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छत्तीसगढ़ में हाल ही में तीन नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद मंत्रिमंडल का आकार बढ़कर 13 हो गया है। लेकिन रायपुर के मंत्रालय भवन में इस बढ़ी हुई संख्या ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सामने एक अनोखी चुनौती खड़ी कर दी है।
मंत्रालय के मंत्री ब्लॉक में केवल 12 कमरे उपलब्ध हैं, और 13वें मंत्री के लिए कोई समर्पित कमरा नहीं बचा है। इस स्थिति ने जीएडी को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए मजबूर कर दिया है, और अब विभाग ने इस मसले पर ऊपरी स्तर से मार्गदर्शन मांगा है। इसके साथ ही, मंत्रालय में सचिवों के लिए भी कमरों की कमी ने प्रशासनिक व्यवस्था को और जटिल बना दिया है।
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मंत्रालय में कमरों की स्थिति
मंत्रालय भवन, जिसे नया रायपुर में बनाया गया है, में कुल पांच मंजिलें हैं। पांचवीं मंजिल पर मुख्यमंत्री का कार्यालय और उनके सचिवालय के अधिकारियों के चैंबर हैं। बाकी चार मंजिलें मंत्रियों और उनके स्टाफ के लिए आरक्षित हैं, जहां प्रत्येक मंजिल पर तीन मंत्रियों के लिए चैंबर बनाए गए हैं।
इस तरह, कुल 12 मंत्रियों के लिए कमरे डिज़ाइन किए गए थे। लेकिन अब, मंत्रिमंडल में 13वें मंत्री के शामिल होने से जीएडी के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि अतिरिक्त मंत्री के लिए कार्यालय की व्यवस्था कहां की जाए।
जीएडी के अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में नियुक्त तीन नए मंत्रियों में से दो के लिए तो कमरे उपलब्ध हैं, लेकिन तीसरे मंत्री के लिए कोई समर्पित चैंबर नहीं है। विभाग ने अस्थायी तौर पर दो छोटे कमरों को जोड़कर एक चैंबर बनाने की कोशिश की है ।
यह व्यवस्था मंत्रियों के लिए बनाए गए अन्य 12 कमरों की तरह विशाल और सुविधाजनक नहीं है। इस वैकल्पिक व्यवस्था को अंतिम रूप देने से पहले जीएडी ने उच्च अधिकारियों से यह तय करने के लिए मार्गदर्शन मांगा है कि इस छोटे कमरे को किस मंत्री को आवंटित किया जाए।
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सचिवों के लिए भी जगह की तंगी
मंत्रियों के कमरों की कमी के साथ-साथ मंत्रालय में सचिवों के लिए भी स्थान की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। जब मंत्रालय भवन का निर्माण हुआ था, उस समय छत्तीसगढ़ में सचिवों की संख्या एक दर्जन से थोड़ी अधिक थी। लेकिन अब, आईएएस अधिकारियों की संख्या बढ़कर 50 से अधिक हो गई है।
इस बढ़ती संख्या ने मंत्रालय में कमरों की कमी को और गंभीर बना दिया है। कई सचिवों को संसदीय सचिवों के कमरों में समायोजित किया जा रहा है, जिससे कार्यालयी व्यवस्था में असुविधा हो रही है। मंत्रालय के डिज़ाइन के समय कमरों को काफी बड़े आकार में बनाया गया था।
अगर उस समय कमरों का आकार कुछ छोटा रखा गया होता, तो अधिक चैंबर बनाए जा सकते थे। हालांकि, नया रायपुर में जगह की कोई कमी नहीं थी, फिर भी डिज़ाइन में इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि भविष्य में मंत्रियों और सचिवों की संख्या बढ़ सकती है।
जीएडी की वैकल्पिक व्यवस्था और भविष्य की योजना
जीएडी ने तात्कालिक समाधान के तौर पर दो छोटे कमरों को जोड़कर तीसरे मंत्री के लिए अस्थायी चैंबर तैयार करने का प्रयास किया है। लेकिन यह व्यवस्था स्थायी समाधान नहीं मानी जा रही, क्योंकि यह अन्य मंत्रियों के चैंबर की तुलना में कम सुविधाजनक है। जीएडी ने इस मसले पर उच्च स्तरीय अनुमति मांगी है, ताकि यह तय हो सके कि इस अस्थायी चैंबर को किसे आवंटित किया जाए।
इसके साथ ही, सरकार अब मंत्रालय भवन के विस्तार (एक्सपेंशन) पर विचार कर रही है। भविष्य में मंत्रियों और सचिवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भवन में अतिरिक्त कमरे बनाने की योजना पर चर्चा शुरू हो गई है। यह कदम न केवल मौजूदा स्थान की कमी को दूर करेगा, बल्कि मंत्रालय की कार्यप्रणाली को और सुगम बनाएगा।
मंत्रालय डिज़ाइन की कमी और भविष्य की जरूरतें
मंत्रालय भवन के डिज़ाइन के समय इस बात की कल्पना नहीं की गई थी कि मंत्रिमंडल का आकार 12 से अधिक हो सकता है। हरियाणा में 13 मंत्रियों की नियुक्ति के बाद छत्तीसगढ़ में भी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसने इस कमी को उजागर कर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि भवन के डिज़ाइन में भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए था। अब, जब सचिवों और मंत्रियों की संख्या बढ़ रही है, तो मंत्रालय के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
स्थानीय चर्चा और प्रशासनिक चुनौती
मंत्रालय में कमरों की कमी की खबर ने न केवल प्रशासनिक हलकों में, बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इसे मंत्रालय के डिज़ाइन में दूरदर्शिता की कमी मान रहे हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि नया रायपुर जैसे आधुनिक शहर में इस तरह की समस्या अप्रत्याशित है, क्योंकि यहां जगह की कोई कमी नहीं है।
जीएडी के सामने अब यह चुनौती है कि वह न केवल तात्कालिक समाधान निकाले, बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए दीर्घकालिक योजना भी बनाए। मंत्रालय भवन के विस्तार की योजना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकती है।
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