अरुण तिवारी@RAIPUR. छत्तीसगढ़ की सियासत में सतनामी समाज की बड़ी अहम भूमिका है। कहा तो यहां तक जाता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति की धुरी सतनामी समाज के इर्द गिर्द ही घूमती है। अकेले राजनीति ही नहीं सतनामी समाज, समाजिक तानेबाने पर भी असर डालता है। सतनामी समाज ने जिसका साथ दिया उसको ताज मिलना तय है। इस समाज का प्रभाव छत्तीसगढ़ की तीस से ज्यादा विधानसभा सीटों और पांच लोकसभा सीटों पर है।
आबादी के हिसाब से देखें तो ओबीसी के बाद सबसे ज्यादा सतनामी समाज के लोग ही हैं। यही कारण है कि सतनामी समाज की अनदेखी कर कोई भी पार्टी सियासत में कामयाब नहीं हो सकती। जैतखाम की घटना के बाद एक बार फिर इस समाज के असर की चर्चा होने लगी है। सतनामी समाज उग्र समाज माना जाता है।
छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज का असर
छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज की आबादी करीब 40 लाख है। सतनामी समाज में खासतौर पर अनुसूचित जाति के लोगों को माना जाता है। राजनीतिक तौर पर देखें तो प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें तो सीधे तौर पर एससी के लिए आरक्षित हैं। लेकिन यह समाज इन 10 सीटों के अलावा अन्य 20 से 25 विधानसभा सीटों पर असर डालता है। यानी इन सीटों की जीत हार इसी समाज के लोग तय करते हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी राजनीतिक दल इनकी अनदेखी नहीं कर सकता।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इसी सतनामी समाज से आते थे और इसी समाज की राजनीति करते रहे हैं। सतनामी समाज के नेता के नाते ही अजीत जोगी की राजनीति में धमक बरकरार रही। कांग्रेस की भूपेश सरकार में सतनामी समाज के गुरु रुद्रकुमार और इसी समाज के नेता शिवकुमार डेहरिया मंत्री रहे हैं। शिवकुमार डेहरिया को लोकसभा चुनाव में भी टिकट मिली थी हालांकि वे चुनाव हार गए। वहीं बीजेपी की कमलेश जांगड़े भी इसी समाज से आती हैं, वे इस बार सांसद निर्वाचित हुई हैं।
छत्तीसगढ़ की सत्ता और बालदास महाराज
साल 2018 में सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास महाराज कांग्रेस के साथ आए। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल हुई। कांग्रेस ने एससी के लिए आरक्षित 10 सीटों में से ज्यादातर सीटें जीत लीं। लेकिन जब बालदास महाराज कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी में शामिल हुए तो सियासत ही बदल गई। साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बालदास महाराज ने बीजेपी का रुख किया। उन्होंने अपने बेटे के लिए भी टिकट मांगा। बेटे की भी जीत हुई और प्रदेश में 54 सीटों के साथ बीजेपी की सरकार बन गई। एससी की अधिकांश सीटें बीजेपी के पाले में चली गईं।
बालदास कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस के साथ
साल 2013 के चुनाव में बालदास महाराज ने बीजेपी से राज्यसभा टिकट की मांग की थी। राजनीति के जानकारों की मानें तो साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बालदास को कांग्रेस के विरुद्ध प्रचार प्रसार के लिए हेलीकॉप्टर भी दिया गया था, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ। सतनामी समाज की वर्चस्व वाली 11 सीटों में से 9 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन साल 2018 के चुनाव से ठीक पहले गुरु बालदास का समर्थन कांग्रेस को मिला। कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत में गुरु बालदास ने समाज के समर्थन को बड़ी वजह बताया था। हालांकि उस दौरान वर्तमान कांग्रेस के मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने भी कांग्रेस के लिए सतनामी समाज का बड़ा समर्थन जुटाया था।
बीजेपी-कांग्रेस के एससी चेहरे
पूरे छत्तीसगढ़ में एससी की 10 आरक्षित सीटों के अलावा भी 90 में से 20 सीटें ऐसी हैं जहां सतनामी समाज प्रभाव डालता है। इनमें से अधिकतर सीटें मैदानी इलाकों की हैं, जिनमें बलौदाबाजार, कसडोल, दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, राजिम, आरंग, धरसीवां, महासमुंद, बागबाहरा, बेमेतरा, बालोद जैसे क्षेत्र शामिल हैं। प्रदेश में सतनामी समाज की कुल जनसंख्या लगभग 40 लाख बताई जाती हैं। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के पास एससी सीटों पर राजनीतिक चेहरे लगभग बराबर हैं।
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