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छत्तीसगढ़ के गंगरेल बांध में डूबने की आशंका से शुरू हुई एक लापता युवक की तलाश, 12 दिन बाद दिल्ली में जाकर खत्म हुई। पुलिस की जांच में सामने आया कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें युवक ने खुद को मृत दिखाकर फरार होने की योजना बनाई थी। पुलिस ने उसे दिल्ली से पकड़कर रुद्री थाना ले आई है और अब उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
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डूबने की झूठी कहानी का पर्दाफाश
कवर्धा निवासी हेमंत चंद्रवंशी (30) 24 मई को अपने कर्मचारी के साथ गंगरेल डैम घूमने आया था और वहां एक रिसॉर्ट में रुका। 25 मई को उसने नहाने के बहाने अंगारमोती मंदिर के पीछे बांध किनारे अपने कपड़े, मोबाइल और चप्पल छोड़ दिए और अपने साथी को कुछ सामान लाने भेज दिया। उसके लौटने तक हेमंत गायब हो चुका था। किनारे पड़े सामान को देखकर सभी को लगा कि वह डूब गया है।
5 दिन चला रेस्क्यू ऑपरेशन
रुद्री पुलिस को सूचना मिलते ही गोताखोरों की टीम और रायपुर से एसडीआरएफ को बुलाया गया। लगातार पांच दिन तक गंगरेल बांध में खोजबीन की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इस बीच पूरे इलाके में तनाव और चिंता का माहौल बन गया था।
मोबाइल लोकेशन ने खोला राज
जब पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने हेमंत के परिवार से विस्तृत पूछताछ की। इसी दौरान पता चला कि हेमंत के पास एक और मोबाइल नंबर था। जब उस नंबर की लोकेशन ट्रेस की गई तो दिल्ली की लोकेशन सामने आई। इसी बीच युवक ने घर पर खुद फोन किया और बताया कि वह जिंदा है और दिल्ली में है।
कर्ज से परेशान होकर भागा
प्रारंभिक पूछताछ में हेमंत ने बताया कि वह कर्ज के दबाव में था और खुद को डूबा हुआ दिखाकर भाग जाना चाहता था। उसने सोचा था कि अगर वह मरा समझ लिया जाएगा, तो कर्जदार भी उसे भूल जाएंगे। लेकिन पुलिस की सतर्कता और डिजिटल जांच के चलते उसकी यह योजना नाकाम हो गई।
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फर्जी सूचना देने पर होगी कार्रवाई
रुद्री थाना प्रभारी ने बताया कि युवक के खिलाफ झूठी सूचना देकर पुलिस और प्रशासन को गुमराह करने, संसाधनों की बर्बादी और भ्रम फैलाने के आरोप में कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है और कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की तैयारी में है।
यह मामला एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में कोई भी झूठ ज्यादा देर टिक नहीं सकता। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि मानसिक दबाव और आर्थिक परेशानियां जब हद पार करती हैं, तो लोग कैसे-कैसे रास्ते अपना लेते हैं।
क्या कहती है कानून की किताब?
ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 182 (लोक सेवक को झूठी सूचना देना) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज किया जा सकता है, जिसमें जुर्माना और सजा दोनों संभव हैं।
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