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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ में बिहार की तरह अब मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। शुक्रवार को इस विषय पर ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें मतदान केंद्रों की संख्या का पुनर्निर्धारण, 2003 से 2025 तक की मतदाता सूची में नामों का मिलान, 2025 के लिए एसआईआर की तैयारी, रिक्त पदों को भरना और एसआईआर के लिए आवश्यक कर्मचारियों की उपलब्धता पर चर्चा की गई।
गौरतलब है कि 2004 में छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग ने एसआईआर किया गया था, जब विधानसभा सीटों का परिसीमन शुरू हुआ था, जो 2008 तक जारी रहा। 21 साल पहले हुए इस एसआईआर में बड़ी संख्या में ऐसे नाम हटाए गए थे, जो या तो वोटर नहीं थे या मृत हो चुके थे। अब यह नया पुनरीक्षण प्रक्रिया मतदाता सूची को और अधिक सही और अपडेट करने के लिए किया जा रहा है।
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छत्तीसगढ़ में अब बिहार की तर्ज SIR
एसआईआर (Special Intensive Revision) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना है। इस प्रक्रिया में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाता है, ताकि सभी योग्य मतदाताओं के नाम सूची में हों और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी दूर की जा सके। छत्तीसगढ़ में अब बिहार की तर्ज पर इस प्रक्रिया को शुरू करने की योजना बनाई गई है।
एसआईआर की आवश्यकता क्यों है?
राज्य में 2004 में एसआईआर हुआ था, जब विधानसभा सीटों का परिसीमन प्रारंभ हुआ था। इस बार 2025 में होने वाले एसआईआर में मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं के नामों का मिलान 2003 से 2025 तक की सूची से किया जाएगा। इसके अलावा, इस बार जनगणना के आंकड़ों को भी ध्यान में रखा जाएगा, जो 2011 और 2026 के बीच होनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ में एसआईआर की चुनौतियाँ
एसआईआर के दौरान, बहुत से नाम काटे जाते हैं, जिनमें मृत व्यक्तियों या फिर अन्य कारणों से मतदाता नहीं रहने वाले लोग शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। चुनाव आयोग को उम्मीद है कि अगर राजनीतिक दल सही सहयोग करें तो यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी हो सकती है।
छत्तीसगढ़ में एसआईआर (Special Intensive Revision) कीतैयारी को ऐसे समझेंएसआईआर प्रक्रिया की शुरुआत: छत्तीसगढ़ में बिहार की तर्ज पर 2025 में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) किया जाएगा। पूर्व तैयारियां: राज्य सरकार ने एसआईआर के लिए ऑनलाइन बैठक की, जिसमें मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण, मतदाता सूची का मिलान, और स्टाफ की उपलब्धता पर चर्चा की गई। वोटर सूची में सुधार: 2003 से 2025 तक की मतदाता सूची का मिलान करके पुराने नामों को हटाया जाएगा, जिनमें मृत व्यक्तियों और अन्य गड़बड़ियां शामिल हो सकती हैं। राजनीतिक दलों का सहयोग: राजनीतिक दलों से सहयोग मिलने पर एसआईआर प्रक्रिया पारदर्शी और विवाद रहित हो सकती है। सजा और दंड: गलत दस्तावेज प्रस्तुत करने या गलत तरीके से नाम जोड़ने पर एक साल की सजा या जुर्माना, और अधिकारियों के लिए 3 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है। |
भर्तियां और तैयारी
राज्य सरकार ने एसआईआर के लिए कर्मचारियों की उपलब्धता और रिक्त पदों को भरने के लिए कवायद शुरू कर दी है। शुक्रवार को एक ऑनलाइन मीटिंग में मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण, मतदाता सूची का मिलान, और एसआईआर के लिए आवश्यक स्टाफ की भर्ती पर चर्चा की गई थी।
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गड़बड़ी पकड़ने के तरीके
वोटर पर्ची बांटने के दौरान ही किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है। अगर मतदाता सूची में कोई गलत नाम जुड़ा है या कोई मतदाता गलत दस्तावेज पेश करता है, तो उसे सजा हो सकती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत यह प्रक्रिया अनिवार्य है।
मतदाता सूची में गड़बड़ी और उसकी सजा
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मतदाता सूची अपडेशन में नाम जुड़वाने के लिए गलत दस्तावेज पेश करता है तो उसे एक साल की सजा या जुर्माना अथवा दोनों दंड मिल सकते हैं। इसके अलावा, अगर कोई अधिकारी गलत तरीके से नाम जोड़ता है तो उसे तीन माह से दो साल तक की सजा हो सकती है।
परिसीमन और जनगणना का महत्व
वैधानिक प्रावधानों के अनुसार हर जनगणना के बाद परिसीमन किया जाता है। 2001 की जनगणना के बाद छत्तीसगढ़ में परिसीमन हुआ था। अब 2026 में जनगणना होने के बाद, इसे आधार बनाकर नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।