न सरकार सुन रही, न सिस्टम जाग रहा... PM आवास नहीं मिलने पर सड़क पर रही बुजुर्ग

छत्तीसगढ़ की ध्याना बाई बरेठ, उम्र 65 साल। जिनका जीवन आज भी सड़क के किनारे गुजर रहा है, वो सिर्फ एक मकान की उम्मीद में सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं।

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Kanak Durga Jha
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Elderly woman lives on road after not getting PM housing
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छत्तीसगढ़ की ध्याना बाई बरेठ, उम्र 65 साल। जिनका जीवन आज भी सड़क के किनारे गुजर रहा है, वो सिर्फ एक मकान की उम्मीद में सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। रायगढ़ की मूल निवासी ध्याना बाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में आया, लेकिन 2 लाख 73 हजार रुपये की शर्त उनके सपनों की छत के बीच दीवार बन गई।

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मकान मिला...पर शर्त ऐसी जो तोड़ दे उम्मीदें

सरकारी कागज़ों में उन्हें चंद्रनगर स्थित ब्लॉक डी के मकान नंबर 23 का आवंटन मिला है। मगर इस मकान को पाने के लिए भारी राशि जमा करना उनकी क्षमता से परे है। नतीजा – छत अब भी सपना बनी हुई है।

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रोज़गार के लिए जम्मू, जिंदगी बचाकर लौटीं रायगढ़

कभी मजदूरी की तलाश में जम्मू-कश्मीर तक गईं, जहां बस स्टैंड पर उनके गहने और पैसे चोरी हो गए। ऊपर से पुलिस ने भी जो कुछ बचा था वो ले लिया। किसी तरह खुद को संभालते हुए वापस छत्तीसगढ़ लौटीं। तब से आज तक ध्याना बाई की रातें कभी स्टेशन तो कभी मंदिर के पास गुजर रही हैं।

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न सरकार सुन रही, न सिस्टम जाग रहा

ध्येय साफ है – "मरने से पहले एक छत मिल जाए, तो मरने के बाद सरकार वो मकान वापस ले ले।" ध्याना बाई की इस पुकार में बेबसी साफ झलकती है। रायगढ़ नगर निगम और राजधानी रायपुर के मंत्रियों के बंगलों तक दस्तक दे चुकी हैं, मगर जवाब अक्सर यही मिलता है – "मंत्री बाहर हैं" या फिर उन्हें गेट से ही लौटा दिया जाता है।

FAQ

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ध्याना बाई को मकान क्यों नहीं मिल सका?
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ध्याना बाई को रायगढ़ के चंद्रनगर क्षेत्र में मकान नंबर 23 का आवंटन किया गया था, लेकिन 2 लाख 73 हजार रुपये की राशि जमा करने की शर्त पूरी न कर पाने के कारण उन्हें मकान नहीं मिल पाया।
अपनी जीविका चलाने के लिए ध्याना बाई को किन कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा?
रोज़गार की तलाश में ध्याना बाई जम्मू-कश्मीर तक गईं, लेकिन वहां बस स्टैंड पर उनके गहने और पैसे चोरी हो गए। पुलिस ने भी उनसे बची-खुची चीजें वसूल लीं। किसी तरह से वे वापस छत्तीसगढ़ लौटीं और तब से मंदिर या स्टेशन के पास सड़क पर जीवन बिता रही हैं।
ध्यान बाई की सरकार से क्या अंतिम इच्छा है?
ध्याना बाई की सरकार से अंतिम इच्छा है कि उन्हें मरने से पहले एक छत मिल जाए। वे कहती हैं कि उनकी मौत के बाद सरकार चाहे तो वह मकान वापस ले ले, बस उन्हें जीते जी रहने के लिए एक मकान मिल जाए।

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