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रायपुर : भारतमाला प्रोजेक्ट में रायपुर से विशाखापटनम तक बन रहे कॉरिडोर का मामला जब विधानसभा में उठा तो इसकी गूंज पूरे छत्तीसगढ़ में सुनाई दी। सरकार ने माना कि इस कॉरिडोर में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। रातों रात इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें 350 करोड़ का घोटाला हुआ है। अधिकारियों ने बड़े लोगों की जमीनों में फेरबदल कर करोड़ों का मुआवजा बांट दिया। द सूत्र ने इस मामले की पड़ताल की तो बड़े चौंकाने वाले खुलासे हुए। सूत्रों की मानें तो इस कॉरिडोर के मुआवजे में बीजेपी के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक और उनके करीबियों ने 100 करोड़ का मुआवजा लिया है। इस पूरे मामले में जमीनों के एक दलाल को मास्टर माइंड माना जा रहा है। जब महंत ने ये मामला विधानसभा में उठाया तो उनके पास एक कॉल भी आया। आइए आपको बताते हैं द सूत्र की पड़ताल में हुए बड़े खुलासे।
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350 करोड़ के भ्रष्टाचार का कॉरिडोर
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच बन रहे कॉरिडोर को कुछ बड़े लोगों और कुछ अधिकारियों ने मोटी कमाई का कॉरिडोर बना दिया। इस एक्सप्रेस वे के लिए जमीनों का अधिग्रहण करने में कुछ सरकारी अधिकारियों ने 350 करोड़ का खेला कर दिया। इस खेला के मुख्य किरदार दो एसडीएम और एक तहसीलदार थे। इस कॉरिडोर के लिए 32 प्लॉट को 142 प्लॉट में बांट दिया गया। 32 प्लॉट का मुआवजा 35 करोड़ हो रहा था लेकिन इन अधिकारियों ने इसके 142 टुकड़े कर मुआवजा बना दिया 326 करोड़। इस मुआवजे में से 248 करोड़ बांट भी दिए गए। यह मामला नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा में उठाया तो आनन फानन में तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू और तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड कर दिया गया। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई। यह मामला सिर्फ इतना भर नहीं है। इस मामले के कई पहलू हैं। द सूत्र ने पड़ताल कर इस घोटाले की परतें उधेड़ने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
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पूर्व मंत्री को 100 करोड़ का मुआवजा
अधिकारियों ने यह खेला उन बड़े लोगों के साथ मिलकर किया जिन्होंने इस भारतमाला प्रोजेक्ट के ऐलान के साथ ही उसके आस पास की जमीनें खरीद लीं थी। इनमें राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग भी शामिल थे। अधिकारियों ने ऐसे लोगों के साथ मिलकर ही यह पूरा खेल रचा। और 35 करोड़ के मुआवजे के 350 करोड़ बना दिए। सूत्रों की मानें तो बीजेपी के फायर ब्रांड पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक, उनके परिजन और करीबियों की जमीनें भी इस कॉरिडोर के रास्ते में थीं। पूर्व मंत्री ने अपनों के साथ मिलकर करीब 100 करोड़ का मुआवजा लिया है। इसके अलावा कांग्रेस के रायपुर जिले के एक जिला पंचायत सदस्य ने भी यहां पर जमीनों की अदला बदली कर करोड़ों का मुआवजा लिया है।
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जमीनों का दलाल मास्टर माइंड
इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड एक जमीन एजेंट है। इस जमीन एजेंट की पत्नी राजस्व विभाग में अधिकारी है। सूत्रों की मानें तो इस एजेंट ने ही यहां पर जमीन बेचने,खरीदने और उसके सीमांकन और बटान कराने का पूरा काम किया है। बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास ने ईओडब्ल्यू को इस जमीन घोटाले से जुड़े सारे तथ्य मुहैया कराए हैं। इसके अलावा सेंट्रल विजिलेंस कमीशन को भी शिकायत भेजी है। गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड हरमीत खनूजा है। कांग्रेस के नेता इसका नाम लेने से क्यों बच रहे हैं। यह पूरा घोटाला कांग्रेस के संरक्षण में हुआ है और तत्कालीन सीएम सचिवालय तक इसके तार जुड़े हैं।
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दूसरे जिले में खुलवाए किसानों के खाते
इस घोटाले का एक पहलू और भी है। अधिकारियों ने अभनपुर और आसपास के गांवों के किसानों के खाते रायपुर की जगह महासमुंद जिले की एक प्रायवेट बैंक में खुलवा दिए गए। मुआवजे के लिए सैकड़ों की संख्या में खाते खुलवाए गए। इतना ही नहीं तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पोस्टिंग भी महासमुंद में कर दी गई ताकि इन खातों से राशि निकाली जा सके। कई किसानों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है और वे इसके लिए भटक रहे हैं। लेकिन अधिकारियों ने उनके नाम पर करोड़ों रुपए कमा लिए हैं।
एक और एसडीएम पर शक की सुई
यह पूरा घोटाला तब का है जब प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश सरकार थी। मामला 2019 से लेकर 2021 के बीच का है। तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू और तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुर्रे समेत कुछ पटवारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। निर्भय साहू अक्टूबर 2020 में एसडीएम के पद पर पदस्थ हुए थे लेकिन मामला 2019 के बाद हुए नोटिफिकेशन से ही शुरु हो गया था। इस दौरान तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू थे। इस नोटिफिकेशन के बाद जमीनों के सीमांकन और बटान पर रोक लग गई थी लेकिन जमीनों को बैक डेट में जाकर बदला गया।
महंत को आया फोन कॉल
रायपुर से बिशाखापट्नम कोरिडोर में हुए भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा में गूंजा। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि इस परियोजना में 350 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है जिसमें बड़े अधिकारी शामिल हैं। महंत ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। यदि ये जांच नहीं कराएंगे तो हमको हाईकोर्ट तक जाना पड़ेगा। महंत ने कहा कि यह मामला पिछली सरकार में हुए भ्रष्टाचार का है तो फिर इस सरकार को सीबीआई जांच में क्या आपत्ति है। इस सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने माना कि इस प्रोजेक्ट में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी लगातार शिकायतें आ रही हैं और कार्रवाई भी हो रही है। लेकिन विधानसभा की इस बहस से पहले नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के पास एक फोन कॉल आया। फोन कॉल वाले ने मिलने की इच्छा जताई। जाहिर है महंत से इस मामले को न उठाने का निवेदन था। महंत कहते हैं कि उनके पास फोन कॉल आया लेकिन उन्होंने इस मामले में किसी प्रकार की बात करने और मिलने से मना कर दिया।
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