RAIPUR. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि किसानों को नकली खाद बीज नहीं मिलना चाहिए। सीएम ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि एक बार उन्होंने डीएपी मांगी थी तो उनको डीएपी लिखी हुई दूसरी खाद दी गई। किसानों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। सीएम ने समीक्षा बैठकों का सिलसिला शुरू किया है। सीएम ने गुरुवार को कृषि और उद्यानिकी की समीक्षा बैठक की।
समीक्षा बैठक की खास बातें
- किसानों को समय पर मिले गुणवत्तायुक्त खाद-बीज, भंडारण और वितरण की स्थिति पर रखें निगरानी
- छत्तीसगढ़ के तीन जिलों में पायलट प्राजेक्ट के रूप में तेजी से चल रही है ई-गिरदावरी की तैयारी
- उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस’ की होगी स्थापना
- सुगंधित और महीन धान की खेती को दिया जाए बढ़ावा
- सोयाबीन, पॉम ऑयल, फूलों की खेती को बढ़ावा दें
- मांग के हिसाब से किसानों को मिले खाद और बीज
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बैठक में कहा कि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता खेती-किसानी की बेहतरी को लेकर है। अतः किसानों को खेती-किसानी में सहुलियतें प्रदान करने के लिए खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। भण्डारण और वितरण की स्थिति की लगातार निगरानी की जाए। किसानों को खाद-बीज के वितरण के समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप खाद और बीज मिले।
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किसानों को जागरूक करने के निर्देश
सीएम साय ने किसानों की ज्यादा आमदनी के लिए प्रदेश में सुगंधित और महीन धान की किस्मों को ढूंढ कर इनके उत्पादन के लिए पूरे प्रदेश के किसानों को जागरूक करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुगंधित धान की लगभग 200 किस्में हैं। इनकी बाजार में अच्छी मांग है। इन किस्मों का विदेशों में निर्यात भी किया जा सकेगा। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश
सीएम ने उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए कहा कि जशपुर जिले में आम, लीची, कटहल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। चाय का उत्पादन भी प्रारंभ हुआ है। इनके प्रसंस्करण इकाई की स्थापना भी की जाए।
सीएम साय ने कहा कि खरीफ का सीजन आ गया है। मानसून भी इस वर्ष पहले आने की संभावना है। मानसून आते ही खेती-किसानी का कार्य तेज गति से शुरू हो जाएगा। अधिकारी खरीफ मौसम के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर लें। उन्होंने कहा कि खाद्य बीज का वितरण किसानों को मांग के अनुरूप दिया जाए। साथ ही वितरण का नियमित रूप से मॉनिटरिंग हो। मुख्यमंत्री साय ने किसानों को जैविक खेती, आधुनिक खेती से जोड़ने तथा किसानों के लिए कृषि उपकरणों की उपलब्धता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि क्लस्टर बनाकर कृषि यंत्र थ्रेसर और हार्वेस्टर जैसे कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।
कृषि में टेक्नालॉजी के इस्तेमाल पर फोकस
मुख्यमंत्री साय ने खेती-किसानी में टेक्नालॉजी के प्रयोग पर विशेष जोर दिया। अधिकारियों ने इस संबंध में हुए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के तीन जिलों- महासमुंद, धमतरी और कबीरधाम में जल्द ई-गिरदावरी का कार्य प्रारंभ होगा। इसके लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। राज्य में एग्री स्टैक कार्यक्रम के तहत ई-गिरदावरी के संबंध में बताया कि इसमें किसानों और भू-नक्शों का डिजिटल डाटा बेस तैयार किया जाएगा। किसानों की रजिस्ट्री तथा नक्शों की जियो रिफ्रेंसिंग की जाएगी। इससे जीआईएस डिजिटल फसल सर्वेक्षण का काम मोबाइल एप के माध्यम से किया जाएगा। इससे गिरदावरी का कार्य आसान होगा और उसका डाटा भी तुरन्त योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के तीन जिलों महासमुंद, धमतरी और कबीरधाम में यह कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ किया गया है।
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