छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम घोटाला में 4.03 करोड़ के गबन का खुलासा, EOW ने पेश किया 2000 पेज का चार्जशीट

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में साल 2009-10 के दौरान हुए कथित घोटाले की जांच में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने 2000 पन्नों का आरोप पत्र रायपुर की विशेष अदालत में दाखिल किया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Chhattisgarh Text Book Corporation scam the sootr
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छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में साल 2009-10 के दौरान हुए कथित घोटाले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस मामले में गुरुवार, 31 जुलाई को रायपुर की विशेष अदालत में 2000 पेज का विस्तृत आरोप पत्र दाखिल किया। जांच में पाया गया कि निगम के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर ठेकेदारों को 4.03 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

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क्या है घोटाले का मामला?

EOW की जांच के अनुसार, साल 2009-10 में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने कक्षा 3 और 4 के लिए एमजीएमएल (मल्टी-ग्रेड मल्टी-लेवल) कार्ड्स के मुद्रण का ठेका दो कंपनियों को दिया था। रायपुर की प्रबोध एंड कम्पनी को हिंदी और गणित के कार्ड्स के लिए 3.82 करोड़ रुपये और भिलाई की छत्तीसगढ़ पैकेजर्स को पर्यावरण विषय के कार्ड्स के लिए 2.04 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

कुल मिलाकर 5.87 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि उचित भुगतान केवल 1.83 करोड़ रुपये होना चाहिए था। टीडीएस और सेवा कर की कटौती के बाद भी ठेकेदारों को 3.62 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया, जो नियमों के खिलाफ था।

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चार्जशीट में इनका नाम

EOW ने चार लोगों को इस घोटाले का आरोपी बनाया है। 
सुभाष मिश्रा, तत्कालीन महाप्रबंधक, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम, रायपुर  
संजय पिल्ले, तत्कालीन उप प्रबंधक (मुद्रण तकनीशियन), छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम, रायपुर  
नंद गुप्ता, मुद्रक, मेसर्स छत्तीसगढ़ पैकेजर्स प्राइवेट लिमिटेड  
युगबोध अग्रवाल, मुद्रक, मेसर्स प्रबोध एंड कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड

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इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) और 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जोसफ मिंज के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी

EOW ने बताया कि इस मामले में एक अन्य आरोपी, जोसफ मिंज, जो उस समय छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक थे और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, के खिलाफ भी साक्ष्य जुटाए गए हैं। अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद उनके खिलाफ अलग से चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

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नियमों की अनदेखी से सरकारी नुकसान

EOW के प्रेस नोट के अनुसार, अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर भुगतान किया गया। यह अतिरिक्त भुगतान सरकारी धन का दुरुपयोग है, जिसने निगम की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया। जांच में यह भी सामने आया कि ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया।

विशेष अदालत में होगी सुनवाई 

2000 पेज के इस विस्तृत चार्जशीट के दाखिल होने के बाद अब विशेष अदालत में सुनवाई शुरू होगी। यह मामला छत्तीसगढ़ में सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को फिर से रेखांकित करता है। EOW की इस कार्रवाई से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संदेश भी गया है।

FAQ

त्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम घोटाले में EOW की जांच में क्या खुलासा हुआ है?
EOW की जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2009-10 में पाठ्य पुस्तक निगम ने दो कंपनियों को एमजीएमएल कार्ड्स की छपाई के लिए नियमों की अनदेखी करते हुए कुल 5.87 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि वास्तविक देय राशि केवल 1.83 करोड़ रुपये थी। इस तरह 4.03 करोड़ रुपये का गबन हुआ।
इस घोटाले में किन-किन लोगों को आरोपी बनाया गया है?
EOW ने चार लोगों को आरोपी बनाया है: सुभाष मिश्रा – तत्कालीन महाप्रबंधक संजय पिल्ले – तत्कालीन उप प्रबंधक (मुद्रण तकनीशियन) नंद गुप्ता – मुद्रक, छत्तीसगढ़ पैकेजर्स युगबोध अग्रवाल – मुद्रक, प्रबोध एंड कम्पनी इनके खिलाफ IPC की धारा 420, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) व 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस घोटाले में जोसफ मिंज की क्या भूमिका रही और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी?
जोसफ मिंज उस समय छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक थे। जांच में उनके खिलाफ भी साक्ष्य पाए गए हैं। वर्तमान में वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद उनके खिलाफ अलग से चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

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