बच्चों को पढ़ाएगी खाली कुर्सी

छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रिंसिपल से चपरासी तक डेढ़ लाख पद खाली, प्रमोशन वाले 54 हजार पद भी नहीं भर पाई सरकार, बिना काम के वेतन ले रहे हैं 13 हजार टीचर

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Arun Tiwari
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रायपुर (अरुण तिवारी)  : नया शिक्षा सत्र आ गया है और छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा की हालत अस्त व्यस्त है। हाल ये हैं कि स्कूलों में चपरासी से लेकर प्रिंसिपल तक करीब डेढ़ लाख पद खाली हैं। इनमें 50 हजार से ज्यादा तो वे पद हैं जिनको सरकार को प्रमोशन से भरने हैं यानी नई भर्ती नहीं करनी है। लेकिन ये पद भी सरकार से नहीं भरे जा रहे। सरकार ने शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण यानी रेशनलाइजेशन करने की बात कही थी लेकिन ये भी नहीं हो पाया। इससे 13 हजार से ज्यादा टीचर बिना काम के वेतन ले रहे हैँ। ये स्कूल की जगह डेप्युटेशन पर भेजे गए हैं। इन सबका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। एक तरफ तो 13 हजार टीचर सरप्लस हैं तो दूसरी तरफ कई स्कूल बिना मास्साब के या एक मास्टर के भरोसे चल रहे हैं।    

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छत्तीसगढ़ में खाली पड़े स्कूल 

नया शिक्षा सत्र आ गया है और छत्तीसगढ़ में स्कूलों की हालत पिछले साल की तरह ही है। जब नई सरकार आई थी तो लगता था कि अब बच्चों की बुनियाद मजबूत करने यानी स्कूल शिक्षा की बेहतरी के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। स्कूल शिक्षा मंत्री की कुर्सी को खाली हुए एक साल होने जा रहा है लेकिन नया शिक्षा मंत्री नहीं आ पाया और यह विभाग सीएम के पास ही है। स्कूलों में शिक्षक तो छोड़िए, चपरासी से लेकर प्रिंसिपल तक 1 लाख 44 हजार 483 पद खाली पड़े हुए हैं। इनमें से सरकार को प्रमोशन के जरिए 54 हजार 649 पद भरने हैं लेकिन वे सरकार से नहीं भरे जा रहे। सीधी भर्ती से 82 हार 687 पदों पर भर्ती की जानी है जिसमें 33 हजार शिक्षक भी शामिल हैं। और जब शिक्षा की रीढ़ ही कमजोर होगी तो फिर लाखों बच्चों की स्लेट में तो हासिल आई शून्य ही होगा। आइए आपको बताते हैं कि स्कूल शिक्षा में किसके कितने पद खाली हैं जिससे स्कूल खाली पड़े है और पढ़ाई लिखाई चौपट पड़ी है।   

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स्कूलों में इतने पद खाली और ऐसे भरे जाएंगे पद 

 सेकंड क्लास : खाली पद 16873 - सीधी भर्ती - 4981 - प्रमोशन का पद 11892

थर्ड क्लास : खाली पद 51617 - सीधी भर्ती  25808 - प्रमोशन का पद 25809

फोर्थ क्लास : खाली पद 12920 - सीधी भर्ती  12920 - प्रमोशन का पद 0

सहायक शिक्षक : खाली पद 33178 - सीधी भर्ती - 33178 - प्रमोशन का पद 0

शिक्षक : खाली पद 10883 - सीधी भर्ती 5442 - प्रमोशन का पद 5441

व्याख्याता : खाली पद 9246 - सीधी भर्ती 0 - प्रमोशन का पद 2119

हेडमास्टर, प्रायमरी स्कूल : खाली पद 2119 - सीधी भर्ती  0 - प्रमोशन का पद 2119

हेडमास्टर, मिडिल स्कूल : खाली पद 4045 - सीधी भर्ती  0 - प्रमोशन का पद 4045

प्रिंसिपल : खाली पद 3582 - सीधी भर्ती  358 - प्रमोशन का पद 3224

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बिना काम पगार ले रहे 13 हजार शिक्षक 

प्रदेश में 13 हजार शिक्षक सरप्लस हैं। यानी या तो ये उन स्कूलों में है जहां पर इनका काम नहीं है या फिर डेप्यूटेशन पर हैं। यही 13 हजार शिक्षक बिना काम के वेतन ले रहे हैं। कई स्कूलों में बच्चे कम और टीचर ज्यादा हो गए हैं। खासकर शहरों के स्कूल शिक्षकों से भरे पड़े हैं । और गांवों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी टीचर नहीं हैं। 100 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां चार पांच बच्चे हैं और इससे ज्यादा टीचर। दुर्ग शहर के एक मिडिल स्कूल में 90 बच्चों पर 11 शिक्षक तैनात हैं। इन शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने की बात सरकार करती जरुर है लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो पाया है। युक्तियुक्त करण के लिए बनाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी लेकिन ये फॉर्मूला अभी लागू नहीं हो पाया है। 

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कई स्कूलों में शिक्षक नहीं तो कई में एक टीचर

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में  300 से ज्यादा स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। 5500 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक तैनात हैं। छत्तीसगढ़ में करीब 4 हजार स्कूल ऐसे हैं, जो एक ही कैंपस में अन्य स्कूलों के साथ चल रहे हैं। और लगभग डेढ़ हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 10 से 20 के बीच है। इनमें 100 से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे 10 से कम हैं और शिक्षक राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक हैं। राष्ट्रीय मानक के अनुसार 20 बच्चे होने पर एक स्कूल खोला जा सकता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में जहां दो-दो, चार-चार बच्चे वाले स्कूलों की संख्या सैकड़ों में हैं। ऐसे स्कूलों के शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी कहते हैं कि अधिकांश स्कूल एक ही कैंपस में हैं। उन्हें आपस में मर्ज किया जाएगा तो शिक्षकों की कमी दूर हो सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार 150 के करीब स्कूल ऐसे होंगे, जिनमें पांच-सात बच्चे हैं और उन्हें पास के गांवों में युक्तियुक्तकरण कर शिफ्ट करने की योजना है।

 

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