मुख्यमंत्री कोटे से नौकरी का वादा...पिता-पुत्र ने ठग लिए 10 लाख

खुद को 'आदिवासी उत्थान संस्थान छत्तीसगढ़' का प्रदेश अध्यक्ष बताने वाले एक युवक और उसके पीएचई विभाग में कार्यरत अकाउंटेंट पिता ने बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देकर 10 लाख रुपए की ठगी कर डाली।

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Harrison Masih
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खुद को 'आदिवासी उत्थान संस्थान छत्तीसगढ़' का प्रदेश अध्यक्ष बताने वाले एक युवक और उसके पीएचई विभाग में कार्यरत अकाउंटेंट पिता ने बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देकर 10 लाख रुपए की ठगी कर डाली। आरोपियों ने मुख्यमंत्री कोटे से सब-इंस्पेक्टर और फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी दिलाने का लालच दिया था। मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

यह है मामला

यह पूरा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है, जहां दो पीड़ित युवाओं ने अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं, पहले युवक का नाम मुरली मनोहर पटेल, निवासी ग्राम पतरापाली और दूसरा रमेश कुमार, निवासी ग्राम सपकरा। 

मुरली मनोहर पटेल ने बताया कि वर्ष 2022 में उसकी मुलाकात पीएचई विभाग के लेखापाल हेमंत नेताम से हुई। हेमंत ने अपने बेटे मोहित नेताम से उसका परिचय कराया और बताया कि मोहित की राज्य के बड़े नेताओं और अधिकारियों तक पहुंच है। उसने दावा किया कि सब-इंस्पेक्टर भर्ती में मुख्यमंत्री कोटे से चार पद खाली हैं, जिसमें वह आसानी से नौकरी दिला सकता है बस थोड़े पैसे खर्च करने होंगे।

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ऐसे हुई ठगी

मोहित और हेमंत नेताम ने मुरली से 7 लाख रूपए की मांग की। 12 नवंबर 2022 को मुरली ने मोहित को 5 लाख रूपए नकद दिए। बाद में दबाव बनाकर 1 फरवरी 2023 को 2 लाख रूपए का चेक भी लिया गया। गारंटी के तौर पर हेमंत नेताम ने एक 7 लाख रूपए का स्टेट बैंक का चेक भी मुरली को सौंपा।

हालांकि जब सब-इंस्पेक्टर की चयन सूची जारी हुई, तो मुरली मनोहर का नाम उसमें नहीं था। जब उसने अपनी रकम वापस मांगी, तो सिर्फ 50 हजार रूपए फोनपे से ट्रांसफर किए गए, और बाकी पैसे नहीं लौटाए गए।

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फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में भी ठगी

इसी तरह, ग्राम सपकरा निवासी रमेश कुमार से भी फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी दिलाने के नाम पर 3 लाख रूपए की ठगी की गई। नौकरी नहीं मिलने पर रमेश ने भी पुलिस में शिकायत की।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

दोनों शिकायतों के आधार पर कोतवाली पुलिस ने मोहित नेताम और उसके पिता हेमंत नेताम के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपियों की जांच कर रही है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की बात कह रही है।

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बड़े सवाल उठे

क्या आरोपी पिता-पुत्र का कोई संगठित ठगी नेटवर्क है?

क्या और भी बेरोजगार इनके जाल में फंसे हैं?

क्या “सीएम कोटा” जैसी बातों का झांसा देने पर कोई नकली दस्तावेज या पदनाम इस्तेमाल किया गया?

यह घटना छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में फैले नौकरी दिलाने के फर्जी वादों की पोल खोलती है। युवाओं को सतर्क रहना होगा कि कोई भी नौकरी अगर रिश्वत या पैसों के दम पर “पक्की” बताई जा रही हो, तो वह संभवतः धोखाधड़ी का जाल है। प्रशासन से मांग है कि ऐसे फर्जी “आदिवासी नेता” और उनके जैसे ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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