बिलासपुर नगर निगम में स्मार्ट सिटी फंड के तहत 77 लाख रुपए की एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) के घोटाले का मामला सामने आया है। आरोप है कि कांग्रेस के एक नेता और ठेकेदार ने नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत कर बिना काम किए ही एफडीआर की राशि निकाल ली। यह मामला नगर निगम में नाली निर्माण कार्य के लिए जारी किए गए टेंडर से जुड़ा हुआ है, जिसमें ठेकेदार ने कम रेट पर टेंडर जमा किया था, लेकिन काम पूरा नहीं किया।
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निगम अधिकारियों से मिलीभगत
घोटाले के मुताबिक, कांग्रेस नेता और ठेकेदार कमल ठाकुर ने नाली निर्माण का कार्य प्राप्त करने के लिए कम रेट पर टेंडर भर दिया। हालांकि, वह काम को समय पर पूरा नहीं कर पाया। इसके बावजूद, ठेकेदार ने निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर मौखिक रूप से टेंडर वापस ले लिया और कार्य छोड़ दिया। आमतौर पर इस स्थिति में एफडीआर की राशि नहीं दी जाती है, लेकिन ठेकेदार ने निगम कर्मचारियों के साथ मिलकर ओरिजनल एफडीआर निकाल लिया और उसकी फोटो कॉपी जमा कर दी।
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घोटाले का खुलासा
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब नगर निगम के आयुक्त अमित कुमार ने ठेकेदार को किसी दूसरे काम की जिम्मेदारी दी और पुराने टेंडर की जांच की। जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने एफडीआर की असल राशि बैंक से निकाल ली थी, जबकि नियमों के अनुसार बैंक से एफडीआर की राशि केवल तभी निकाली जा सकती है जब काम पूरा हो चुका हो और निगम द्वारा एनओसी जारी की गई हो।
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बैंक पर भी कार्रवाई की मांग
इस गड़बड़ी को लेकर हड़कंप मच गया और निगम के अधिकारियों ने मामले को रफादफा करने की कोशिश की। आखिरकार ठेकेदार पर 16 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया और मामले को सुलझाने के प्रयास किए गए। साथ ही, बैंक की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि नियम के मुताबिक बैंक को भी काम पूरा होने पर ही राशि जारी करनी चाहिए थी। निगम आयुक्त ने आरबीआई को पत्र लिखकर बैंक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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