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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ब्रिटिश काल में यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्त को आवंटित की गई करीब 6 एकड़ बेशकीमती जमीन अब राज्य सरकार अपने कब्जे में ले रही है। राजभवन के सामने स्थित इस संपत्ति, जिसे गॉस मेमोरियल और बाबर बंगला के नाम से जाना जाता है, को लेकर पिछले कई वर्षों से व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर विवाद चल रहा था। लीज की अवधि समाप्त होने के बाद संभागायुक्त ने रायपुर कलेक्टर को जमीन को सरकारी कब्जे में लेने का आदेश जारी किया है। इस फैसले के बाद सिविल लाइन क्षेत्र की यह कीमती संपत्ति अब राज्य सरकार के अधीन होगी।
व्यावसायिक गतिविधियों ने छीना बच्चों का खेल मैदान
रायपुर के लिए ऐतिहासिक महत्व रखने वाला गॉस मेमोरियल मैदान लंबे समय से बच्चों और युवाओं के लिए खेल और प्रतिभा विकास का केंद्र रहा है। इस मैदान ने कई पीढ़ियों को अपनी खेल प्रतिभा निखारने का अवसर दिया। हालांकि, हाल के वर्षों में इस मैदान का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए होने लगा, जिससे बच्चों और युवाओं से उनका यह महत्वपूर्ण स्थान छिन गया। फन वर्ल्ड, प्रदर्शनियां, और अन्य व्यावसायिक आयोजनों के कारण यह मैदान सालभर बुक रहने लगा, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती गई।
2017 में हिंदू स्वाभिमान संगठन ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विश्वदिनी पांडे, सचिव श्याम चावला, और उपाध्यक्ष नीलम सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों ने संभागायुक्त से इस जमीन के व्यावसायिक उपयोग की शिकायत की और इसे सरकार के कब्जे में लेने की मांग की। आठ साल तक यह मामला शासन के सामने लंबित रहा, लेकिन अब सरकार ने इस पर निर्णायक कार्रवाई की है।
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बाबर बंगले पर बाउंड्रीवाल, कब्जे की प्रक्रिया शुरू
राज्य शासन के आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। बाबर बंगले के आसपास बाउंड्रीवाल बनाकर जमीन को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कदम न केवल इस संपत्ति को सरकारी नियंत्रण में लाने के लिए उठाया गया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि इसका उपयोग जनहित में हो।
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महापौर का बयान, जनहित में होगा जमीन का उपयोग
रायपुर की महापौर मीनल चौबे ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह 6 एकड़ जमीन अब नगर निगम को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा, “यह जमीन शहरवासियों की है, और इसका उपयोग आम जनता के हित में किया जाएगा। हम टाउन प्लानर्स और आर्किटेक्ट्स के साथ मिलकर इस जमीन पर जन सुविधाओं से संबंधित योजनाएं तैयार करेंगे।” महापौर ने बताया कि सिटी मॉडल प्लान के तहत सर्वे का काम भी चल रहा है, जिसके आधार पर इस जमीन का भविष्य तय किया जाएगा।
चर्च का विरोध, हाईकोर्ट में जाने की तैयारी
दूसरी ओर, चर्च के पदाधिकारियों ने इस कार्रवाई को अवैध बताते हुए इसका विरोध जताया है। चर्च के पदाधिकारी नितिन लोरे ने कहा कि वे इस सरकारी आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में स्टे ऑर्डर लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका दावा है कि जमीन का उपयोग लीज की शर्तों के अनुसार ही किया जा रहा था, और सरकार का यह कदम गैरकानूनी है।
क्या है इस जमीन का ऐतिहासिक महत्व?
गॉस मेमोरियल और बाबर बंगला रायपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का हिस्सा रहे हैं। ब्रिटिश काल में यह जमीन यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्त को धार्मिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए दी गई थी। हालांकि, समय के साथ इस संपत्ति का व्यावसायिक उपयोग बढ़ता गया, जिसने स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के बीच असंतोष पैदा किया।
इस फैसले के बाद रायपुर के नागरिकों में उम्मीद जगी है कि गॉस मेमोरियल मैदान फिर से बच्चों और युवाओं के लिए खेल और मनोरंजन का केंद्र बनेगा। सरकार और नगर निगम अब इस जमीन के उपयोग को लेकर दीर्घकालिक योजना पर काम कर रहे हैं। वहीं, चर्च द्वारा हाईकोर्ट में इस मामले को ले जाने की संभावना से इस विवाद में नया मोड़ भी आ सकता है। फिलहाल, यह फैसला जनहित में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो रायपुर के लिए एक नई शुरुआत का संकेत देता है।
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