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RAIPUR. छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण और पिछड़े शहरी इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत राज्य सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ निजी विद्यालय प्रोत्साहन नियम, 2025’ तैयार किया है। इस नीति के तहत अब गांव में खुलेंगे सीबीएसई स्कूल। गांवों में भी शहर जैसी आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
इस नई नीति के तहत सरकार सीबीएसई से संबद्ध निजी स्कूलों की स्थापना को बढ़ावा देगी और ऐसे निवेशकों को भारी सब्सिडी और प्रोत्साहन देगी जो स्कूल खोलने के लिए आगे आएंगे।
गांवों और छोटे शहरों पर रहेगा फोकस
सरकार ने कहा है कि ऐसे विद्यालय जो विकासखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर के दायरे में या सीमित सुविधाओं वाले नगरीय क्षेत्रों में खोले जाएंगे, उन्हें निवेश प्रोत्साहन मिलेगा। इन स्कूलों में कम से कम 500 छात्रों की क्षमता होनी चाहिए। कक्षा पहली से बारहवीं तक सीबीएसई मान्यता अनिवार्य होगी। पहले संचालन से 5 वर्षों के भीतर 12वीं तक की मान्यता प्राप्त करना जरूरी होगा।
स्कूल में होंगी ये जरूरी सुविधाएं
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन विद्यालयों में आधुनिक शिक्षा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे —
- छात्रावास
- पुस्तकालय
- स्मार्ट क्लास
- विज्ञान प्रयोगशाला
- खेलकूद की सुविधाएं
इन व्यवस्थाओं से छात्रों को शहरों जैसी सुविधाएं गांवों में ही मिल सकेंगी।
निवेशकों को मिलेगा सरकारी प्रोत्साहन
निवेशक अगर नया सीबीएसई स्कूल खोलना चाहते हैं तो उन्हें “उद्यम आकांक्षा प्रमाण पत्र” और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) के साथ आवेदन देना होगा। परियोजना में यह जानकारी देना जरूरी होगा —
- निवेश की लागत
- स्थल चयन
- भवन का नक्शा (आर्किटेक्चरल प्लान)
- संभावित रोजगार के आंकड़े
निवेश की गणना लोक निर्माण विभाग की दर या ₹2,000 प्रति वर्गफुट (जो न्यूनतम हो) के हिसाब से की जाएगी।
किनमें मिलेगी सब्सिडी
सरकार ने इन स्कूलों को औद्योगिक विकास नीति 2024–30 के दायरे में शामिल किया है। इससे निवेशकों को ये लाभ मिलेंगे —
- ब्याज पर सब्सिडी
- पूंजी लागत सब्सिडी
- स्टांप ड्यूटी में छूट
- बिजली शुल्क में रियायत
मान्य स्थायी पूंजी निवेश में भवन निर्माण, स्मार्ट क्लास, प्रयोगशाला, खेल अधोसंरचना, छात्रावास और मेस जैसी चीजें शामिल होंगी। हालांकि, भूमि, कार्यशील पूंजी और प्रारंभिक व्यय (Pre-Operative Cost) को इसमें नहीं गिना जाएगा।
राज्य स्तरीय समिति करेगी निगरानी
सभी आवेदनों की जांच के लिए एक राज्य स्तरीय समिति बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता आयुक्त/संचालक उद्योग करेंगे। इस समिति में 8 सदस्य होंगे, जिनमें शामिल हैं संबंधित जिले के कलेक्टर, सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, संचालक लोक शिक्षण (इनकी उपस्थिति अनिवार्य होगी), यह समिति सभी प्रस्तावों की समीक्षा कर स्वीकृति देगी।
गांवों को कैसे होगा फायदा
इस नीति से ग्रामीण और छोटे कस्बों को कई तरह के लाभ होंगे-
- अब बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे खर्च और परेशानी दोनों कम होंगी।
- स्कूल खुलने से शिक्षक, स्टाफ और अन्य पदों पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- आधुनिक स्मार्ट क्लास, लैब और खेल सुविधाएं मिलने से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।
- RTE (राइट टू एजुकेशन) के तहत 25% सीटें गरीब और वंचित बच्चों के लिए आरक्षित रहेंगी।
- स्थानीय स्तर पर शिक्षा व्यवस्था मजबूत होने से गांवों में सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुख्य उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य है - “हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाना, चाहे वह गांव में हो या शहर में।” यह योजना ग्रामीण शिक्षा में नई क्रांति लाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है।
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