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CM Vishnudev Sai Sarkar Ready to Eat Scheme : विष्णु सरकार अपनी घोषणा के एक साल बाद भी उसे पूरा करने में नाकाम साबित हुई है। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही महिला एवं बाल विकास मंत्री ने आंगनबाड़ियों में रेडी टू ईट पहुंचाने का काम महिला स्वसहायता समूहों को देने का ऐलान किया था। लेकिन अब तक इस फैसले पर सरकार अमल नहीं कर पाई है।
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पिछली सरकार में यह काम बीज विकास निगम को सौंप दिया गया था। बीजेपी ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए फिर से यह काम महिलाओं के जिम्मे सौंपने का वादा किया था। अब जबकि सरकार बने हुए एक साल हो रहे तब भी तीन लाख महिलाएं इस काम की बाट जोह रही हैं। कमाल की बात ये है कि इस योजना के अध्ययन के नाम पर विभाग के अफसर पांच राज्यों का सैर सपाटा कर आए हैं।
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30 लाख आदिवासी महिला-बच्चों के पोषण पर सवाल
विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने आदिवासी महिलाओं और बच्चों के पोषण पर गंभीर सवाल उठाए थे। बीजेपी ने इसे पोषण व्यवस्था को गरीबों के पोषण और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बताया था। बीजेपी ने कहा था कि उसकी सरकार बनते ही आंगनबाड़ियों में रेडी टू ईट सप्लाई की व्यवस्था बीज निगम से लेकर महिला स्वसहायता समूहों को दे दी जाएगी।
सरकार बनते ही विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने ऐलान किया था कि जल्द ही रेडी टू ईट का काम सेल्फ हेल्फ ग्रुप के हवाले होगा। लेकिन यह ऐलान हवा हवाई ही साबित हुआ। सरकार को एक साल पूरा होने को आ रहा है लेकिन पिछली सरकार में बेरोजगार हुईं तीन लाख महिलाओं को अभी भी काम का इंतजार है। भूपेश सरकार ने रेडी टू ईट का काम स्व सहायता समूहों से लेकर राज्य बीज निगम को सौंप दिया था।
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फैक्ट फाइल
प्रदेश में आंगनबाड़ी | 52 हजार |
इनमें रजिस्टर्ड महिला, बच्चे | 30 लाख |
महिला स्व सहायता केंद्र | 30 हजार |
इनमें शामिल महिलाएं | 3 लाख |
भारी भरकम बजट, अफसरों का सैर सपाटा
रेडी टू ईट के लिए सरकार भारी भरकम फंड खर्च करती है। यह फंड आदिवासी गर्भवती महिलाओं, किशोरी बालिकाओं, कुपोषित बच्चों के पोषण पर खर्च किया जाता है। इस भोजन पर 30 लाख से ज्यादा आबादी निर्भर है। इसके बाद भी सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है। कमाल की बात ये भी है कि इस योजना का अध्ययन करने के लिए विभाग के अफसरों की टीम महाराष्ट्र,झारखंड,केरल,उड़ीसा और उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों का दौरा कर आई है।
अफसरों ने इसकी रिपोर्ट सरकार को भी सौंप दी है। लेकिन यह रिपोर्ट भी धूल खा रही है। यह पूरी योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में ही नजर आ रही है। भूपेश सरकार की इस योजना को बंद करने में सरकार को एक साल का समय तो लग ही चुका है। भूपेश सरकार में बेरोजगार हुई इन महिलाओं को अब फिर से रोजगार का इंतजार है।
साल 2009 से संचालित है योजना
राज्य में यह योजना साल 2009 से संचालित है। इसमें प्रदेश के 30 हजार स्व सहायता समूहों की 3 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। इसके लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट तय किया गया है। जिसे महिला बाल विकास विभाग के जरिए आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को दिए जाने वाले रेडी-टू ईट फूड पर खर्च किया जाता है।
इसका बड़ा हिस्सा आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों पर जाता है। फूड में मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में गेहूं का आटा, सोयाबीन, सोयाबीन तेल, शक्कर, मूंगफली, रागी और चना शामिल हैं। इस पोषण आहर में कई बार गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं। यही कारण है कि यह काम बीज निगम से बदलने के बारे में फैसला लिया गया।