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छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार का 'सुशासन तिहार' आजकल सुर्खियों में है। इसका कारण इस तिहार यानी मेले में कुछ ऐसी मांगें और शिकायतें आईं हैं, जो आपको न केवल हंसने पर मजबूर देगी, बल्कि हैरान कर देगा और सोचने पर मजबूर करती हैं। सरकार ने इस आयोजन को जनता की समस्याओं के समाधान का मंच बनाया था, लेकिन कोड़ापुरी गांव से लेकर राजिम नगर पंचायत तक, लोगों ने ऐसी मांगें रखीं, जिसने सुशासन के चेहरे को धुंधला कर दिया। शराब दुकान, दुल्हन, बाइक से लेकर वित्त मंत्री को हटाने तक की मांग यह तिहार वाकई अनोखा बन गया है।
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कोड़ापुरी की 'नशीली' मांग : सरकारी शराब दुकान चाहिए!
सबसे ज्यादा चर्चा में है कोड़ापुरी गांव की एक अजीब मांग। यहां के ग्रामीणों ने सुशासन तिहार में ज्ञापन सौंपकर गांव में शासकीय शराब दुकान खोलने की मांग की है। उनका तर्क है कि अवैध शराब से परेशान हैं, और सरकारी दुकान से "नियंत्रित नशा" मिलेगा। जहां अन्य गांव सड़क, बिजली, पानी और स्कूल की मांग करते हैं, वहां कोड़ापुरी के लोगों का यह अनुरोध सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। एक यूजर ने लिखा, "जो सरकार किताबों से ज्यादा बोतलों पर भरोसा करे, वो भविष्य को कहां ले जाएगी?"
विधायक धर्मजीत सिंह ने इस मांग पर हामी भरते हुए कहा, "बिलकुल खुलवा देंगे," जिसके बाद बहस और तेज हो गई। कई लोगों का मानना है कि यह मांग विकास की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती है। क्या सुशासन का मतलब अब "नशे का नियमन" है?
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दुल्हन की गुहार : "सरकार, हमें जीवनसाथी दिलाओ"
शराब दुकान की मांग ने जहां लोगों को हैरान किया, वहीं राजिम नगर पंचायत के ब्रम्हचर्य वार्ड के 36 वर्षीय चंदन साहनी ने तो हद ही कर दी। चंदन ने सुशासन तिहार में सरकार से दुल्हन दिलाने की मार्मिक अपील की। उन्होंने कहा, "मैं अकेला हूं, जिंदगी गुजारने के लिए जीवनसंगिनी चाहिए। विधवा, तलाकशुदा या अनाथ गरीब कन्या भी चलेगी।" चंदन अकेले नहीं हैं। फिंगेश्वर ब्लॉक के चैत्रा पंचायत के एक युवक ने भी ऐसी ही मांग रखी। महिला बाल विकास विभाग ने इन आवेदनों को स्वीकार करते हुए "उचित समय" में योजना से जोड़ने का आश्वासन दिया है। लेकिन सवाल यह है—क्या सुशासन तिहार अब वैवाहिक मंच बन गया है?
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बाइक, वित्त मंत्री और अन्य अजब-गजब मांगें
मामला यहीं नहीं रुका। एक 46 वर्षीय व्यक्ति ने सरकार से "अच्छी लड़की" देखकर शादी कराने की गुहार लगाई, तो एक युवक ने वित्त मंत्री को हटाने की मांग कर डाली, क्योंकि वह शिक्षक भर्ती में देरी से नाराज था। एक अन्य व्यक्ति ने बाइक की मांग की, ताकि ससुराल और बाजार जाने में सुविधा हो। इन मांगों ने सुशासन तिहार को एक अनोखा रंग दे दिया।
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गंभीर शिकायतें भी आईं सामने
हालांकि, तिहार में कुछ गंभीर मुद्दे भी उठे। किसानों ने मिल मालिकों के अवैध कब्जे और कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति की शिकायत की। बेरोजगारी, सड़क, नाली, बिजली और पानी की समस्याएं भी लोगों ने जोर-शोर से उठाईं। एक व्यक्ति ने तो मुख्यमंत्री के सलाहकार के खिलाफ शिकायत दर्ज की, उनकी भाषा में महिलाओं के प्रति असम्मान का आरोप लगाते हुए।
सुशासन या मनोरंजन?
सुशासन तिहार का उद्देश्य जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान करना था, लेकिन इन अनोखी मांगों ने इसे चर्चा का विषय बना दिया। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर तंज कस रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "शराब नहीं, समाधान चाहिए, लेकिन लगता है सरकार और जनता दोनों नशे में हैं।"
क्या यह तिहार वाकई सुशासन का प्रतीक है, या व्यवस्था की लाचारी का आईना? जब जनता शराब दुकान और दुल्हन मांगने लगे, तो सवाल उठता है कि विकास की प्राथमिकताएं कहां खो गई हैं। सरकार को इन मांगों पर हंसने के बजाय गंभीरता से सोचना होगा, क्योंकि सुशासन का मतलब सिर्फ मांगें सुनना नहीं, बल्कि सही दिशा में कदम उठाना है।
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