छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बोरतलाव में मनरेगा योजना के तहत भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बैगाटोला में डबरी खनन के लिए स्वीकृत 9 लाख रुपये के कार्य में मजदूरों की बजाय JCB मशीन का इस्तेमाल किया गया, जो मनरेगा नियमों का खुला उल्लंघन है। यह मामला न केवल मनरेगा की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि ग्रामीण रोजगार योजनाओं में जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है।
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मीडिया को कवरेज से रोकने की कोशिश
स्थानीय मजदूरों ने न केवल इस अनियमितता में संलिप्तता दिखाई, बल्कि मीडिया को कवरेज से रोकने की कोशिश भी की। मजदूरों ने धमकी देते हुए कहा कि पथरीली जमीन के कारण उन्होंने चंदा इकट्ठा कर JCB मशीन लगवाई। उन्होंने मीडिया कर्मियों को घेरकर चेतावनी दी कि खबर प्रसारित होने पर उन्हें गांव में दोबारा प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इस घटना ने मीडिया की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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सरपंच का गोलमोल जवाब
ग्राम पंचायत के सरपंच ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि डबरी खनन में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने दावा किया कि जनपद पंचायत से किसी कार्य एजेंसी के साथ अनुबंध नहीं हुआ और काम मेट व रोजगार सहायक द्वारा कराया जा रहा है। हालांकि, इतनी बड़ी राशि का कार्य बिना ग्राम पंचायत की सहमति के होना संदेहास्पद है। मनरेगा नियमों के अनुसार, कार्य शुरू करने से पहले सरपंच, सचिव और तकनीकी अधिकारी द्वारा स्थल चयन और प्रस्ताव तैयार किया जाता है। ऐसे में बिना इनके सहयोग के कार्य संभव नहीं है।
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दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा
जनपद पंचायत डोंगरगढ़ के कार्यक्रम अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच टीम गठित करने की बात कही। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की गहराई से जांच कर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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यह है मनरेगा का नियम
मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों को प्रति वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का गारंटीशुदा अकुशल मजदूरी रोजगार प्रदान करना है। आधिकारिक दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ठेकेदारों से कार्य कराना या मजदूरों की जगह मशीनों का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।
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