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छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों खूब हलचल मची हुई है। हम आपको बताएंगे कि किस तरह साहब लोग ज्यादा ही तेज चलने के चक्कर में उलझन में पड़ गए। मीडिया से संतुलन बैठाने के लिए एक साहब की नई पोस्टिंग हुई। वैसे तो साहब सौम्य स्वभाव के हैं लेकिन उनकी कैंची ने उनको मुश्किल में डाल दिया और उलझा दिया लोगों से।
वहीं कुछ अधिकारियों की करतूतें उनके आईएएस बनने में रोड़ा बन गईं। बनना उनको था आईएएस और बन दूसरे लोग गए। उनकी करतूतों का ग्रहण ऐसे समय पर लगा जब कि प्रमोशन की पूर्णिमासी आने वाली थी। प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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उलझन में पड़े साहब
मीडिया से जुड़े विभाग में आए नए साहब बड़ी उलझन में हैं। उनकी पहली मुलाकात में ही लोगों से वाद_विवाद हो गया। दरअसल हुआ यूं कि साहब ने आते ही लिस्ट से लोगों की छंटनी कर दी। छंटनी भी थोड़ी बहुत नहीं बल्कि अच्छी खासी यानी 150 से 200 लोग इस सूची से बाहर हो गए। इन लोगों ने साहब के ऑफिस में धावा बोल दिया।साहब ने कैबिन के बाहर इन लोगों को इंतजार करवा दिया। तभी एक सज्जन आए और सीधे कैबिन में दाखिल हो गए। फिर क्या था कैबिन के अंदर चाय_कॉफी का दौर चलना लगा। बाहर खड़े लोगों का इंतजार लंबा हो गया और उनकी सब्र की सीमा टूट गई।
सभी लोग अंदर घुस गए और साहब को खरी खोटी सुनाने लगे। अब साहब की स्थिति सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली हो गई। उनकी तेज चाल से उनको ही दो कदम पीछे हटना पड़ा। अब कानाफूसी ये है कि ये उपर से ऑर्डर हैं कि इन लोगों को थोड़ा कायदे में रखो। अब देखिए आगे आगे होता है क्या।
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कलेक्टरी की राह में रोड़ा बनी करतूतें
हाल ही में राज्य प्रशासनिक सेवा के 14 अफसरों की डीपीसी हुई और वे आईएएस बन गए। इनमें से कुछ ऐसे अफसर भी प्रमोट हो गए जिनके बारे में कहा जाता है कि काम के न काज के दुश्मन अनाज के। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने अवैध जमीन के धंधे में खूब पैसा कमाया है। लेकिन हम बात उनकी नहीं कर रहे।
हम बात कर रहे हैं ऐसे अधिकारियों की जिनकी राह में उनकी करतूतें ही रोड़ा बन गईं। यदि इन्होंने ऐसे कर्म नहीं किए होते तो ये भी आज आईएएस बन गए होते। इनमें एक महिला अधिकारी ऐसी हैं जो जेल में बंद हैं। इन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर रहते हुए ही सारे आईएएस को अपनी उंगलियों पर नचा दिया। अब कर्मों का फल भुगत रही हैं। दूसरी भी ऐसी महिला अफसर हैं जो ऐन मौके पर पीएससी घोटाले में फंस गईं।
और तीसरे ऐसे साहब हैं जिन पर जमीन घोटाले का आरोप लगा था। डीपीसी के चक्कर में इन्होंने ऐसा चक्कर चलाया कि सरकार से उनको क्लीन चिट मिल गई। लेकिन अदालती चक्कर के कारण इनकी डीपीसी नहीं हो पाई। अब भाई ये तो कर्मों का खेल है, जैसे करम करेगा वैसा ही फल मिलेगा। ये तो गीता का ज्ञान है फिर झूठा कैसे होगा।
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मुख्य सचिव के नाम पर हलचल
इन दिनों में मंत्रालय में नए मुख्य सचिव को लेकर हलचल शुरु हो गई है। नए मुख्य सचिव के लिए जो नाम आ रहा है उससे मंत्रालय के अधिकारियों की धड़कने बढ़ने लगी हैं। हालांकि अभी इस बात को समय है क्योंकि अभी वर्तमान मुख्य सचिव के कार्यकाल पूरा होने में छह महीने का वक्त है।
मुख्य सचिव को लेकर भारत सरकार में पोस्टेड अफसर के नाम की चर्चा है। हालांकि उनसे सीनियर दो अफसर प्रदेश में ही हैं लेकिन चर्चा दिल्ली के अफसर की है। इनके नाम को लेकर अधिकारियों में इसलिए डर है क्योंकि ये तेज तर्रार और अनुशासित कार्यशैली के अफसर माने जाते हैं। यदि ये प्रदेश में आ गए तो यहां के अधिकारियों की मनमर्जी और लेट लतीफी की आदत को सुधारना पड़ेगा। अब ऐसे में कौन चाहेगा कि उनके आराम में खलल पड़े।
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