15 करोड़ का बजट मिला,फिर भी CIMS हॉस्पिटल में नहीं आई मशीनें,हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में 15 करोड़ रुपए की मंजूरी मिलने के बावजूद नई मेडिकल मशीनों की आपूर्ति में देरी ने मरीजों और डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। पुरानी मशीनों पर ही जांच जारी है, जिससे इलाज की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए 15 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत होने के बावजूद अब तक नई मशीनों की आपूर्ति नहीं हो सकी है। मरीजों के इलाज और जांच के लिए यहां अभी भी पुरानी मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

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क्या है मामला?

सिम्स प्रशासन ने चिकित्सा सेवाओं को बेहतर करने के लिए शासन को दो प्रस्ताव भेजे थे एक 10 करोड़ रूपए का और दूसरा 5 करोड़ रूपए का। सरकार से मंजूरी मिलने के चार महीने बाद भी एक भी नई मशीन नहीं आई। इस बीच एसईसीएल के CSR फंड और अन्य संसाधनों से 66 लाख रूपए की मशीनें खरीदी गईं, लेकिन ये संख्या मरीजों की जरूरत के मुकाबले बेहद कम है।

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अस्पताल पर बढ़ा दबाव

बिलासपुर सिम्स इस अंचल का एकमात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल है। यहां रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। पुरानी मशीनों से टेस्ट करवाने में ज्यादा समय लग रहा है और उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि नई मशीनों से कम समय में ज्यादा जांच हो सकेगी और इलाज का स्तर भी बेहतर होगा।

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हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बोंडी गुरु की डिवीजन बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा- जब सरकार ने बजट स्वीकृत कर दिया है, तो मशीनें अब तक क्यों नहीं आईं? पुरानी मशीनों से मरीजों की जांच के नतीजे प्रभावित हो रहे हैं। सरकार मरीजों की सुविधा के लिए क्या योजना बना रही है? कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है।

CIMS Bilaspur में नई मशीनों की देरी के 5 मुख्य बिंदु:


  1. 15 करोड़ की मंजूरी के बावजूद नई मशीनें नहीं आईं
    सिम्स मेडिकल कॉलेज में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के लिए स्वीकृत बजट चार माह बीतने के बाद भी लागू नहीं हो सका।

  2. पुरानी मशीनों पर ही जारी है मरीजों की जांच
    डॉक्टरों को पुराने उपकरणों के सहारे ही काम करना पड़ रहा है, जिससे जांच और इलाज की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

  3. कुछ मशीनें CSR फंड से खरीदी गईं
    एसईसीएल के CSR मद और अन्य स्रोतों से केवल 66 लाख रुपए की कुछ मशीनें खरीदी गईं, जो जरूरत के मुकाबले बहुत कम हैं।

  4. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा
    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूछा कि बजट मिलने के बावजूद नई मशीनें अब तक क्यों नहीं आईं और मरीजों की सुविधा के लिए क्या योजना है।

  5. नई मशीनें आने से इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी
    डॉक्टरों का कहना है कि नई मशीनें मिलने से कम समय में अधिक मरीजों की जांच संभव होगी और इलाज का स्तर सुधरेगा।

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क्यों है यह मामला अहम?

सिम्स अस्पताल (CIMS Hospital) पूरे छत्तीसगढ़ के मरीजों के लिए एक बड़ा केंद्र है। बजट स्वीकृत होने के बावजूद मशीनों की आपूर्ति में देरी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर रही है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही नई मशीनें सिम्स में पहुंचेंगी और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

FAQ

सिम्स बिलासपुर में नई मशीनें क्यों नहीं आईं?
सिम्स में नई चिकित्सा मशीनों की आपूर्ति में देरी इसलिए हुई क्योंकि 15 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत होने के बावजूद प्रशासनिक प्रक्रिया में समय लग गया। कुछ मशीनें CSR फंड से खरीदी गईं, लेकिन यह संख्या मरीजों की जरूरत के मुकाबले कम है।
हाईकोर्ट ने सिम्स मामले में क्या कार्रवाई की है?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है कि बजट मिलने के बावजूद नई मशीनें क्यों नहीं आईं और मरीजों की सुविधा के लिए क्या योजना बनाई जा रही है। कोर्ट ने सख्ती से पूछा कि व्यवस्था में सुधार कब होगा।
सिम्स में पुरानी मशीनों से जांच करने का क्या प्रभाव पड़ रहा है?
पुरानी मशीनों पर ही जांच जारी रहने के कारण मरीजों की रिपोर्ट की सटीकता प्रभावित हो रही है और इलाज की गति धीमी हो रही है। डॉक्टरों के अनुसार, नई मशीनें आने से जांच की क्षमता और इलाज की गुणवत्ता दोनों सुधरेंगे।
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