निजी स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों की भर्ती में देरी, 4 हजार सीटें खाली
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में बीपीएल वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित 25% सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है। पहले चरण की लॉटरी के बाद 40 हजार सीटों में से 36 हजार पर ही प्रवेश हो पाया है, जबकि 4 हजार सीटें अब भी खाली हैं।
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में बीपीएल वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित 25% सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है। पहले चरण की लॉटरी के बाद 40 हजार सीटों में से 36 हजार पर ही प्रवेश हो पाया है, जबकि 4 हजार सीटें अब भी खाली हैं। दूसरे चरण के लिए आवेदन प्रक्रिया, जो 2 जून से शुरू होनी थी, अभी तक शुरू नहीं हुई है। इसका कारण शिक्षा विभाग का युक्तियुक्तकरण (रेशनलाइजेशन) प्रक्रिया में उलझा होना बताया जा रहा है।
इस साल 6,628 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 52,035 सीटें आरक्षित हैं, जिनके लिए 1,05,372 आवेदन प्राप्त हुए थे। पहले चरण में 33 जिलों में 40 हजार सीटों के लिए लॉटरी निकाली गई, लेकिन चयनित बच्चों में से कुछ ने विभिन्न कारणों से प्रवेश नहीं लिया। अब रिक्त सीटों और शेष आवेदनों के लिए दूसरा चरण शुरू होना है, लेकिन शिक्षा विभाग की व्यस्तता के चलते प्रक्रिया लंबित है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही दूसरे चरण के आवेदन शुरू होंगे। इस देरी से अभिभावकों और बच्चों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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FAQ
आरटीई के तहत पहले चरण में कितनी सीटें भरी गईं और कितनी सीटें खाली रह गईं?
पहले चरण में आरटीई के तहत 40 हजार सीटों में से 36 हजार सीटों पर बच्चों का प्रवेश हुआ, जबकि 4 हजार सीटें अब भी खाली रह गई हैं।
दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया में देरी का कारण क्या है?
दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया में देरी का कारण शिक्षा विभाग का युक्तियुक्तकरण (रेशनलाइजेशन) प्रक्रिया में उलझा होना बताया गया है।
बिलासपुर जिले में आरटीई के तहत कितनी सीटों पर बच्चों का प्रवेश हुआ?
बिलासपुर जिले में 4,899 आरक्षित सीटों में से 3,760 बच्चों का चयन हुआ और उनमें से 3,262 बच्चों ने प्रवेश लिया।