धर्मांतरण कानून लाने को तैयार सरकार, शीतकालीन सत्र में विधेयक हो सकता है पेश

राज्य में बढ़ते धर्मांतरण पर साय सरकार नया कानून बनाने की तैयारी कर चुकी है। सरकार आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक कठोर मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करेगी।

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VINAY VERMA
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RAIPUR. राज्य में बढ़ते धर्मांतरण पर साय सरकार नया कानून बनाने की तैयारी कर चुकी है। सरकार आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक कठोर मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करेगी। इस विधेयक को पास होने के बाद छग में जबरिया धर्मांतरण को रोकने की दिशा में साय सरकार का महत्वपूर्ण कदम होगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ में जबरन और प्रलोभन आधारित मतांतरण एक बड़ी समस्या है। 

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नौ राज्यों का दौरान

ड्राफ्ट तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने नया कानून तैयार करने के लिए ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत नौ राज्यों के धर्म स्वतंत्रता अधिनियमों का अध्ययन किया है। जिसके बाद ड्राफ्ट में कुल 17 प्रावधान शामिल किए गए हैं। प्रस्तावित कानून में प्रलोभन, धोखाधड़ी, दबाव या किसी भी तरह की जबरदस्ती से किए गए धर्मांतरण या मतांतरण को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। 

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ऐसे समझें पूरी खबर 

साय सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में नया कठोर मतांतरण विरोधी कानून लाने की तैयारी कर रही है।

ड्राफ्ट तैयार करने के लिए ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित नौ राज्यों के कानूनों का अध्ययन किया गया है।

जबरन, प्रलोभन या धोखे से किए गए धर्मांतरण को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाएगा।

नया कानून 1968 के अधिनियम की जगह लेगा, जिसमें 1 साल की सजा थी; अब सजा 10 साल तक हो सकती है।

बस्तर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है, उसके बाद जशपुर और रायगढ़ में धर्मांतरण को लेकर अक्सर विवाद होते हैं।

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10 साल की होगी सजा

अगर यह नया कानून लागू हुआ तो वह 1968 में बने धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की जगह लेगा। जिसमें जबरन धर्मांतरण या मतांतरण पर केवल 1 वर्ष की सजा और 5,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन अब नए नियम के तहत 10 साल की सजा होगी। 

बस्तर सबसे अधिक प्रभावित

राज्य में धर्मांतरण या मतांतरण से सबसे अधिक बस्तर प्रभावित है उसके बाद जशपुर और रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों हैं। यहां आदिवासी और जनजातियों को प्रलोभन देकर ईसाई धर्मांतरण का आरोप लगते हैं। इन जिलों में इससे विवाद कई बार सामाजिक संघर्ष का रुप ले लेता है।

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