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छत्तीसगढ़ में सरकारी और निजी स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए डेढ़ महीने बीत चुके हैं, लेकिन लाखों छात्रों के हाथ अभी तक किताबें नहीं पहुंची हैं। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के रायपुर के गटौरी गोदाम से स्कूलों तक मुफ्त किताबें तो पहुंचाई गईं, लेकिन तकनीकी खामियों और लचर व्यवस्था के कारण ये किताबें स्कूलों में टेबलों पर धूल खा रही हैं। रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के ज्यादातर स्कूलों में करीब 50 प्रतिशत बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं।
तकनीकी खामियां बनीं बाधा
सरकार की मुफ्त पाठ्यपुस्तक योजना के तहत स्कूलों को किताबें उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन इन्हें बच्चों तक पहुंचाने में सिस्टम की नाकामी साफ दिख रही है। मुख्य समस्या पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल में बारकोड स्कैनिंग की तकनीकी खराबी है। शिक्षकों का कहना है कि पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन हो रहा है, जिसके कारण किताबों के बारकोड अपलोड नहीं हो पा रहे। इस वजह से किताबों का वितरण रुका हुआ है।
बिलासपुर में चार लाख किताबें, फिर भी अधूरी पढ़ाई
बिलासपुर जिले में सरकारी और निजी स्कूलों को मिलाकर लगभग 4 लाख किताबें पाठ्य पुस्तक निगम ने भेजी हैं। जिले में 1,858 सरकारी स्कूल (1,113 प्राइमरी, 518 मिडिल, 227 हाई स्कूल) और 749 निजी स्कूल हैं। लेकिन तकनीकी अड़चनों के कारण इनमें से आधी से अधिक किताबें बच्चों तक नहीं पहुंचीं। कई स्कूलों में शिक्षक पुरानी किताबों या अन्य संसाधनों के सहारे पढ़ाई कराने को मजबूर हैं।
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शिक्षकों की शिकायत, सिस्टम का सहयोग नहीं
शिक्षकों ने बताया कि पाठ्य पुस्तक निगम के स्कैनिंग ऐप में बार-बार दिक्कत आ रही है। बारकोड स्कैन न होने के कारण किताबों का वितरण संभव नहीं हो रहा। स्कूलों में किताबें तो मौजूद हैं, लेकिन बिना स्कैनिंग के इन्हें बच्चों को नहीं दिया जा सकता। इस वजह से लाखों किताबें स्कूलों के स्टोर रूम या टेबलों पर पड़ी हैं, जबकि बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं।
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शिक्षा विभाग की स्थिति
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे इस समस्या से वाकिफ हैं और इसे जल्द हल करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन पोर्टल की तकनीकी खराबी और सर्वर की समस्या का तत्काल समाधान नहीं हो पा रहा है। इस देरी से न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों में भी नाराजगी बढ़ रही है।
समस्या के त्वरित समाधान की जरूरत
छत्तीसगढ़ में मुफ्त पाठ्यपुस्तक योजना का उद्देश्य हर बच्चे तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना है, लेकिन तकनीकी खामियों और सिस्टम की लापरवाही ने इस योजना की राह में रोड़े अटका दिए हैं। डेढ़ महीने बाद भी बच्चों के हाथ खाली हैं, और किताबें स्कूलों में धूल खा रही हैं। शिक्षा विभाग को इस समस्या का त्वरित समाधान करना होगा, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और योजना का मकसद पूरा हो सके।
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