दो साल और 50 बैठकों के बाद बना छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने के विधेयक का नया मसौदा, यूपी और एमपी के कानून से लिये प्रावधान

छत्तीसगढ़ सरकार की लंबे समय से चली आ रही धर्मांतरण को लेकर नए और सख्त कानून बनाने की कवायद पूरी हो गई है। सरकार ने कानून का नया मसौदा तैयार कर लिया है। 14 दिसंबर से शुरु हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा।

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Arun Tiwari
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Raipur. छत्तीसगढ़ सरकार की लंबे समय से चली आ रही धर्मांतरण को लेकर नए और सख्त कानून बनाने की कवायद पूरी हो गई है। सरकार ने कानून का नया मसौदा तैयार कर लिया है। 14 दिसंबर से शुरु हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा। विधानसभा के नए भवन में यह पहला नया कानून बनेगा।

सरकार ने इस मसौदे को तैयार करने में दो साल लगाए हैं जिसमें 50 से ज्यादा बैठकें की गई हैं। इतना ही नहीं इस धर्म स्वातत्र्य विधेयक को अंतिम रुप देने से पहले 9 राज्यों के कानूनों का अध्ययन भी किया गया है। इस विधेयक में सबसे ज्यादा यूपी और एमपी के कानून के प्रावधान शामिल किए गए हैं।सरकार को लगता है कि नए कानून से छत्तीसगढ़ में मतांतरण पर अंकुश लग सकेगा। 

नई विधानसभा में पहला नया कानून : 

1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पित हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए और भव्य भवन में 14 दिसंबर से विधानसभा का पहला शीतकालीन सत्र शुरु होने जा रहा है। इस नई विधानसभा में धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ का पहला नया कानून भी बनेगा। सरकार ने धर्मांतरण के कानून को और सख्त बनाने के लिए नया मसौदा तैयार किया है। धर्म स्वातंत्र्य कानून के इस नए विधेयक को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस बात की पुष्टि की है।

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द सूत्र ने इस नए मसौदे के प्रमुख बिंदुओं को जानने के लिए इसकी पड़ताल की। इस मसौदे को तैयार करने में सरकार ने 2 साल का वक्त लगाया है। इतना ही नहीं इसके लिए 50 से ज्यादा बैठकें भी की गई हैं। जिन राज्यों में इस तरह का कानून लागू है उन राज्यों में इसका पूरा अध्ययन भी किया गया है। साथ ही ये जानकारी भी जुटाई गई है कि इस कानून का कितना असर हुआ है। दूसरे राज्यों में लागू धर्म स्वातंत्र्य कानूनों के प्रमुख बिंदुओं को भी इस नए मसौदे में शामिल किया गया है। 

इन राज्यों से ली गई जानकारी : 

  • मध्यप्रदेश
  • उत्तरप्रदेश
  • उड़ीसा
  • झारखंड
  • गुजरात
  • हिमांचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • कर्नाटक
  • अरुणाचल प्रदेश

इस तरह का नया कानून : 

- धर्म परिवर्तन से दो महीने पहले फॉर्म भरकर जिला प्रशासन को देना होगा, जिला और पुलिस प्रशासन इसकी पूरी पड़ताल करेगा जिसमें कारणों की जानकारी ली जाएगी। 
- यदि ऐसा नहीं किया गया तो धर्म परिवर्तन अमान्य माना जाएगा
- किसी तरह के दबाव, लालच या धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। 
- इस तरह किया गया विवाह कानूनन मान्य नहीं होगा। 
- एससी या एसटी के लोगों को धर्मांतरण के बाद आरक्षण और सरकारी लाभ नहीं मिलेगा। 
- परिजन धर्मांतरण पर आपत्ति लेकर एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
- महिलाओं,नाबालिगों और अनुसूचित जाति,जनजाति के लोगों का अवैध धर्म परिवर्तन कराने पर दो से 10 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। 
- सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल तक की जेल और 50 हजार तक जुर्माना लगाया जाएगा। 
- कोर्ट पीड़ित को 5 लाख तक मुआवजा देने का आदेश दे सकता है। 
- धर्म परिवर्तन वैध है या नहीं इसको साबित करने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले की होगी।  

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छत्तीसगढ़ में क्यों है इसकी जरुरत : 

छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहा है। इसको लेकर संघ खासतौर पर चिंता जता चुका है। संघ इस तरह के धर्मांतरण को रोकने के लिए काम भी कर रहा है। इसके अलावा जूदेव परिवार भी घर वापसी अभियान चला रहा है। सरकार से जुड़े जानकार कहते हैं कि धर्म परिवर्तन के मामले बहुत कम दर्ज किए जाते हैं लेकिन असल में इसकी संख्या अब लाखों में पहुंच गई है। धर्म परिवर्तन का ये जाल अब बस्तर के सुदूर अंचलों से प्रदेश के बड़े शहरों तक पहुंच गया है।

 चंगाई सभा जैसा आयोजन असल में धर्म परिवर्तन के लिए ही किया जाता है। छत्तीसगढ़ में छोटे बड़े 900 से ज्यादा चर्च हैं जहां पर इस तरह की बातें सामने आती रही हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में खासकर बस्तर, जशपुर, रायगढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में लिया जा रहा है। यह विवाद का विषय बना हुआ है। बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र में तो यह गुटीय संघर्ष में तब्दील हो चुका है।

कांकेर जिले में धर्म परिवर्तन की घटनाओं के बाद अब 14 गांवों में पास्टर और पादरियों के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया। ग्रामीणों के मुताबिक यह कदम उन्होंने अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए उठाया है। इन 14 गांवों में से एक जामगांव है जिसकी जनसंख्या करीब 7 हजार है। यहां 14-15 परिवारों ने अघोषित रूप से ईसाई धर्म अपना लिया है। सरकार कहती है कि इस नए कानून के बाद छत्तीसगढ़ में हो रहे धर्मांतरण पर लगाम लगाई जा सकेगी।

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