कांग्रेस भवन बना था कोल कलेक्शन सेंटर, EOW की चार्जशीट में बड़ा खुलासा,कांग्रेस कोषाध्यक्ष का दफ्तर था घोटाले का ठिकाना

रायपुर वाले सेठ यानी कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने पीसीसी को घोटालों का अड्डा बना दिया था। शराब के साथ ही कोल लेवी घोटाले का संचालन भी यहीं से होता था। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ कोल लेवी घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है।

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Raipur. रायपुर वाले सेठ यानी कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने पीसीसी को घोटालों का अड्डा बना दिया था। शराब के साथ ही कोल लेवी घोटाले का संचालन भी यहीं से होता था। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 570 करोड़ कोल लेवी घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस घोटाले के करोड़ों रुपये का लेनदेन कांग्रेस भवन में होता था। विशेष अदालत में दायर की गई 1500 पन्नों की दूसरी पूरक चार्जशीट में यह जानकारी सामने आई है।

EOW की चार्जशीट में मुख्य रूप से कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, उनके निजी सहायक एवं पार्टी के लेखाधिकारी देवेंद्र डड़सेना और कोल सिंडिकेट के प्रमुख सदस्य नवनीत तिवारी के नाम शामिल किए गए हैं। तीनों पर अवैध कोल लेवी के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं।

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सेठ का पीए अवैध राशि का रिसीवर और डिस्ट्रीब्यूटर : 

EOW की रिपोर्ट के अनुसार, रामगोपाल अग्रवाल का पीए देवेंद्र डड़सेना और नवनीत तिवारी कांग्रेस भवन से लेनदेन का संचालन करते थे। डड़सेना कांग्रेस भवन में बैठकर धनराशि की रिसीविंग और डिस्ट्रीब्यूशन का कार्य संभालता था, जबकि नवनीत तिवारी रायगढ़ क्षेत्र में कोल व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से वसूली करता था। जांच एजेंसी ने तिवारी को कोल वसूली सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य बताया है। चार्जशीट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के निर्देश पर यह पूरी व्यवस्था संचालित होती थी।

अग्रवाल अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। वहीं देवेंद्र डड़सेना और नवनीत तिवारी दोनों न्यायिक हिरासत में हैं। EOW का कहना है कि घोटाले में शामिल लोगों ने अवैध धनराशि को अलग-अलग नामधारी खातों में जमा किया और फिर उसे कांग्रेस भवन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाई। आरोप है कि कांग्रेस भवन से ही आगे यह राशि विभिन्न माध्यमों से ट्रांसफर होती थी।

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चार्जशीट में कांग्रेस भवन से हुए लेनदेन की जानकारी : 

पूरक चार्जशीट में कांग्रेस भवन से हुए लेनदेन का विवरण जुड़ा है। एजेंसी के मुताबिक, यह लेनदेन केवल नकद में नहीं बल्कि बैंक ट्रांसफर और अन्य माध्यमों से भी होता था। जांच में यह भी पाया गया कि इस रकम का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों और निजी लाभ के लिए किया गया। EOW अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही फरार कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट की प्रक्रिया शुरू करेंगे। साथ ही, इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच जारी है।

इस खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी के भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया। वहीं कांग्रेस नेताओं ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया है और कहा है कि जांच एजेंसियां केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही हैं।

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यह है कोल लेवी घोटाला : 

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में करीब 570 करोड़ रुपये का यह कोल लेवी घोटाला उजागर हुआ था। इसमें रायगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में कोल व्यवसायियों और ट्रांसपोर्टरों से करोड़ों रुपये वसूले गए थे। जुलाई 2024 में ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया, निलंबित IAS रानू साहू समेत कई अधिकारी और कारोबारी शामिल थे। इसके अलावा ढाई हजार करोड़ का शराब घोटाला हुआ था। इन दोनों घोटालों में रामगोपाल अग्रवाल की भूमिका सामने आई है। वे ही इन घोटालों की अवैध राशि का लेनदेन और हिसाब किताब करते थे। उनका पीए और पीसीसी का लेखापाल देवेंद्र डड़सेना अवैध रकम का प्राप्तकर्ता था।

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