BHOPAL. तेलीबांधा के शताब्दी नगर में पूर्व मंत्री शिव डहरिया के परिवार का सामुदायिक भवन पर कब्जे का भंडाफोड़ होने के बाद तेलीबांधा में एक और सामुदायिक भवन घोटाला सामने आया है। इस बार ये घोटाला कांग्रेस सरकार में खाद्य मंत्री रहे अमरजीत भगत ने किया है। बता दें कि भगत ने अपने बंगले के सामने करीब चार एकड़ सरकारी चारागाह की जमीन पर कब्जा कर वहां सामुदायिक भवन बनवाया। उसी परिसर में मंदिर का निर्माण कर भवन मंदिर समिति को हस्तांतरित कर दिया।
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लगभग 4.12 एकड़ के जमीन पर कब्जा
भवन निर्माण के बाद इसका नाम सरगुजा कुटीर दिया गया। उसके बाद यहीं से वह अपनी राजनीतिक गतिविधियां करने लगे। जानकारी के मुताबिक उनके कार्यकर्ता और क्षेत्र के लोग यहीं ठहरा करते थे। जानकारी के मुताबिक इस भवन निर्माण में 8 से 10 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। बता दें कि इस सरकारी जमीन को तीन ब्लॉक में बांटकर इसका निर्माण किया गया है। एक हिस्से के करीब सवा एकड़ क्षेत्र में बड़ा सा लॉन है। ये लॉन निगम ने बनाया है और ये किसी के कब्जे में नहीं है। दूसरे हिस्से में भवन और तीसरे हिस्से में मंदिर बनाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये पूरी जमीन लगभग लगभग 4.12 एकड़ है।
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बेहद आलीशान और भव्य तरीके से बना है ये भवन
इस सामुदायिक भवन में लगे सामान और फर्नीचर में कितना खर्चा किया गया है, इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। वहीं निगम के अफसरों का कहना है कि उनकी ओर से इसमें कोई निर्माण नहीं किया गया। साथ ही पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने भी साफ इनकार कर दिया। भवन और पूरे परिसर को बेहद आलीशान और भव्य बनाया गया है। मुख्य भवन के हर कमरे तथा हॉल में 15 से ज्यादा एसी लगाए गए हैं। कमरों में टीवी, लग्जरी कुर्सियां, फर्नीचर समेत तमाम सुविधाएं हैं। भवन के सामने 22 से 25 हजार वर्गफीट जमीन पर पेवर ब्लॉक लगाए गए हैं। यहां भी हरियाली और पेड़-पौधे लगाए गए हैं। ये पूरा निर्माण चुनाव से दो साल पहले कराया गया है।
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सरकार चाहे तो भवन निर्माण तोड़कर जमीन लेले
मंदिर का निर्माण भी पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने करवाया है। इसके शिलालेख में मंदिर का नाम सार्वजनिक शिवशक्ति मंदिर और सौजन्य में अमरजीत भगत तथा कौशल्या भगत के नाम का उल्लेख है। यानि पूर्व मंत्री भगत ने सरकारी जमीन पर अपनी मर्जी से मंदिर का निर्माण कर उसे एक समिति को दे दिया। सामुदायिक भवन भी मंदिर की समिति के ही आधिपत्य में है। लेकिन इसका उपयोग पूर्व मंत्री खुद तथा उनके राजनैतिक सहयोगी करते रहे हैं। भवन का निर्माण सरकारी उपयोग के लिए किया गया है। इस पर न तो अवैध कब्जा है न हमने पट्टा लिया है। सरकार चाहे तो निर्माण तोड़कर जमीन ले सकती है।
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