छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में चार गांवों के लिए बारिश मुसीबत बन जाती है। जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बांसकुंड, ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर गांव के 500 से अधिक लोग बारिश के मौसम में टापू में कैद हो जाते हैं। आज तक यहां चिनार नदी पर पुल नहीं बना है। ग्रामीणों को आवागमन के लिए नदी पर बने स्टॉप डेम का सहारा लेना पड़ता है। वे 16 पिलरों पर कूद-कूदकर नदी पार करते हैं। स्कूली बच्चों को भी इसी खतरनाक रास्ते से गुजरना पड़ता है।
बारिश के दिनों में शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच पाते। मरीजों को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। आपात स्थिति में ग्रामीणों को गांव में ही इलाज कराना पड़ता है। नदी में पानी ज्यादा होने पर स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। ग्रामीण पिछले कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं।
अब तक सिर्फ एक अधूरी कच्ची सड़क ही बन पाई है। प्रशासन की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने सरकार से चिनार नदी पर जल्द पुल बनाने की मांग की है। इससे उनका जीवन सामान्य हो सकेगा। जिला पंचायत CEO हरेश मंडावी ने कहा कि पुल की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसका प्रस्ताव हम लोगों ने बनाया है। ग्रामीणों को इसका लाभ पहुंचे ऐसा पुल हम बनाकर देंगे।
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FAQ
कांकेर जिले के कौन-कौन से गांव बारिश के मौसम में टापू में बदल जाते हैं?
कांकेर जिले के बांसकुंड, ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर गांव बारिश के मौसम में टापू में बदल जाते हैं। इन गांवों के लगभग 500 से अधिक लोग हर साल बारिश के दौरान आवागमन से कट जाते हैं।
ग्रामीण किस प्रकार से चिनार नदी पार करते हैं और इसमें क्या खतरे हैं?
ग्रामीण चिनार नदी को पार करने के लिए स्टॉप डेम पर बने 16 पिलरों पर कूद-कूदकर गुजरते हैं। यह रास्ता काफी खतरनाक है, विशेषकर बारिश के मौसम में जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। स्कूली बच्चों और मरीजों के लिए यह रास्ता और भी जोखिम भरा हो जाता है।
प्रशासन द्वारा पुल निर्माण को लेकर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?
जिला पंचायत के CEO हरेश मंडावी ने बताया कि चिनार नदी पर पुल की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए जल्द ही पुल का निर्माण किया जाएगा।