अरुण तिवारी @ RAIPUR. मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) की तरह छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) कांग्रेस में भी भगदड़ मची हुई है। कांग्रेस इस समय अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। यही कारण है कि अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए नेता हाथ छुड़ाकर भाग रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव ( assembly elections ) के मुकाबले छह गुना ज्यादा नेता बीजेपी की शरण में आ चुके हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त नेताओं को ये उम्मीद कम थी कि भूपेश सरकार चली जाएगी और फिर से बीजेपी का राज आ जाएगा इसलिए चुनाव के तीन महीने पहले टिकट पाने की चाह में 500 नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा था। पिछले दो महीने में ही तीन हजार नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ये सिलसिला लगातार चल रहा है वो भी तब जबकि टिकट का फैसला हो चुका है। यानी अब अपनी जमीन बचाने के लिए नेता बीजेपी की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। देखिए दलबदल के सियासी चक्रव्यूह की पड़ताल करती ये खबर...
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खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस !
भारत की राजनीति में दलबदल की रवायत पुरानी है लेकिन ये वो दौर है जब इक्का दुक्का नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में नेता इधर से उधर हो रहे हैं। ये बीजेपी का स्वर्णिम काल है और कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। इसी का असर सियासत में नजर आ रहा है। कांग्रेस के नेता अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए बीजेपी की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। वो चाहे दिल्ली हो, मध्यप्रदेश हो या फिर छत्तीसगढ़ हर तरफ नेता हाथ छुड़ाकर बीजेपी की तरफ भाग रहे हैं। मध्य प्रदेश में तो बाकायदा इसके लिए अलग से सेल बना दी गई है जिसके संयोजक के तौर पर एक बड़े नेता की ताजपोशी कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी में अब तक तीन हजार नेता शामिल हो चुके हैं। इनमें अधिकांश कांग्रेस के हैं। कांग्रेस के अलावा जोगी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता भी बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले तीन महीने में करीब पांच सौ नेता बीजेपी में शामिल हुए थे जबकि लोकसभा चुनाव के इस दौर में दो महीने में तीन हजार से ज्यादा नेता बीजेपी की शरण में आ चुके हैं। बीजेपी कहती है कि ऐसा नहीं है कि बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं बल्कि बीजेपी में शामिल होकर नेताओं का कद बड़ा हो जाता है।
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ये बड़े नेता हुए बीजेपी में शामिल
फरवरी में जहां कांग्रेस के पूर्व विधायक विधान मिश्रा, जोगी कांग्रेस के विधायक प्रमोद मिश्रा समेत 150 लोग लोग बीजेपी में शामिल हुए थे । मार्च में कोर्राम कश्यम समेत 150 लोग, पाली विधानसभा के जिला व जनपद सदस्य समेत कई कार्यकर्ता, पूर्व प्रदेश सचिव राजेंद्र कुमार समेत 50 कार्यकर्ता शामिल हुए थे । जगदलपुर महापौर सफीरा साहू,एमआईसी सदस्य समेत 50 लोग, विलासपुर की पूर्व महापौर वाणी राव,महिला जनता कांग्रेस की अनामिका पॉल, कांग्रेस नेता रवि पांडे समेत कई कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए है। कांग्रेस कहती है कि बीजेपी इन दिनों हार से डरी हुई है, और इसीलिए वो कांग्रेस नेताओं को डरा धमका कर अपनी पार्टी में शामिल करा रही है। बीजेपी को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं रहा है यही कारण है उसे दूसरे दलों के नेताओं से काम चलाना पड़ रहा है। बीजेपी की ये कोशिश कामयाब नहीं होगी और लोकसभा चुनाव में जनता कांग्रेस पर ही भरोसा जताएगी।
टिकट की चाह में पार्टी से बगावत
जानकार कहते हैं कि दलबदल के कुछ प्रमुख कारण सामने आए हैं। सबसे पहला कारण तो टिकट की चाह होती है। ये नेता टिकट न मिलने से पार्टी से नाराज होते हैं और टिकट की चाह में दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं। दूसरा कारण अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए भी नेता सत्ताधारी पार्टी की ओर रुख कर लेते हैं। दल बदलने का एक और कारण सामने आया है कि नेताओं को अफसरशाही में दबदबा बनाने और राजनीतिक रसूख को बनाए रखने के लिए भी ये आसान रास्ता नजर आता है। बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन इन दिनों दलबदल की बयार खूब बह रही है।