छत्तीसगढ़ में भांग की खेती को बढ़ावा देने की जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे समाज के लिए खतरा बताया और कहा कि राज्य में नीति निर्धारण करना राज्य सरकार और कार्यपालिका का विशेषाधिकार है। यह कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है।
दरअसल, बिलासपुर के तिलक नगर निवासी डॉ. सचिन काले ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने प्रदेश में उद्योग के तौर पर भांग की खेती को वैध घोषित करने की मांग की थी। अपनी याचिका में भांग को 'गोल्डन प्लांट' बताते हुए इसके औद्योगिक, औषधीय और आर्थिक उपयोग की वकालत की गई थी।
ये खबर भी पढ़िए...Weather Update : एक्टिव हुआ सिस्टम... अगले 48 घंटे तक जमकर होगी बारिश
नियमों के मुताबिक भांग को औद्योगिक भांग के रूप में परिभाषित करने, राज्य स्तरीय बोर्ड बनाकर खेती की अनुमति देने की मांग की गई थी। साथ ही दावा किया गया कि इससे किसानों को लाभ मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
राज्य शासन के पास है लाइसेंस देने का अधिकार
याचिका में प्राचीन ग्रंथों, ब्रिटिश कालीन आयोग की रिपोर्ट और भारत सरकार की कुछ नीतियों का उल्लेख करते हुए भांग को भारतीय संस्कृति और चिकित्सा में महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि टीएचसी यानी टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल की मात्रा 0.3% से कम होने पर यह पौधा नशे के लिए अनुपयुक्त होता है।
ये खबर भी पढ़िए...भारी बारिश से टापू बने कांकेर के इलाके... बस्तर में बाढ़ जैसी स्थिति
इस संबंध में याचिकाकर्ता ने फरवरी 2024 में सरकार और संबंधित अधिकारियों को इस विषय में पत्र दिया था। लेकिन, अब तक कोई जवाब नहीं मिला। जिसके कारण उन्होंने जनहित याचिका लगाई है। इसमें एनडीपीएस एक्ट की धारा 10 और 14 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि राज्य सरकार के पास इस खेती के लिए लाइसेंस देने का अधिकार है, जिसका अब तक उपयोग नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा- मूल्यहीन और पूरी तरह अनुचित है याचिका
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने इस जनहित याचिका को पूरी तरह से मूल्यहीन और अनुचित मानते हुए कहा कि जनहित याचिकाएं तभी मंजूर की जाती है, जब उनका उद्देश्य वास्तविक सार्वजनिक हित में हो, न कि व्यक्तिगत उद्देश्य साधने के लिए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनडीपीएस एक्ट के तहत भांग की खेती तभी संभव है जब वह चिकित्सा, वैज्ञानिक या बागवानी उद्देश्यों के लिए हो और उसके लिए कानूनी अनुमति प्राप्त की गई हो।
ये खबर भी पढ़िए...जेईई में कम रैंक ! टेंशन ना लें... ऐसे मिलेगा सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन
अनुमति देना समाज के लिए खतरा
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य में वैसे भी नशीले पदार्थों के उपयोग से समस्या बढ़ रही है। ऐसे में भांग की खेती की अनुमति देना समाज के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में नीति निर्धारण सरकार और कार्यपालिका का विशेषाधिकार होता है, और कोर्ट इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
बिलासपुर हाई कोर्ट का आदेश | बिलासपुर हाई कोर्ट | Bilaspur High Court | Bilaspur High Court big decision | bilaspur high court decision | Bilaspur High Court new order | Bilaspur High Court order
ये खबर भी पढ़िए...इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट देने छत्तीसगढ़ आएंगी गूगल और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी