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रायपुर के खमतराई थाना क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो इंसानियत को झकझोर देती है। एक नवजात शिशु, जो जीवन की पहली सांसें भी पूरी तरह नहीं ले सका था, उसे कचरे की गाड़ी में लावारिस छोड़ दिया गया। बच्चे के साथ मिला एक छोटा सा हस्तलिखित पत्र इस दर्दनाक कहानी को और गहरा करता है।
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यह लिखा था पत्र में
“कृपया इस बच्चे को पाल लें, हमारे पास ना घर है और ना साधन।”यह पत्र उस माता-पिता की लाचारी की चीख है, जो आर्थिक तंगी और सामाजिक मजबूरियों के चलते अपने बच्चे को छोड़ने को विवश हुए। लेकिन इस पत्र में छिपी थी एक उम्मीद शायद कोई इस मासूम को गोद ले ले और उसे वह जिंदगी दे, जो वे स्वयं नहीं दे सके।
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महिलाओं की संवेदनशीलता ने बचाई जान
स्थानीय महिलाओं ने बच्चे की रोने की आवाज सुनी और बिना देर किए कचरे की गाड़ी की ओर दौड़ीं। वहां का दृश्य देखकर वे स्तब्ध रह गईं। एक नन्हा सा बच्चा कचरे के बीच पड़ा था। महिलाओं ने तुरंत बच्चे को अपनी गोद में लिया और पुलिस को सूचित किया। उनकी इस त्वरित कार्रवाई ने एक मासूम की जिंदगी बचा ली। पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित अपने कब्जे में लिया और उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी देखभाल की जा रही है।
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पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी सक्रिय
खमतराई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) को सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई है। पुलिस यह पता लगाने में लग गई है कि इस आखिर वे कौन माता-पिता हैं, जो बच्चे को लावारिश हालत में छोड़ गई हैं। आखिर उनकी मजबूरी क्या रही होगी। हालांकि यह घटना समाज में असमानता और गरीबी का स्याह सच बयान करता है। इसके बावजूद यह भी दिखाया है कि मानवता अभी जिंदा है।
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एक समाज के रूप में हमारी जिम्मेदारी
यह घटना समाज के सामने कई सवाल खड़े करती है। आखिर क्या कारण है कि एक माता-पिता अपने बच्चे को कचरे में छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं? यह सिर्फ एक बच्चे की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों की हकीकत है, जो संसाधनों और सहायता के अभाव में टूट जाते हैं। इस बीच, उन महिलाओं की संवेदनशीलता और हिम्मत ने एक मिसाल कायम की है, जिन्होंने समय रहते बच्चे को बचा लिया।
एक कॉल से बदल सकती है जिंदगी
ऐसे मामलों में तुरंत मदद के लिए छत्तीसगढ़ में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 उपलब्ध है। यह 24×7 मुफ्त सेवा चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा संचालित की जाती है। अगर आप किसी बच्चे को संकट में देखते हैं, तो बिना देर किए 1098 पर कॉल करें। आपका एक छोटा सा प्रयास किसी मासूम की जिंदगी को नया मौका दे सकता है।
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