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छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 24 साल बाद पहली बार सरकार ने बड़े आवासीय और कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने के लिए ग्राउंड कवरेज एरिया 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40% कर दिया है। अब तक बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट के कुल एरिया की 70% जमीन अलग-अलग काम के लिए छोड़नी पड़ती थी। अब सिर्फ 60% छोड़नी पड़ेगी। नए नियम से 40 फीसदी प्लॉट एरिया में मकान या फ्लैट बनाए जा सकेंगे। इसके साथ ही हाईराइज बिल्डिंग बनाने के नियमों में भी बदलाव किया गया है।
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पहली बार लागू होने जा रहा ऐसा नियम
इसके तहत किसी भी प्रोजेक्ट में 12.5 मीटर तक चौड़ी सड़क होने पर बिल्डरों को 8 मंजिल तक कमर्शियल बिल्डिंग बनाने की अनुमति दी जाएगी। अभी तक पांच-छह मंजिल की मंजूरी मिल पाती थी। इन दोनों बदलाव का सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को होगा। बिल्डर को फ्लैट या मकान बनाने के लिए जमीन ज्यादा मिलेगी। इसका असर लागत पर पड़ेगा।
लागत कम होने से फ्लैट और मकान की कीमत कम होगी। लोगों को कम कीमत में बड़े मकान मिलेंगे। मिडिल क्लास फैमिली को अफोर्डेबल हाउस उपलब्ध कराने के लिए इसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। नियमों में संशोधन कर इसकी अधिसूचना राजपत्र में भी प्रकाशित कर दी गई है।
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प्लाटिंग करने वालों और बिल्डरों पर पड़ेगा असर
टाउन प्लानिंग विभाग में ले-आउट परमिशन के लिए बिल्डरों को अब पहले शुल्क जमा करना होगा। अब तक ये शुल्क एक हेक्टेयर के लिए केवल 3750 रुपए था, लेकिन अब इसकी फीस बढ़ाकर प्रति हेक्टेयर 60 हजार रुपए कर दी गई है। इतना ही नहीं दस्तावेजों की कमी या तकनीकी कारणों से आवेदन निरस्त होता है तो फीस भी वापस नहीं की जाएगी।
टाउन प्लानिंग ने इस नए नियम को लेकर राजपत्र में अधिसूचना भी जारी करवा दी है। विभाग का यह नया नियम खासतौर पर प्लाटिंग करने वालों के साथ बिल्डरों पर खास असर डालेगा। उन्हें पहले की तुलना में ज्यादा फीस देनी होगी। इसके अलावा जो लोग दो से तीन एकड़ में प्लाटिंग करेंगे उन्हें भी पहले शुल्क जमा करना होगा।
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मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में पहले ही यह नियम लागू
टाउन प्लानिंग विभाग के अफसरों ने बताया शुल्क बढ़ोतरी और फ्लोर बढ़ाने का नियम मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में पहले ही लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार की कई आवास योजनाओं का फायदा लेने के लिए यह संशोधन किया गया है। छत्तीसगढ़ में इस नियम को पहले ही लागू करने की तैयारी थी, लेकिन इसे अब लागू किया गया है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई गई। इसके बाद इसका प्रकाशन राजपत्र में करवा दिया गया है। यानी यह नए नियम अब राज्यभर में एक साथ लागू हो गए हैं।
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