शिव शंकर सारथी@RAIPUR. छत्तीसगढ़ के सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिले वॉर जोन हैं। इस वॉर जोन में छत्तीसगढ़ पुलिस कभी वर्दी पहनने से भी डरती थी, लेकिन फरवरी 2024 से अब तक लगभग 135 माओवादियों को अर्द्ध सैनिक बलों के साथ मिलकर मार देने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस फिर से बड़े सवालों के घेरे में है। पीडिया मुठभेड़ को सिर्फ कांग्रेस ही नहीं दूसरे दल के राजनेताओं ने भी फर्जी मुठभेड़ करार दिया है। बीजापुर के पीडिया में हुई नक्सल मुठभेड़ सियासत शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस और सर्व आदिवासी समाज ने इसे फर्जी बताया है। इसकी जांच के लिए जांच समिति भी गठित कर दी है।
नक्सलियों के परिवार से मिले ये नेता
उधर, आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुकी सोनी सोरी कथित नक्सलियों की पत्नियों और बच्चों को लेकर बीजापुर कलेक्टर कार्यालय पहुंची। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, पीडिया गांव तक पहुंचे और उन्होंने AAP नेता सोनी सोरी के जैसा स्टैंड लिया। इन दोनों नेताओं की तरह पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी पीडिया मुठभेड़ को फर्जी बताया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराने का दावा गया है। फरवरी से अब तक हुई लगभग सभी मुठभेड़ों के बाद माओवादियों की ओर से प्रेस नोट जारी किया गया.. लेकिन, गंभीर आरोपों से भरे उनके प्रेस नोट की ज्यादा चर्चा नहीं हुई।
कवासी के बयान पर केदार का पलटवार
पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने कहा कि तेंदूपत्ता तोड़ने गए गांव वालों का उठाकर मारा गया है। यह नक्सल एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी है। लखमा के इस बयान पर छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने तंज कसते हुए कहा कि लखमा नक्सलियों की भाषा बोल रहे हैं।
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गठित जांच समिति में कौन- कौन
मामले में जांच के लिए सर्व आदिवासी समाज और कांग्रेस दोनों ने ही जांच समिति गठित कर दी है। कांग्रेस की जांच समिति में बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी, बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल और पूर्व विधायक देवती कर्मा शामिल हैं।
वकील बेला भाटिया ने लिया हालात का जायजा
मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया पीडिया गांव में जाकर हालात का जायजा ले चुकी हैं। कथित नक्सलियों की पत्नियों और परिजनों के साथ एसपी बीजापुर से मिली हैं। बेला भाटिया के मुताबिक एसपी बीजापुर और मंगलूर थाने की पुलिस ने मुठभेड़ मामले पर बकायादा एक FIR दर्ज है कहकर शिकायत को लेने से ही इनकार कर दिया।
पीड़ित महिलाओं और ग्रामीणों से बात करने के बाद बेला भाटिया बता रही हैं कि पीडिया और इतावर इन दोनों गांवों के बीच एक दो किलोमीटर का फासला है। पुलिस ने हवाई फायरिंग करके इतावर गांव के लोगों को पीडिया की ओर भागने के लिए मजबूर किया और ठीक इसके उलट पीडिया के लोगों को इतावर गांव की ओर भागने के लिए मजबूर किया। दोनों गांव के बीच एक जगह पर आस पास लोगों को मारा गया और एनकाउंटर बता दिया गया।
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सबकी कहानी अलग-अलग!
माओवादी अपने प्रेस नोट में 12 में से दो को नक्सली मान रहे हैं। पुलिस की कहानी के मुताबिक दस पुरुष और दो महिला माओवादी को मुठभेड़ में ढेर किया गया है। क्रॉस फायरिंग में एक ग्रामीण और नाबालिग के पैर में तीन गोली लगी है। बेला भाटिया की कहानी नक्सलियों और पुलिस दोनों की कहानी से अलग है।
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