छत्तीसगढ़ में कैसे सुधरेगी पढ़ाई-लिखाई, शिक्षकों की SIR में ड्यूटी लगाई, छात्रों को छोड़ घर-घर दस्तक दे रहे मास्साब

छत्तीसगढ़ में बच्चों की पढ़ाई लिखाई को पटरी पर लाने की कोशिश पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सरकार ने युक्तियुक्तकरण कर स्कूलों में शिक्षकों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन वहीं व्यवस्था अब पटरी पर उतरने वाली है।

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Arun Tiwari
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Raipur: छत्तीसगढ़ में बच्चों की पढ़ाई लिखाई को पटरी पर लाने की कोशिश पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सरकार ने युक्तियुक्तकरण कर स्कूलों में शिक्षकों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन वहीं व्यवस्था अब पटरी पर उतरने वाली है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारियों के चलते शिक्षा व्यवस्था गड़बड़ा गई है। प्रदेशभर में बड़ी संख्या में शिक्षक बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की ड्यूटी में लगे हुए हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई लिखाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

खासकर हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर पर आधे से अधिक शिक्षक मतदाता सूची सत्यापन कार्य यानी एसआईआर में व्यस्त हैं। जानकारी के मुताबिक इस बार 70 फीसदी बीएलओ की जिम्मेदारी शिक्षकों के पास ही है। इनमें बड़ी संख्या में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक शामिल हैं।  जिन स्कूलों में 10 से 12 शिक्षकों की जरूरत है, वहां अब केवल तीन-चार शिक्षक ही कक्षाओं को संभाल रहे हैं। आने वाले समय में समय प्रीबोर्ड और छमाही परीक्षाएं होनी हैँ जिसमें बच्चे भगवान भरोसे ही हैं। 

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मास्साब बने बीएलओ :

एक तरफ तो सरकार स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने की जगह दूसरे प्रशासनिक कामों में झोंक दिया गया है। छत्तीसगढ़ में हो रहे एसआईआर में मास्साब को बीएलओ बनाकर वोटर लिस्ट सुधारने और घर घर दस्तक देने में लगा दिया। इस निर्वाचन कार्य में सैकड़ों शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। जानकारी के मुताबिक रायपुर की सात विधानसभा सीटों के स्कूलों में आधे से ज्यादा शिक्षक एसआईआर काम में जुट गए हैं। कई स्कूलों में तो 90 फीसदी शिक्षकों को बीएलओ बना दिया गया है। इसके चलते बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

जनवरी में प्री बोर्ड, छमाही परीक्षाओं के अलावा दसवीं और बारहवीं के प्रैक्टिकल एग्जाम होने हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे हो गई है। रायपुर ग्रामीण में 164 बीएलओ की सूची जारी की गई है। इसमें 90 फीसदी बीएलओ शिक्षक या लेक्चरर हैं। वहीं रायपुर दक्षिण  विधानसभा सीट पर 91 बीएलओ की सूची सामने आई है। इसमें सभी बीएलओ टीचर है। यह तो सिर्फ दो विधानसभा की बात है लेकिन पूरे प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में यही हाल है। यानी शिक्षक ही बीएलओ की ड्यूटी कर रहे हैं।    

शिक्षक बने बीएलओ कुछ उदाहरण: 

रायपुर ग्रामीण के प्रायमरी स्कूल के 6 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। 
रावांभाटा के प्रायमरी स्कूल के 8 शिक्षक बीएलओ बनाए गए हैं। 
लाभांडी के हायर सेकंडरी स्कूल के 7 शिक्षकों की ड्यूटी निर्वाचन काम में लगी है। 
मिडिल स्कूल अमलीडीह के 5 टीचर पढ़ाने की बजाए वोटर लिस्ट सुधार रहे हैं। 
कुशालपुर के हाईस्कूल और मिडिल स्कूल के 7 टीचर बीएलओ बनाए गए हैं। 
हाईस्कूल पुरानी बस्ती के 5 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। 
चांगरभाटा स्कूल के 8 शिक्षक बीएलओ बनाए गए हैं। 

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ये है छत्तीसगढ़ की स्थिति :

छत्तीसगढ़ में मतदाताओं की संख्या करीब 2 करोड़ 12 लाख है। 24371 मतदान केंद्र हैं यानी इतने ही बीएलओ बनाए गए हैं। वहीं 38368 बीएलए यानी बूथ लेवल एजेंट बनाए गए हैं। 464 ईआरओ और एसआईआरओ बनाए गए हैं। एसआईआर के लिए बीएलओ घर घर जाएंगे। बीएलओ ड्यूटी खत्म होने के बाद शिक्षकों को जनगणना कार्य में भी लगाया जा सकता है। शिक्षक संगठनों ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया है। उनका कहना है कि लगातार प्रशासनिक कामों से शिक्षा व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। इससे न केवल शिक्षण गुणवत्ता घटेगी, बल्कि छात्रों के परिणामों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

शिक्षक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि शिक्षकों को बीएलओ या अन्य गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए, ताकि वे परीक्षा की तैयारी में छात्रों को पूरा समय दे सकें। उन्होंने सुझाव दिया है कि मतदाता सूची सत्यापन जैसे प्रशासनिक कार्यों के लिए अन्य विभागों के कर्मचारियों की मदद ली जाए।

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