कलेक्ट्रेट का गेट बंद, लेटलतीफ कर्मचारियों को नोटिस की चेतावनी

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने सरकारी कार्यालयों में समय की पाबंदी सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त कदम उठाया है। उन्होंने कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट को बंद करा दिया, जिससे देर से आने वाले अधिकारी और कर्मचारी बाहर ही खड़े रह गए।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सरकारी कार्यालयों में समय की पाबंदी को लेकर कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार सुबह उन्होंने कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट को बंद कराकर देर से आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त संदेश दिया। इस अभूतपूर्व कदम से कलेक्ट्रेट परिसर में हड़कंप मच गया। कई कर्मचारी गेट के बाहर खड़े रह गए और अंदर प्रवेश के लिए इंतजार करते नजर आए। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि समय की पाबंदी में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

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30 से अधिक कर्मचारी देर से पहुंचे, नोटिस की तैयारी

सोमवार को कलेक्ट्रेट में सुबह 10:30 बजे गेट बंद होने के बाद 30 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी समय पर उपस्थित नहीं हो सके। इन कर्मचारियों की सूची तैयार कर ली गई है, और जल्द ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। उपस्थिति की पुष्टि के लिए इलेक्ट्रॉनिक अटेंडेंस मशीन (बायोमेट्रिक सिस्टम) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि यह कदम कार्यालय में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

पहले भी चेतावनी, लेकिन नहीं सुधरे हालात

कलेक्टर भगवान सिंह उईके पहले भी कई बार देर से आने वाले कर्मचारियों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने औचक निरीक्षणों के दौरान कई कर्मचारियों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन कार्यालय में समय की पाबंदी को लेकर कोई खास सुधार नहीं दिखा। इस बार उन्होंने खुद गेट पर निगरानी की और सुबह 10:30 बजे ठीक समय पर कलेक्ट्रेट का मुख्य द्वार बंद करवा दिया। इस दौरान कई कर्मचारी और अधिकारी बाहर ही रह गए, जो गेट खुलने का इंतजार करते देखे गए।"

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समय का पालन अनिवार्य, जनता का काम नहीं रुकेगा

"कलेक्टर उईके ने सख्त लहजे में कहा, "सरकारी कार्यालय जनता की सेवा के लिए हैं। समय पर उपस्थिति न केवल अनुशासन का प्रतीक है, बल्कि यह जनता के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी दर्शाता है। देर से आने की आदत अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।" उन्होंने चेतावनी दी कि यह अंतिम अल्टीमेटम है, और अगर भविष्य में भी कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचे, तो उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें वेतन कटौती से लेकर निलंबन तक शामिल हो सकता है।

कलेक्टर की समयबद्धता एक मिसाल

कलेक्टर भगवान सिंह उईके स्वयं समय के पाबंद माने जाते हैं। वह रोजाना सुबह 10:00 से 10:30 बजे के बीच कलेक्ट्रेट पहुंचते हैं और अपने कार्यों को समयबद्ध तरीके से निपटाते हैं। उनकी यह कार्यशैली कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है, लेकिन कई कर्मचारी और अधिकारी उनकी इस अनुशासित कार्यप्रणाली का अनुसरण करने में नाकाम रहे। यही कारण है कि कलेक्टर को गेट बंद करने जैसा सख्त कदम उठाना पड़ा।

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कर्मचारियों में हड़कंप, जनता में सराहना

कलेक्टर के इस कदम से कलेक्ट्रेट में कार्यरत कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। कई कर्मचारी गेट के बाहर खड़े होकर अंदर प्रवेश की गुहार लगाते दिखे, लेकिन कलेक्टर के सख्त निर्देशों के कारण उन्हें बाहर ही रहना पड़ा। दूसरी ओर, स्थानीय लोगों ने कलेक्टर की इस पहल की सराहना की है। गरियाबंद निवासी रमेश साहू ने कहा, "कलेक्टर साहब का यह कदम स्वागत योग्य है। सरकारी दफ्तरों में देरी की वजह से आम जनता को परेशानी होती है। अब शायद कर्मचारी समय पर काम शुरू करेंगे।"

प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम

कलेक्टर उईके का यह कदम न केवल गरियाबंद जिले में, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में सरकारी कार्यालयों में अनुशासन और समयबद्धता को बढ़ावा देने की दिशा में एक मिसाल बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी कार्यालयों में देरी और लापरवाही के कारण जनता को होने वाली असुविधा को कम करने के लिए ऐसे सख्त कदम जरूरी हैं।

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भविष्य की रणनीति

कलेक्टर ने संकेत दिए हैं कि समय की पाबंदी सुनिश्चित करने के लिए आगे भी नियमित निरीक्षण और सख्त निगरानी जारी रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक अटेंडेंस सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए तकनीकी सुधार किए जाएंगे। साथ ही, कर्मचारियों को समय प्रबंधन और कार्य अनुशासन के लिए प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई जा रही है।

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