शिक्षकों की कमाई को लगी नजर , अब देना होगा पाई-पाई का हिसाब

शिक्षा विभाग के अफसरों के पास शिकायत पहुंची है कि सरकारी टीचर्स स्कूलों में पढ़ाना-लिखाना छोड़कर अपने- अपने पार्ट टाइम बिजनेस कर रहे हैं। सरकारी नौकरी को शिक्षक पार्ट टाइम जॉब की तरह कर रहे हैं।

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Marut raj
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सरकारी शिक्षकों की कमाई पर विभाग की नजर है। अब उन्हें पाई-पाई का हिसाब भी देना होगा। शिक्षक स्कूल में पढ़ाने के अलावा और कौन से काम- धंधे में लगे हैं, इसका डेटा भी गोपनीय रूप से जुटाया जा रहा है। दरअसल, शिक्षा विभाग के अफसरों के पास शिकायत पहुंची है कि सरकारी टीचर्स स्कूलों में पढ़ाना-लिखाना छोड़कर अपने- अपने पार्ट टाइम बिजनेस कर रहे हैं।

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 इसलिए गोपनीय डेटा जुटा रही सरकार

दरअसल, वित्तमंत्री ओपी चौधरी के गृह क्षेत्र रायगढ़ से यह मामला शुरू हुआ है। यहां पर शिक्षा विभाग के अफसरों पर लगातार शिकायतें पहुंच रही थीं कि सरकारी स्कूल के टीचर्स अपने काम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की बड़ी संख्या है, जो स्कूल तक नहीं आ रहे हैं। आते भी हैं तो क्लास लेने की जगह अपने पार्ट टाइम बिजनेस के बारे में ही डिस्कस में लगे रहते हैं। रायगढ़ में ऐसे शिक्षकों की बड़ी संख्या है, जो कि नेटवर्क मार्केंटिंग, हर्बल प्रोडक्ट्स की मर्केटिंग का काम कर रहे हैं। कुछ शिक्षक तो क्रिप्टोमाइनिंग के काम से भी जुड़ गए हैं। 

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इस जिले में तो शिक्षकों की लिस्ट भी बन गई

शिक्षकों के नेटवर्क मर्केटिंग के धंधे में जुड़े होने की समस्या अकेले रायगढ़ की ही नहीं है। सारंगढ़- बिलाइगढ़ जिले में तो समस्या और भी ज्यादा है। शिक्षा विभाग के अफसरों की ओर से मार्केटिंग कर रहे शिक्षकों की जानकारी जुटाई गई तो उनके होश उड़ गए।

सारंगढ़- बिलाइगढ़ में ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 20 निकली जिन्होंने पार्ट टाइम बिजनेस को फुल टाइम व्यापार बना लिया है और सरकारी स्कूल टीचर की नौकरी पार्ट टाइम के रूप में कर रहे हैं। इसे शिक्षकों को नोटिस जारी किए जाने की तैयारी चल रही है। इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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सिविल सेवा आचरण 1965 का उल्लंघन

जानकारी के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी यदि अन्य किसी आर्थिक लाभ की गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो यह सरकारी सेवा आचरण 1965 का उल्लंघन माना जाता है। ऐसे केस में संबंधित को नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। 

संपत्ति की देनी होगी जानकारी

शिक्षकों की ओर से अन्य कार्य किए जाने का मामला महानदी भवन तक पहुंचा है। इसके चलते लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को विभाग के पोर्टल पर अपनी आय और संपत्ति का ब्यौरा देना होगा।

एक तरह से यह आईटीआर की तरह ही है। इसमें स्वयं की ओर से पूरी जानकारी अपलोड की जाएगी। इसमें यह भी बताना होगा कि उन्होंने बाइक, जेवर या अन्य संपत्ति खरीदी है, तो उसके लिए उनके पास पैसे कहां से आए।

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FAQ

शिक्षकों की आय और अन्य गतिविधियों पर सरकार की नजर क्यों है ?
सरकार को शिकायतें मिली हैं कि सरकारी शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने की बजाय पार्ट टाइम बिजनेस जैसे नेटवर्क मार्केटिंग, हर्बल प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग और क्रिप्टोमाइनिंग में शामिल हो रहे हैं। इसके कारण वे अपने स्कूल के कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
शिक्षकों को अपनी संपत्ति और आय का विवरण क्यों देना होगा ?
शिक्षकों द्वारा अन्य कार्यों में लिप्त होने की शिकायतों के चलते शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि शिक्षक विभाग के पोर्टल पर अपनी आय और संपत्ति का विवरण अपलोड करें। यह प्रक्रिया उनकी आय और संपत्ति के स्रोत की जांच के लिए शुरू की गई है।
क्या सरकारी शिक्षकों द्वारा पार्ट टाइम बिजनेस करना नियमों का उल्लंघन है ?
हां, सरकारी सेवा आचरण 1965 के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी अन्य किसी आर्थिक लाभ की गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकता। ऐसा करना सेवा नियमों का उल्लंघन माना जाएगा, और संबंधित कर्मचारी की नौकरी भी बर्खास्त की जा सकती है।

 

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