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छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना से जुड़े मुआवजा घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने कड़ा रुख अपनाया है। विशेष न्यायाधीश की अदालत ने राजस्व विभाग के छह अधिकारियों को नोटिस जारी कर 29 जुलाई 2025 तक कोर्ट और ईओडब्ल्यू के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है। इनमें एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र कुमार साहू, बसंती घृतलहरे व लेखराम देवांगन शामिल हैं। नोटिस की अवहेलना करने पर इनकी चल-अचल संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट का सख्त आदेश
ईओडब्ल्यू ने घोटाले की जांच के सिलसिले में इन अधिकारियों को पहले भी पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन इन्होंने नोटिस की अनदेखी की। इसके बाद जांच एजेंसी ने रायपुर की विशेष अदालत में आवेदन दायर किया। अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 84 के तहत उद्घोषणा जारी करते हुए सभी आरोपियों को 29 जुलाई तक स्वयं उपस्थित होने का अंतिम मौका दिया है। ऐसा न करने पर संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया शुरू होगी।
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घोटाले का पर्दाफाश
भारतमाला परियोजना के तहत सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला कि राजस्व अधिकारियों ने कथित तौर पर प्रॉपर्टी डीलरों और कुछ प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर मुआवजे की राशि में हेरफेर किया। इस घोटाले में तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के पति और प्रॉपर्टी डीलर हरमीत सिंह खनूजा, कारोबारी विजय जैन, किसान केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी को 27 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया था। ये चारों वर्तमान में रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
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अधिकारियों पर है नजर
हालांकि, इस मामले में राजस्व विभाग के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है। ईओडब्ल्यू सूत्रों के मुताबिक, जांच में इन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। मुआवजा वितरण में अनियमितता, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल और गलत तरीके से राशि आवंटन के आरोप हैं। जांच एजेंसी ने इन अधिकारियों से पूछताछ के लिए कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन बार-बार अनुपस्थिति के कारण अब कोर्ट ने सख्त कदम उठाया है।
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यह है भारतमाला परियोजना
भारतमाला परियोजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और विस्तार किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी इस परियोजना के तहत कई सड़कें बन रही हैं, जिनके लिए किसानों और भूस्वामियों की जमीन अधिग्रहित की गई। मुआवजे के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए थे, लेकिन इस घोटाले ने व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है।
गहराई से जांच जारी
ईओडब्ल्यू अब इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, घोटाले में शामिल अन्य लोगों की तलाश जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि मुआवजा घोटाले का दायरा कई करोड़ रुपये तक हो सकता है। कोर्ट के नोटिस के बाद अब यह देखना होगा कि क्या उक्त अधिकारी समय पर उपस्थित होते हैं या संपत्ति कुर्की की कार्रवाई का सामना करते हैं।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
इस घोटाले ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है। कई भूस्वामियों का कहना है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला, जबकि कुछ लोगों को गलत तरीके से मोटी रकम दी गई। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भारतमाला जैसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं की विश्वसनीयता पर भी असर डाला है। ईओडब्ल्यू और विशेष अदालत की इस कार्रवाई से घोटाले में शामिल लोगों पर शिकंजा कसने की उम्मीद जगी है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
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