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Khairagarh. छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में प्रस्तावित श्री सीमेंट परियोजना और सण्डी चूना पत्थर खदान के खिलाफ जनविरोध की लहर तेज हो गई है। यह विरोध अब गांवों की सीमाओं को लांघकर विधायक कार्यालयों, युवा संगठनों और सामाजिक संगठनों तक पहुंच चुका है, जिससे जिला प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। आगामी 11 दिसंबर को जनसुनवाई रद्द करने की मांग अब आंदोलन का मुख्य बिंदु बन गई है।
39 गांवों का लिखित विरोध
सोमवार को जिला प्रशासन ने 12 ग्राम पंचायतों के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस बैठक में 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 39 गांवों ने परियोजना के खिलाफ लिखित विरोध प्रस्तुत किया। सण्डी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ पंचायतों ने अपने ग्रामसभा प्रस्तावों को अधिकारियों के सामने रखते हुए दो टूक कहा कि उन्होंने प्रस्तावित चूना पत्थर खदान को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन इस बैठक में ग्रामीणों की एक भी बुनियादी आपत्ति का समाधान नहीं कर पाया, जिससे स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच अविश्वास और गहरा गया है।
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युवा कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी
जनविरोध की यह लहर मंगलवार को और तेज हो गई। युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष गुलशन तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और विरोध दर्ज कराया। युवा कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2024 में बड़े स्तर पर विरोध और हस्ताक्षर अभियान के बावजूद, प्रशासन ने डेढ़ साल तक किसी गांव में जाकर ग्रामीणों की बात सुनना उचित नहीं समझा। प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि यदि 11 दिसंबर की जनसुनवाई नहीं टाली गई, तो युवा कांग्रेस ग्रामीणों के साथ मिलकर व्यापक आंदोलन करेगी।
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कंपनी प्रतिनिधि को बैठक से बाहर भेजा गया
प्रशासन और ग्रामीणों के बीच हुई बैठक में एक अभूतपूर्व स्थिति तब बनी जब किसानों के सख्त विरोध के कारण कंपनी के प्रतिनिधियों को बैठक से बाहर भेजना पड़ा। बैठक की शुरुआत में ही जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे तो कोई चर्चा नहीं होगी। किसानों के दबाव के सामने प्रशासन को झुकना पड़ा।
कंपनी प्रतिनिधि के हटने के बाद भी, अधिकारी ग्रामीणों के सबसे बुनियादी प्रश्नों का जवाब नहीं दे सके। ये प्रश्न थे: खदान की गहराई, वास्तविक पर्यावरणीय अध्ययन (EIA), जलवायु पर संभावित प्रभाव, और परियोजना रिपोर्ट का आधार क्या है। अधिकारियों की इस असमर्थता ने अविश्वास को और पुख्ता कर दिया है।
श्री सीमेंट परियोजना के खिलाफ स्थानीय स्तर पर पैदा हुआ यह व्यापक विरोध अब एक बड़े आंदोलन का रूप ले चुका है। ग्रामीणों की दो-टूक अस्वीकृति और राजनीतिक दलों की चेतावनी के बाद, 11 दिसंबर की जनसुनवाई और जिला प्रशासन के निर्णय पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
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