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Photograph: (the sootr)
RAIPUR. रायपुर शहर में एक नई जालसाजी का खुलासा हुआ है। इसमें होटल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा और तेलीबांधा भाजपा मंडल अध्यक्ष दलविंदर सिंह बेदी समेत सात अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि इन सभी ने मिलकर एक मृत महिला को जिंदा दिखाकर उसके नाम पर जमीन की फर्जी रजिस्ट्री करवाई। साथ ही, कई प्लॉटों पर कब्जा करने की कोशिश की।
यह मामला शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। आरोपियों के खिलाफ IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
रिटायर्ड शिक्षक की शिकायत पर मामला दर्ज
जालसाजी की यह घटना रिटायर्ड शिक्षक देवनाथ देवांगन की शिकायत से सामने आई। उन्होंने बताया कि चमारिन बाई सोनकर के वारिसों से उन्होंने जमीन खरीदी थी, जो कि चंगोराभाठा स्थित खसरा नंबर 78 में थी। जब वे जमीन पर कब्जा लेने पहुंचे, तो आरोपियों ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है। बाद में, देवांगन ने सिविल लाइंस पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
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1980 में महिला की माैत, 99 में दिखाया जिंदा
जांच में यह बात सामने आई कि चमारिन बाई सोनकर की मौत 1980 में हो चुकी थी, लेकिन आरोपियों ने 1999 में उसे जिंदा दिखाने के लिए एक काल्पनिक महिला निर्मला सोनकर के नाम से फर्जी मुख्तयारनामा तैयार किया। इस दस्तावेज के आधार पर आरोपियों ने जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम पर करवा ली। हालांकि, बाद में कोर्ट ने इस मुख्तयारनामा को फर्जी और शून्य घोषित कर दिया।
मुख्य आरोपी होटल कारोबारी और BJP नेता
इस सनसनीखेज रायपुर फर्जी रजिस्ट्री कांड में, पुलिस ने होटल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा को मुख्य आरोपी बनाया है। इसके अलावा, मामले में भाजपा (BJP) के तेलीबांधा मंडल अध्यक्ष दलविंदर सिंह बेदी का नाम भी शामिल है। इन दोनों के अन्य कुल सात लोगों के खिलाफ धारा 420, धारा 467 व धारा 468 सहित अन्य धाराओं में मामले दर्ज किए गए है।
पुलिस ने इस मामले में गंभीरता से जांच शुरू कर दी है और आशंका जताई जा रही है कि मामले में और भी नाम सामने आ सकते हैं। यह मामला रायपुर की संपत्ति रजिस्ट्री प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर रहा है।
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ऐसे समझें फर्जीवाड़े का घटनाक्रम
वर्ष | घटना | विवरण |
1980 | चमारिन बाई की मृत्यु | जिसकी जमीन हड़पने का प्रयास किया गया, उस महिला की वास्तविक मृत्यु हो गई थी। |
1999 | फर्जी मुख्तयारनामा | आरोपियों ने मृत महिला को जिंदा दिखाया, एक काल्पनिक महिला निर्मला सोनकर के नाम से फर्जी मुख्तयारनामा बनवाया। |
2000 | फर्जी रजिस्ट्री | इसी फर्जी दस्तावेज के आधार पर आरोपियों ने ज़मीन अपने नाम पर रजिस्ट्री करवा ली। |
2025 | कोर्ट द्वारा शून्य घोषित | कोर्ट ने इस फर्जी मुख्तयारनामा और उससे हुई रजिस्ट्रियों को पहले ही शून्य और अमान्य घोषित कर दिया था। |