छत्तीसगढ़ में वेटलैंड के नाम पर अफसरों ने काटी मौज, कार्यशाला,सेमिनार में उड़ाए सवा 3 करोड़

वेटलैंड के लिए वन अधिकारियों को सवा तीन करोड़ रुपए दिए गए थे ताकि उसका संरक्षण हो, संवर्धन हो और अतिक्रमण हटे। लेकिन ये फंड तो कहीं और खर्च हो गया। जो फंड दिया गया था वो तो सेमिनार, कार्यशाला, जन जागरुकता और एक्सपर्ट की आवाजाही में ही खर्च हो गया।

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Arun Tiwari
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officers had a gala time in the name of wetlands the sootr
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रायपुर : वेटलैंड यानी वो जमीन जो नदी,झील, तालाब या दूसरे जलाशय के पास होती है। जल स्तर को बनाए रखने के लिए वेटलैंड का संरक्षण सबसे जरुरी माना जाता है। इसके लिए ही सरकार बड़ा फंड खर्च करती है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में ये पैसा सही जगह पर खर्च हो रहा है या फिर इसके संरक्षण में लगे सिस्टम की जेब में जा रहा है। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की। वेटलैंड के लिए वन अधिकारियों को सवा तीन करोड़ रुपए दिए गए थे ताकि उसका संरक्षण हो, संवर्धन हो और अतिक्रमण हटे। लेकिन ये फंड तो कहीं और खर्च हो गया। द सूत्र की पड़ताल में  आया कि जो फंड वन अधिकारियों को दिया गया था वो तो सेमिनार, कार्यशाला, जन जागरुकता और एक्सपर्ट की आवाजाही में ही खर्च हो गया। यानी सवा तीन करोड़ के इस फंड से सिर्फ मौज मनाई गई है। यही कारण है कि 10 करोड़ का बजट होने के बाद भी बाकी  7 करोड़ रुपए मंजूर नहीं किए।

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जमीन की जगह जेब में गया फंड ?

राज्य में वेटलैंड अथॉरिटी बनाई गई है जो नदी,तालाब,झील और अन्य जलाशयों का न सिर्फ संरक्षण करती है बल्कि उसका संवर्धन भी करती है। चूंकि वेटलैंड का अधिकांश हिस्सा फॉरेस्ट में आता है इसलिए इसके संरक्षण का जिम्मा अथॉरिटी के साथ साथ वन अधिकारियों को भी सौंपा गया। लेकिन सरकार से मिला फंड सिर्फ संरक्षण के नाम पर उड़ाया गया। यानी 3 करोड़ 22 लाख रुपए का खर्च सेमिनार,कार्यशाला और विशेषज्ञों के यात्रा व्यय में खर्च होना दिखा दिया गया। विभागीय सूत्र कहते हैं कि ये कार्यक्रम सिर्फ औपचारिकता माने जाते हैं इनका असर जमीन पर कुछ नहीं पड़ता यही कारण है कि ऐसे आयोजनों के नाम पर पैसे की बंदरबांट हो जाती है। छत्तीसगढ़ में 11457 वैटलैंड हैं। इनका एरिया 8 लाख 46 हजार 195 एकड़ है। सरकार इनका संरक्षण कर वॉटर लेबल को मेनटेन करना चाहती है। इसके संरक्षण में वेटलैंड की सफाई,खुदाई और अतिक्रमण से मुक्त करना खासतौर पर शामिल है।  

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10 करोड़ मंजूर मिला 3 करोड़ 

 पिछले पांच साल से वेटलैंड के लिए कोई बजट मंजूर नहीं किया गया। साल 2019 से लेकर साल 2023 तक इसके लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया। साल 2024 में इसके लिए 10 करोड़ मंजूर किए गए। इनमें से 3 करोड़ 22 लाख रुपए रिलीज भी कर दिए गए। जब इनका हिसाब किताब आया तो विभाग को इसमें कई पेंच दिखाई दिए। ये पैसा वन अधिकारियों को भेजा गया था। फॉरेस्ट अधिकारियों ने सेमिनार, कार्यशाला और जनजागरुकता के लिए बैनर पोस्टर बनाने के नाम पर यह पूरा फंड खर्च होना बता दिया। इस खर्च को देखकर सरकार ने बाकी के 7 करोड़ रुपए रिलीज नहीं किए।     

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इस तरह खर्च हुआ फंड  

- 1 करोड़ 2 लाख रुपए : 
वेट लैंड हेल्थ कार्ड की तैयारी
लोगों की जागरुकता के लिए साइन बोर्ड
फील्ड इवेंट - स्कूल कॉलेज जाकर जागरुकता
34 फॉरेस्ट अधिकारियों में बंटी राशि

- 57 लाख 67 हजार रुपए
डाक्यूमेट्री फिल्म
यात्रा व्यय
स्टेशनरी
कार्यशाला
सेमिनार
विशेषज्ञों का यात्रा व्यय
बैनर पोस्टर
छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैड प्राधिकरण को मिली राशि

- 20 लाख रुपए
कटघोरा में जल विहार
पफॉरेस्ट अधिकारी,कटघोरा

- 20 लाख रुपए
जल संरक्षण के लिए आवश्यक कार्य
फॉरेस्ट अधिकारी, महासमुंद

- 15 लाख रुपए
वन क्षेत्र खरसिया में प्रचार प्रसार,साफ सफाई
फॉरेस्ट अधिकारी, रायगढ़ 

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- जागरुकता के लिए कार्यक्रम - 5 लाख, फॉरेस्ट अधिकारी महासमुंद
- वेटलैंड दिवस मनाने में - 6  लाख, फॉरेस्ट अधिकारी रायपुर,दुर्ग बिलासुर
- पक्षी महोत्सव - 5 लाख - फॉरेस्ट अधिकारी दुर्ग
- लोगों को प्रावधानों की जानकारी - 30 लाख, फॉरेस्ट अधिकारी रायपुर, बस्तर,कांकेर,सरगुजा,दुर्ग
- जनजागरुकता कार्यक्रम - 16 लाख रुपए - फॉरेस्ट अधिकारी बिलासपुर
- कुल खर्च - 3 करोड़ 22 लाख रुपए

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