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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक बड़े सरकारी भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। बजरमुड़ा गांव में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 के लिए भूमि अधिग्रहण व भू-अर्जन प्रक्रिया में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा करीब 415 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया। जांच में दोष सिद्ध होने के बाद रायगढ़ कलेक्टर ने तत्कालीन एसडीएम सहित 7 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के निर्देश जारी किए हैं।
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ऐसे हुआ घोटाला
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, बजरमुड़ा की 170 हेक्टेयर भूमि पर केवल 100 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जाना था, लेकिन अफसरों ने कागजों में हेराफेरी कर 415 करोड़ रुपए का मुआवजा अवार्ड पारित करवा दिया। यानी 315 करोड़ का फर्जीवाड़ा कर दिया गया।
अफसरों ने नक्शों, दस्तावेजों और मूल्यांकन में गड़बड़ी कर जमीन के रकबे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। असिंचित जमीन को सिंचित बताया गया, झोपड़ियों को पक्के मकान, पोल्ट्री फार्म, कुआं, बरामदा जैसे ढांचे दिखा मुआवजा राशि बढ़ा दी गई। इतना ही नहीं, खाली घास वाली जमीन पर दो हजार से अधिक पेड़ दिखा दिए गए।
दोषी अफसरों पर होगी कार्रवाई
जिन अफसरों पर FIR के निर्देश दिए गए हैं, वे इस प्रकार हैं, तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, PWD सब-इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीट गार्ड रामसेवक महंत
जांच कमेटी ने इन सभी को संगठित घोटाले का दोषी पाया है। प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद अब घरघोड़ा एसडीएम को एफआईआर दर्ज कराने के आदेश अपर कलेक्टर रवि राही ने जारी किए हैं।
इन्होनें की थी शिकायत
इस पूरे मामले का खुलासा रायगढ़ निवासी दुर्गेश शर्मा की शिकायत पर हुआ। उन्होंने भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमितताओं की शिकायत कलेक्टर से की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने आईएएस रमेश शर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई, जिसने बजरमुड़ा समेत कई गांवों की 449 हेक्टेयर जमीन की जांच की।
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सीएसपीडीसीएल ने जताई थी आपत्ति
भारी-भरकम मुआवजा राशि को लेकर सीएसपीडीसीएल ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद मुआवजा राशि को थोड़ा कम कर 415.69 करोड़ रुपए कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद हेराफेरी का आंकड़ा चौंकाने वाला रहा।
आगे की कार्रवाई
अब मामला एफआईआर तक पहुंच चुका है और दोषी अफसरों पर विभागीय व अनुशासनात्मक कार्रवाई भी तय मानी जा रही है। यह मामला छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग के भीतर गहराई से फैले भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बन चुका है।
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