छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का नया फरमान, गरबा में मुस्लिम युवाओं के जाने पर रोक

नवरात्रि के दौरान छत्तीसगढ़ में गरबा को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मुस्लिम युवाओं से गरबा पंडालों से दूर रहने की अपील की। बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज ने इसे धार्मिक आयोजन बताते हुए कहा कि इसमें भाग नहीं लेना चाहिए।

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Arun Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होते ही छत्तीसगढ़ में गरबा को लेकर नई बहस छिड़ गई है। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मुस्लिम युवाओं से अपील की है कि वे गरबा पंडालों से दूर रहें। बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज का कहना है कि यह धार्मिक आयोजन है और इसमें मुस्लिम युवाओं की मौजूदगी सही नहीं। गरबा सिर्फ नृत्य नहीं बल्कि मां दुर्गा की आराधना का भी माध्यम है। ऐसे में मूर्ति पूजा में आस्था नहीं रखने वालों को इसमें नहीं जाना चाहिए।

जिसकी आस्था वो इजाज़त लें:

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज कहते हैं कि जिनकी आस्था है वे इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनको समिति से इजाज़त लेनी होगी। और इतना ही नही उनको नियमों और मर्यादा का पूरा पालन करना होगा। 

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वक्फ बोर्ड का फरमान: छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने मुस्लिम युवाओं से अपील की कि वे गरबा पंडालों में न जाएं, क्योंकि यह धार्मिक आयोजन है।

आस्था और गरबा: वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने कहा कि गरबा देवी पूजा से जुड़ा हुआ है, और इसमें भाग लेने के लिए मुस्लिम युवाओं को गरबा आयोजक से अनुमति लेनी होगी।

विवादित प्रतिक्रिया: वक्फ बोर्ड के बयान के बाद, कई संगठनों और व्यक्तियों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया, जबकि कुछ ने इसका समर्थन किया।

गरबा का महत्व: गरबा नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा का एक अहम हिस्सा है, जिसमें नृत्य और संगीत के माध्यम से पूजा की जाती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू: कुछ लोग इसे धार्मिक आयोजन मानते हैं, जबकि अन्य इसे सांस्कृतिक आयोजन मानते हुए सभी धर्मों के लोगों को इसमें भाग लेने का अधिकार देते हैं।

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वक्फ बोर्ड बयान से छिड़ी बहस:

गरबा नवरात्रि का अहम हिस्सा है। ढोल की थाप और ताल पर युवा देर रात तक थिरकते हैं। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कहा, गरबा देवी पूजन से जुड़ा धार्मिक आयोजन है। मुस्लिम युवाओं से अपील है कि वे इससे दूरी बनाएं और धार्मिक मर्यादा बनाए रखें। बोर्ड का मानना है कि ऐसा करने से अनावश्यक विवादों से बचा जा सकेगा।

बयान सामने आते ही अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। कई संगठनों ने इसे अनावश्यक दखल बताया। उनका कहना है कि किसी भी धर्म के लोग किसी भी सांस्कृतिक आयोजन में शामिल हो सकते हैं। वहीं, समर्थन करने वालों का तर्क है कि गरबा धार्मिक दृष्टि से संवेदनशील है और दूसरे धर्म के लोगों की मौजूदगी से टकराव की स्थिति बन सकती है।

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