लोगों और 221 हाथियों की जान जा चुकी है।

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Pravesh Shukla
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छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्या बन चुका है। पिछले 11 साल में इस संघर्ष में 600 लोगों और 221 हाथियों की जान जा चुकी है। लेमरू एलिफेंट रिजर्व की मांग 2005 से उठ रही थी, लेकिन प्रशासनिक, राजनीतिक और औद्योगिक कारणों से यह प्रोजेक्ट 20 सालों तक अटका रहा। हालांकि, दिसंबर 2024 में आखिरकार इसका अंतिम नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिससे रिजर्व की स्थापना की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई।

लेमरू एलिफेंट रिजर्व कब बनेगा और इसकी शुरुआत कब हुई थी?

लेमरू एलिफेंट रिजर्व की स्थापना की शुरुआत 2005 में हुई थी, जब पहली बार हाथी रिजर्व बनाने की मांग उठी। यह मांग छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को देखते हुए की गई थी। इस रिजर्व का अंतिम नोटिफिकेशन दिसंबर 2024 में जारी हुआ, जिसके बाद रिजर्व की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई ।

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लेमरू एलिफेंट रिजर्व का क्षेत्रफल और इसमें कौन-कौन से जिले शामिल हैं?

लेमरू एलिफेंट रिजर्व का कुल एरिया 1,995 वर्ग किलोमीटर है। यह रिजर्व छत्तीसगढ़ के तीन प्रमुख जिलों कोरबा, सरगुजा और रायगढ़  में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत प्रमुख वनमंडल कोरबा, कटघोरा और धरमजयगढ़ शामिल हैं, जहां हाथियों का बड़ा समूह निवास करता है।

हाथियों और मानव के बीच संघर्ष के कारण

हाथियों और मानव के बीच संघर्ष का मुख्य कारण जंगलों की कटाई और प्राकृतिक आवास का सिमटना है।  जब हाथियों के पास पर्याप्त भोजन और पानी नहीं होता, तो वे गांवों की ओर रुख करते हैं, जिससे फसल और संपत्ति को नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही कोयला खदानों और दूसरी औद्योगिक परियोजनाओं के कारण हाथियों के प्राकृतिक आवास में कटौती हुई है, जिससे संघर्ष बढ़ा है।

छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष में कितने लोगों और हाथियों की मौत हुई है?

पिछले 11 साल में मानव-हाथी संघर्ष में छत्तीसगढ़ में 600 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 2001 से 2024 तक कुल 221 हाथी मारे गए हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस संघर्ष का प्रभाव कितना गंभीर हो चुका है, और इसके समाधान की आवश्यकता अब बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।

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लेमरू हाथी रिजर्व प्रोजेक्ट इतने सालों से क्यों अटका हुआ था?

लेमरू हाथी रिजर्व का प्रोजेक्ट इतने सालों तक क्षेत्रफल  विवाद और कोयला खदानों  और क्षेत्र में आवास में कटौती के विरोध ने भी इस प्रोजेक्ट को जटिल बना दिया था। इसके अलावा, प्रशासनिक और राजनीतिक फैलसों में देरी ने रिजर्व की स्थापना प्रक्रिया को लंबे समय तक रोककर रखा।

हाथियों की मौत के मुख्य कारण

हाथियों की मौत के प्रमुख कारणों में करंट लगना, अवैध शिकार, आवास की कमी, और भोजन-पानी की तलाश शामिल हैं। ग्रामीणों द्वारा फसल बचाने के लिए लगाए गए करंट के जाल से हाथी अक्सर घायल हो जाते हैं या मारे जाते हैं।

हाथी रिहायशी इलाकों की ओर क्यों जाते हैं?

हाथी अपने प्राकृतिक आवास में भोजन और पानी की कमी के कारण रिहायशी इलाकों की ओर रुख करते हैं। जंगलों का कटाव और खनन परियोजनाओं के कारण उनका प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है, जिससे उनका मनुष्यों के नजदीक जाना बढ़ गया है।

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लेमरू रिजर्व के लिए सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं?

लेमरू हाथी रिजर्व के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें फलदार पौधों का रोपण, तालाबों और जलाशयों का निर्माण, और वन विभाग की निगरानी में योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है। इसके अलावा, 20 करोड़ रुपये का बजट जल प्रबंधन के लिए स्वीकृत किया गया है।

हाथियों के लिए चारा और पानी की व्यवस्था कैसे की जा रही है?

हाथियों के लिए चारा और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने फलदार पौधों का रोपण और तालाबों का निर्माण किया है। नालियों और जलाशयों के माध्यम से पानी की कनेक्टिविटी भी स्थापित की गई है।

क्या लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनने से किसी गांव का विस्थापन होगा?

फिलहाल, लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनने से बड़े पैमाने पर किसी गांव का विस्थापन होने की संभावना नहीं है। क्षेत्र में जनसंख्या कम और घने जंगल हैं, और विस्तृत सर्वेक्षण के बाद ही विस्थापन के बारे में कोई फैसला लिया जाएगा।

लेमरू रिजर्व का मुख्य उद्देश्य क्या है?

लेमरू हाथी रिजर्व का मुख्य उद्देश्य हाथियों को एक स्थायी आवास प्रदान करना, मानव-हाथी संघर्ष को कम करना और क्षेत्रीय पर्यावरण और जैव विविधता का संरक्षण करना है।

क्या लेमरू रिजर्व में सिर्फ हाथी ही रहेंगे या अन्य वन्यजीव भी हैं?

लेमरू रिजर्व में सिर्फ हाथी ही नहीं, बल्कि कई दूसरे वन्यजीव, पक्षी और औषधीय पौधों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं। यह रिजर्व वन्यजीवों की विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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क्या लेमरू हाथी रिजर्व से मानव-हाथी संघर्ष कम होगा?

लेमरू हाथी रिजर्व बनने से हाथियों को स्थायी आवास मिलेगा, जिससे वे गांवों की ओर कम जाएंगे और मानव-हाथी संघर्ष में कमी आएगी। इससे स्थानीय समुदायों और हाथियों दोनों के लिए सुरक्षा और संरक्षण बढ़ेगा।

लेमरू हाथी रिजर्व का अंतिम नोटिफिकेशन कब जारी हुआ?

लेमरू हाथी रिजर्व का अंतिम नोटिफिकेशन दिसंबर 2024 में जारी हुआ, जिससे इस प्रोजेक्ट की स्थापना की प्रक्रिया पूरी तरह से शुरू हो गई।

हाथी और मानव के बीच संघर्ष रोकने के लिए कौन-कौन सी रणनीतियां बनाई गई हैं?

मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए सरकार ने कई रणनीतियां बनाई हैं, जिनमें प्राकृतिक आवास में सुधार, फलदार पौधों और जल स्रोतों की व्यवस्था, निगरानी और अलर्ट सिस्टम, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी और मुआवजा योजना शामिल हैं।


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