धान छत्तीसगढ़ की आत्मा है इसीलिए इस प्रदेश को धान का कटोरा कहा जाता है। धान की खरीदी ही यहां की सियासत का खास मुद्दा रहा है। एक बार फिर धान की खरीदी शुरु हो गई है लेकिन इसमें एक नया पेंच आ गया है। यह पेंच 1900 करोड़ का है। किसान कह रहे हैं ये उनके हिस्से के पैसे हैं। जबकि सरकार इस 1900 करोड़ को अपने लिए थोड़ी सी राहत मान रही है। यह पैसा धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार दे रही है इसलिए इस पर दोनों अपना हक जता रहे हैं। यह किसकी जेब में जाएगा यह अलग सवाल है। क्या है इन 1900 करोड़ का पेंच आइए आपको बताते हैं।
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यह है 1900 करोड़ का गणित
सरकार ने 14 नवंबर से धान खरीदी शुरु कर दी है। सीएम विष्णुदेव साय ने किसानों को धान बेचने के साथ ही तत्काल 10 हजार रुपए नगद देने का ऐलान भी किया है। यह राशि किसानों के लिए बड़ी राहत मानी जा सकती है। केंद्र सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 117 रुपए का इजाफा और कर दिया है।
अब किसानों में ये कन्फ्यूजन है कि धान की खरीदी बीजेपी की घोषणा के अनुसार 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर होगी या फिर इसमें 117 जोड़कर 3217 रुपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी जाएगी। अब यहीं पर पेंच फंस गया है। मसला ये है कि यदि राज्य सरकार अपने वादे के अनुसार 3100 रूपए में खरीदी करती है, तो किसानों को 2300 रूपए समर्थन मूल्य और लगभग 800 रूपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
सरकार ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान लगाया है। इस तरह से यह अतिरिक्त राशि करीब 1900 करोड़ होगी। यही 1900 करोड़ पर असमंजस की स्थिति है कि यह किसकी जेब में जाएंगे।
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किसकी जेब में जाएंगे 1900 करोड़
मामला 1900 करोड़ की बड़ी राशि का है इसलिए इस पर सियासत तेज हो गई है। इस साल धान बेचने के लिए 27 लाख 68 हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। सरकार ने 31 जनवरी तक 160 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जन का अनुमान लगाया है। बीजेपी सरकार में पहली बार 2023-24 में हुई धान खरीदी में 26 लाख से ज्यादा किसानों ने 145 लाख मीट्रिक टन धान बेचा।
किसान नेता कहते हैं कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 3100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदने का वादा किया था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने 117 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। इसलिए सरकार को 3217 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ये धान खरीदना चाहिए। यह 1900 करोड़ किसानों के खाते में जाना चाहिए।
वहीं सरकार कहती है कि हमने 3100 रूपए के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की घोषणा की थी। यह वादा हम पूरा कर रहे हैं। इसके लिए समर्थन मूल्य से 800 रुपए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं। केंद्र ने समर्थन मूल्य में वृद्धि की है तो इससे राज्य को राहत मिलेगी और राज्य का वित्तीय भार कम होगा।
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छत्तीसगढ़ में धान बनाती है सरकार
- विधानसभा चुनाव 2008 में बीजेपी ने धान पर 270 रूपए से बढ़ाकर 300 रूपए बोनस देने की घोषणा की और 50 सीटों के साथ एक फिर सरकार बनाई।
- विधानसभा चुनाव 2013 में बीजेपी ने घोषणा पत्र में 2400 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदी का वादा किया। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने 2000 रूपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी की घोषणा की। धान के दाम की घोषणा के आधार पर एक बार फिर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी।
- विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 2500 रूपए प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदी के साथ कर्जमाफी का वादा किया और सरकार बना ली। वहीं, बीजेपी ने धान खरीदी पर कोई घोषणा नहीं की थी।
- विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने धान के मायने समझे और धान खरीदी 3100 रूपए करने की घोषणा की। राज्य में फिर बीजेपी की सरकार बन गई।
चूंकि धान खरीदी का मुद्दा हमेशा छत्तीसगढ़ की सियासत के केंद्र में रहा है इसलिए धान खरीदी पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेरना शुरु कर दिया है।
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