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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. छत्तीसगढ़ में इन दिनों आईएएस के ट्रांसफर लिस्ट को लेकर हर जगह चर्चा है। इस लिस्ट में एक नाम चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिखा राजपूत तिवारी का भी है। वे अप्रैल 2025 में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त बनाई गई थीं। लेकिन महज 7 महीने बाद पद से हटा दी गईं।
जब द सूत्र ने इसे लेकर पड़ताल की तो पता चला कि बीते 2 साल में 6 आयुक्तों का तबादला हो गया है। इधर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मामले में जवाब नहीं दिया। पूरे 24 घंटे बाद भी मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया।
इन आयुक्तों का हुआ तबादला
प्रदेश में पिछली सरकार में एक प्रयोग किया गया। इस प्रयोग में स्वास्थ्य विभाग की ही तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग में भी आयुक्त पद पर नियुक्ति की गई। 31 जनवरी 2023 को राज्य में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के रुप में आईएएस सुश्री नम्रता गांधी की नियुक्ति हुई। इन्हें 4 महीने बाद ही हटा दिया गया।
फिर उनकी जगह आईएएस अब्दुल कैसर हक ने ली लेकिन वे भी 1 महीने में ही हटा दिए गए। सरकार ने सीनियर आईएएस जेपी मौर्य को चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की जिम्मेदार दी। इस नियुक्ति के बाद राज्य में सरकार बदल गई।
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नई सरकार में भी मंत्री से तालमेल नहीं
नई सरकार में भी आयुक्त,छत्तीसगढ़ सरकार की कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अधिकारी विभागीय मंत्री से तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। इसी कारण सरकार बनते ही जेपी मौर्य को पद हटा दिया गया। जनवरी 2024 से अगस्त 2024 तक जनक प्रसाद पाठक को आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान लोकसभा चुनाव में ड्यूटी के लिए वे उत्तर प्रदेश में थे। उनकी जगह चंदन कुमार को आयुक्त का प्रभार दिया गया था।
अगस्त 2024 से अप्रैल 2025 तक किरण कौशल आयुक्त के पद पर रहीं। लेकिन उन्हें हटाकर शिखा राजपूत तिवारी को आयुक्त चिकित्सा शिक्षा की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन नवंबर में फिर से उनका तबादला कर आईएएस रितेश अग्रवाल को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
क्यों हो रहे तबादले
डॉक्टरों और शासन के ब्रिज में रुप में पहले संचालक चिकित्सा शिक्षा काम करता था। लेकिन, सरकार का मानना था कि इससे प्रशासनिक कसावट में कमी आती थी।
विरोध के बाद आयुक्त चिकित्सा शिक्षा पद बनाकर डीएमई के उपर हेल्थ कमिश्नर को बैठा दिया गया। वित्तीय, प्रशासनिक अधिकार भी डीएमई से ले लिए गए। लेकिन, चिकित्सा शिक्षा में हालात जस के तस बने हैं। इधर कांग्रेस का आरोप है कि मामला वित्तीय पक्ष से जुड़ा है।
आयुक्त चिकित्सा शिक्षा के अधिकारियों का कार्यकाल
| कार्यकाल | आधिकारिक नाम | तिथि | अवधि (दिनों में) |
|---|---|---|---|
| नम्रता गांधी | 31 जनवरी 2023 से 2 मई 2023 | 92 दिन | 92 दिन |
| अब्दुल कैसर हक | 2 मई 2023 से 28 जून 2023 | 57 दिन | 57 दिन |
| जेपी मौर्या | 7 जून 2023 से 3 जनवरी 2024 | 211 दिन | 211 दिन |
| चंद्रकांत वर्मा (अतिरिक्त प्रभार) | 3 जनवरी से 22 जनवरी 2024 | 19 दिन | 19 दिन |
| जनक प्रसाद पाठक | 22 जनवरी 2024 से 2 अगस्त 2024 | 194 दिन | 194 दिन |
| चंदन कुमार (अतिरिक्त प्रभार) | 5 मई से 4 जून 2024 | 31 दिन | 31 दिन |
| किरण कौशल | 2 अगस्त 2024 से 21 अप्रैल 2025 | 235 दिन | 235 दिन |
| शिखा राजपूत तिवारी | 21 अप्रैल 2025 से 28 नवंबर 2025 | 191 दिन | 191 दिन |
| रितेश अग्रवाल | 28 नवंबर 2025 से अब तक | (अवधि लंबित) | (अवधि लंबित) |
वित्तीय मामला ट्रांसफर की वजह
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि सरकार ने अच्छे प्रबंधन का कारण बता प्रदेश के डॉक्टरों के अधिकार कमजोर करने की कोशिश की थी। लेकिन समझना चाहिए था कि डॉक्टरों का प्रबंधन डॉक्टर से अच्छा कोई नहीं कर सकता। सारा खेल वित्तीय पक्ष को ध्यान में रखकर खेला जा रहा है। इस प्रबंधन में फेल होने के कारण ही ट्रांफसर हो रहे हैं। अधिकारी उनकी अपेक्षा पर खरे नहीं उतर रहे।
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पिछली सरकार ने व्यवस्था बिगाड़ी
भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विमल चोपड़ा ने कहा कि पिछली सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त कर दिया था। डीएमई का अधिकार भी उनसे छीन लिया गया था। भाजपा व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रही है। अगर प्रशासनिक अधिकार परफार्मेंस नहीं दे पाएंगे तो डीएमई को ही वापस अधिकार दे दिए जाएंगे।
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