CG liquor scam: रिटायर्ड IAS निरंजन दास और कारोबारी यश पुरोहित की रिमांड बढ़ी,EOW की जांच जारी

छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित शराब घोटाला फिर सुर्खियों में है। रिटायर IAS निरंजन दास और कारोबारी नीतेश-यश पुरोहित कोर्ट में पेश हुए। 3200 करोड़ की अवैध शराब बिक्री का रहस्य अब धीरे-धीरे खुल रहा है।

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Harrison Masih
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CG liquor scam: राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू की रिमांड पर चल रहे रिटायर IAS निरंजन दास, कारोबारी नीतेश पुरोहित और यश पुरोहित को आज ACB-EOW स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने पहले ही तीनों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। रिमांड खत्म होने के बाद आज कोर्ट में पेश किया गया, जहां यश पुरोहित और निरंजन दास की रिमांड चार दिन के लिए बढ़ा दी गई, जबकि नीतेश पुरोहित को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।

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आरोप और सिंडिकेट का नेटवर्क

ईओडब्ल्यू के अनुसार, इस शराब घोटाले का पैसा सिंडिकेट के सदस्य अनवर ढेबर के पास जाता था। जनवरी 2019 से फरवरी 2020 तक यह रकम जेल रोड स्थित गिरीराज होटल में रखवाया जाता था, जो नीतेश पुरोहित और यश पुरोहित का है।

अधिकारियों के अनुसार, इस होटल से यह रकम नेताओं, सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और पार्टी फंड तक पहुंचाई जाती थी। रकम पहुंचाने का काम अनवर के मैनेजर दीपेन चावड़ा के माध्यम से किया जाता था। वहीं, भ्रष्टाचार के पैसे का एक हिस्सा भिलाई भेजने का काम लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू और चैतन्य द्वारा मैनेज किया गया। आरोपों के अनुसार, रकम का एक हिस्सा तत्कालीन आयुक्त निरंजन दास तक भी पहुंचा।

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बी-पार्ट शराब घोटाले की पूरी तस्वीर

बी-पार्ट शराब घोटाला 2019 से 2023 के बीच हुआ। राज्य के 15 बड़े जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा बिना ड्यूटी चुकाई गई देसी शराब की शासकीय दुकानों में समानांतर अवैध बिक्री की गई। बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर चयनित जिलों में अधिक खपत वाली देसी शराब दुकानों को डिस्टलरी से सीधे अतिरिक्त अवैध शराब भेजी जाती थी, जिसे वैध शराब के साथ समानांतर बेचा जाता था।

इस नेटवर्क में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, जिला प्रभारी अधिकारी, मंडल व वृत्त प्रभारी और मैनपावर एजेंसी के अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे। अवैध शराब को “बी-पार्ट शराब” कहा जाता था और इससे अर्जित रकम सीधे सिंडिकेट के पास पहुंचाई जाती थी।

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

  1. बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री: 2019 से 2023 के बीच 15 बड़े जिलों में आबकारी अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा सरकारी शराब दुकानों में वैध शराब के साथ समानांतर अवैध शराब (बी-पार्ट शराब) बेची गई।

  2. सिंडिकेट नेटवर्क: घोटाले में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, जिला व मंडल अधिकारी और मैनपावर एजेंसी के कर्मचारी शामिल थे।

  3. पैसे का मार्ग: अवैध बिक्री से अर्जित रकम होटल और मैनेजरों के माध्यम से नेताओं, सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों और पार्टी फंड तक पहुंचाई जाती थी।

  4. आर्थिक हद: अब तक जांच में 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की बिक्री पकड़ी गई, जिसकी अनुमानित कीमत 3200 करोड़ रुपये से अधिक है।

  5. जांच और कार्रवाई: ईओडब्ल्यू ने सभी मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया और मामले की गहन जांच जारी है, जिससे और भी नाम सामने आ सकते हैं।

घोटाले का आकार

EOW/ACB की जांच और 200 से अधिक व्यक्तियों के बयान एवं डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर अनुमान है कि लगभग 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री हुई, जिसकी अनुमानित कीमत 2174 करोड़ रूपए से अधिक है। पहले यह राशि 2161 करोड़ रूपए आंकी गई थी, लेकिन नवीनतम आंकड़ों के अनुसार घोटाले की कुल राशि 3200 करोड़ रूपए से अधिक हो सकती है।

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जांच और भविष्य की कार्रवाई

ईओडब्ल्यू ने बताया कि मामले की गहन जांच जारी है और इस घोटाले में और भी नाम सामने आ सकते हैं। जिनके खिलाफ भी कार्रवाई जरूरी होगी, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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