आदिवासी क्षेत्रों के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का खेल, सेजेस स्कूलों में गड़बड़ी, आयोग का नोटिस बेकार

छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों (सेजेस) में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें आदिवासी क्षेत्रों के टी-संवर्ग शिक्षकों को नियमों के विरुद्ध शहरी स्कूलों में प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर भेजा गया है।

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Krishna Kumar Sikander
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The game of deputation of teachers from tribal areas the sootr
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छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल (सेजेस) योजना के तहत बड़े पैमाने पर अनियमितता का मामला सामने आया है। आदिवासी क्षेत्रों के टी-संवर्ग शिक्षकों को नियमों के खिलाफ प्रतिनियुक्ति पर शहरों में लाया गया है, जबकि नियमानुसार इन शिक्षकों को केवल टी-संवर्ग स्कूलों में ही तैनात किया जा सकता है।

इस गड़बड़ी पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया था, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया। इस बीच, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है।

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प्रतिनियुक्ति के नाम पर नियमों की अनदेखी

प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूलों की संख्या 751 है, जिनमें हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों के लिए 13,000 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 7,000 पदों पर संविदा नियुक्तियां हुई हैं। शेष 6,000 शिक्षकों को अन्य स्कूलों से प्रतिनियुक्ति पर लाया गया है, जिनमें से लगभग 3,000 शिक्षक आदिवासी क्षेत्रों के टी-संवर्ग से हैं।

शासन के नियमों के अनुसार, टी-संवर्ग शिक्षकों का स्थानांतरण केवल टी-संवर्ग स्कूलों में ही हो सकता है, लेकिन सेजेस स्कूलों में प्रतिनियुक्ति के नाम पर इन शिक्षकों को शहरों में तैनात कर दिया गया। इस प्रक्रिया में स्थानांतरण की बजाय "प्रतिनियुक्ति" शब्द का उपयोग कर नियमों को दरकिनार किया गया है।

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आयोग का नोटिस, विभाग की चुप्पी

शिक्षा विभाग की इस अनियमितता को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने गंभीरता से लिया। इसके बाद आयोग ने फरवरी 27, 2025 को स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा। आयोग ने मामले की स्वयं जांच करने की भी योजना बनाई थी।

हालांकि, छह महीने बीत जाने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया। बताया जाता है कि नोटिस जारी होने के समय के सचिव का स्थानांतरण हो गया, और नए सचिव को इस मामले की जानकारी नहीं दी गई। दूसरी ओर, आयोग ने भी दोबारा रिमाइंडर जारी करने या आगे की कार्रवाई करने में कोई सक्रियता नहीं दिखाई।

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आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी

इस अनियमितता का सबसे बड़ा खामियाजा आदिवासी क्षेत्रों के स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। वहां पहले से ही शिक्षकों की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, और अब प्रतिनियुक्ति के कारण यह संकट और गहरा गया है। परीक्षा का समय नजदीक आने के साथ ही आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में पढ़ाई ठप होने की स्थिति बन गई है, जिससे छात्रों का भविष्य दांव पर है।

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प्रशासनिक लापरवाही और नियमों का उल्लंघन

अधिकारियों को इस गड़बड़ी की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सेजेस स्कूलों में प्रतिनियुक्ति के नाम पर नियमों की अनदेखी ने न केवल शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के अधिकारों का भी हनन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिनियुक्ति की आड़ में शिक्षकों को शहरों में लाने की यह प्रक्रिया न केवल अनुचित है, बल्कि यह आदिवासी क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास भी है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?

स्कूल शिक्षा विभाग की चुप्पी और आयोग की निष्क्रियता ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। आयोग ने बार-बार केवल रिमाइंडर भेजने की बात कही, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दूसरी ओर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नोटिस का जवाब तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इस दावे को छह महीने की देरी ने खोखला साबित कर दिया है। 

सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग

इस मामले ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सामाजिक संगठनों और अभिभावकों ने मांग की है कि सरकार तत्काल इस अनियमितता की जांच करे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। साथ ही, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए प्रतिनियुक्त शिक्षकों को तुरंत वापस भेजने और स्थायी नियुक्तियों पर जोर देने की मांग उठ रही है।

FAQ

आदिवासी क्षेत्रों के टी-संवर्ग शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को लेकर क्या अनियमितता सामने आई है?
टी-संवर्ग के शिक्षकों को नियमों के विरुद्ध स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम (सेजेस) स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर शहरों में तैनात कर दिया गया है, जबकि नियमानुसार इन्हें केवल टी-संवर्ग स्कूलों में ही तैनात किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में "प्रतिनियुक्ति" शब्द का उपयोग कर नियमों को दरकिनार किया गया है।
इस अनियमितता पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने क्या कदम उठाए?
आयोग ने 27 फरवरी 2025 को स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा था और स्वयं जांच की योजना बनाई थी। लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया और आयोग ने भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
इस अनियमितता का सबसे बड़ा प्रभाव किस पर पड़ा है?
इसका सबसे बड़ा असर आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों पर पड़ा है। शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के कारण वहां पहले से मौजूद शिक्षक संकट और गहरा गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में पड़ गया है।

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