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Raipur. छत्तीसगढ़ की सस्ती बिजली से केंद्र सरकार की ट्रेन सर पर दौड़ रही है, इससे रेलवे को जमकर कमाई भी हो रही है। इसी तरह नियमों के कारण प्रदेश के उद्योगपति भी खूब मालामाल हो रहे हैं।
लेकिन उसका असर आम आदमी पैर पड़ रहा है। ऐसा लगता है की लाइन लॉस हो या अन्य खर्च सभी घरेलू उपभोक्ताओं से ही वसूले जा रहे हैं और इसी का कारण से घरेलू उपभोक्ताओं के ऊपर में 8 रुपए 30 पैसे तक प्रति यूनिट बिजली दर का बोझ डाला गया है सरकार का कहना है कि औद्योगिक गानों को इसलिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाती है ताकि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
किसको कितनी महंगी-कितनी सस्ती
जून, 2024 में ही बिजली के बिलों में वृद्धि की गई। जिसके बाद बिजली की दरों के बदलाव हुआ। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 8.30 रुपये प्रति यूनिट तक जबकि व्यवसायिक उपभोक्ताओं के लिए 6.80 रूपये प्रति यूनिट तक की दर से बिजली दी जाती है।
किसानों के लिए 6.55 रुपये का नई दर तय है, जबकि रेलवे के लिए मात्र 5.55 रुपये प्रति यूनिट और इंडस्ट्रियल के लिए मात्र 4.95 रुपये प्रति यूनिट का दर रखा है।
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किसको कितनी मिलती है बिजली
अक्टूबर 2025 के आंकड़ों के अनुसार 20948.28 मिलियन यूनिट की खपत हुई। जिसमें सबसे अधिक खपत प्रदेश के उद्योगों के द्वारा किया गया। प्रदेश के 60 लाख उपभोक्ताओं का आंकड़ा दूसरे नंबर है। जिसे बिजली पाने के लिए बिजली कंपनी को सबसे अधिक भुगतान करना पड़ता है।
रेलवे भी अपनी ट्रेन चलाने से लेकर ऑफिसों को रौशन करने के लिए छग से ही बिजली लेता हैं जिसके बिजली कंपनी बहुत कम दर पर बिजली मुहैया करवा रही। रेलवे प्रदेश के 28 प्वांइट से राज्य सरकार से बिजली लेती है।
उद्योग- 8067.63 मिलियन यूनिट
रेलवे- 864.40 मिलियन यूनिट
किसान- 5075.25 मिलियन यूनिट
कार्मिशियल- 1423.9 मिलियन यूनिट
घरेलू उपभोक्ता बीपीएल- 1600.41 मिलियन यूनिट
घरेलू उपभोक्ता एपीएल- 4237.64 मिलियन यूनिट
उद्योगों को बढ़ाना उद्देश्य
मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बिजली दरें जन सुनवाई के बाद तय की जाती हैं। जारी दरों का सभी प्रकार के उपभोक्ताओं ने स्वागत किया है। स्टील इंडस्ट्री की दरों में कमी की गई है ताकि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
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